अपने हक की बात कर रहे 16 निर्दोष मुस्लिमों पर प्रशासन ने लगाया सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने का झूठा आरोप, FIR दर्ज
लीजिये, अब आप अपने हक की बात भी मत करिये, जबकि लोकतंत्र में चुनाव अपने हक की बात के लिए लड़ने की बात करता है, आज जिधर देखिये, उधर ही विभिन्न जातीय संगठन, सामाजिक संगठन, धार्मिक संगठन अपनी-अपनी मांगों को लेकर विभिन्न राजनीतिक दलों से गुहार लगा रहे हैं, उन पर दबाव बना रहे हैं, ताकि उनकी मांगे मानी जाये, पर ऐसे किसी भी जातीय, सामाजिक अथवा धार्मिक संगठन के लोगों पर प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई, पर रांची में 16 बेकसूर मुसलमान जो अपने हक की लड़ाई लड़ रहे थे, उन पर झूठे केस लादने का प्रबंध कर दिया गया, उन सभी के खिलाफ 17 मार्च 2019 को रांची के हिंदपीढ़ी थाने में प्राथमिकी दर्ज कर दी गई।
इन 16 बेकसूर मुसलमानों पर आरोप लगाया गया है कि इन्होंने सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश की है, इनके बैठक में समुदाय विशेष की भावनाओं को आहत पहुंचाने संबंधित बात पर चर्चा हुई हैं, जरा देखिये प्राथमिकी में क्या लिखा गया है – “ सेवा में, थाना प्रभारी, हिन्दपीढ़ी थाना, रांची, विषय – आदर्श आचार संहिता उल्लंघन करने के संबंध में। महाशय, निवेदनपूर्वक कहना है कि मैं विजय कुमार उरांव, राजस्व उप-निरीक्षक, शहर अंचल, रांची, उम्र 57 वर्ष, पिता श्री लक्ष्मण उरांव, निवास स्थान –बोड़या भारम टोली, बरियातु, रांची, थाना- बरियातु, जिला रांची का निवासी हूं।
आगे (आजाद सिपाही) अखबार के माध्यम से अमन कम्यूनिटी हॉल हिन्दपीढ़ी में बशीर अहमद की अध्यक्षता में एक बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें साम्प्रदायिक सौहार्द को भड़काने जैसा बात किया गया है। जो आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन है। इससे एक खास समुदाय की भावना को ठेस पहुंचाने की बात की गई है, जिससे कभी-भी सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ सकता है।
अतः आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के आरोप में बशीर अहमद, आजम अहमद, नदीम खान, बब्बर जावेद, हाजी इमरान, रजा अंसारी, लतीफ, मो.नौशाद, अब्दुल गफ्फार, डा. एसएस अहमद, हफीज, जुनैद, नवाब चिश्ती, सोनू भाई, इमाम अहमद, मो. शाहिद को आरोपित करता हूं।”
इधर आजाद सिपाही के प्रधान संपादक हरि नारायण सिंह से जब विद्रोही24.कॉम ने इस संबंध में बातचीत की, कि क्या आपके अखबार में इस प्रकार की कोई समाचार छपी है, जिससे यह पता लगता हो, कि उक्त बैठक से यहां सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ने का खतरा हो, तब उनका कहना था कि वे बड़ी ही जिम्मेदारीपूर्वक इस बात को कह रहे हैं कि उनके अखबार में ऐसी कोई बातें नहीं छपी, जिसको आधार बनाकर, हिंदपीढ़ी थाने में 16 बेकसूरों पर आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप लगाकर प्राथमिकी दर्ज कर दी गई। अब सवाल उठता है कि जब ‘आजाद सिपाही’ ने खबर छापी ही नहीं, तब उक्त अखबार के आधार पर 16 बेकसूर मुसलमानों के खिलाफ हिन्दपीढ़ी थाने में प्राथमिकी कैसे दर्ज कर दी गई?
लोग बताते है कि जिन पर सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने का आरोप लगा है, दरअसल उनमें से तो कई झारखण्ड आंदोलनकारी हैं, पत्रकार है, जो रांची में सांप्रदायिक सद्भाव और एकता के मिसाल माने जाते हैं, और जब ऐसे लोगों को आदर्श आचार संहिता के नाम पर झूठे केस में फंसाया जायेगा तो लानत है, ऐसे लोगों पर, ऐसी व्यवस्था पर, अब तो कोई सच भी न बोले, अपने हक की बात भी न करें, अपने मुंह में ताला लगा लें, फरियाद भी न करें, आखिर किस आदर्श चुनाव आचार संहिता में लिखा है कि अपने हक-हुकूक की बात करना भी आचार संहिता का उल्लंघन है।
नदीम खान तो साफ कहते है कि हाशिये के लोगों एवं मुसलमानों को संवैधानिक तरीके से हक-हुकूक अधिकार पर जागरुकता मुहिम चलाने पर पूरी टीम को ही दंगाई बनाकर प्राथमिकी दर्ज करा दिया गया, ऐसे हालत में शांति-सद्भावना के लिए कार्य करनेवालों को भी सोचना होगा कि आज राज्य की क्या स्थिति हो गई? उनका कहना था कि इस अंधेर के खिलाफ उन लोगों की तार्किक जागरुकता भरी मुहिम जारी रहेगी, संघर्ष जारी रहेगा। उन्होंने ताल ठोक कर कहा कि प्रशासन को जनता के समक्ष वह प्रमाण रखना चाहिए, जिस प्रमाण के आधार पर उन्हें दंगाई बता दिया गया।
ज्ञातव्य है कि गत 15 मार्च को रांची के अमन कम्यूनिटी हॉल में एक बैठक आयोजित की गई थी, जिसमें मुस्लिम समुदाय के प्रबुद्ध लोग बैठे थे, जिस बैठक में महागठबंधन पर दबाव बनाकर तीन सीटें कम से कम अल्पसंख्यक समुदाय को देने की बात कही गई थी, तथा यह भी कहा गया था कि अगर महागठबंधन ने मुसलमानों को उनको हक नहीं दिया, तो वे थर्ड फ्रंट बनाकर चुनाव लड़ेंगे।