अपनी बात

बेरमो के जेएलकेएम कार्यालय में कोल माफियाओं के साथ उचित हिस्सा को लेकर 28 पत्रकारों की बनी सहमति, लिया संकल्प, कोयला के अवैध धंधे में लिप्त लोगों के खिलाफ कोई समाचार प्रकाशित/प्रसारित अब नहीं करेंगे

बेरमो निवासी तेज तर्रार वरिष्ठ पत्रकार अलका मिश्रा ने आज अपने अखबार रांची एक्सप्रेस में ऐसी खबर छापी है कि झारखण्ड की राजधानी रांची से छपनेवाले बड़े-बड़े राष्ट्रीय व क्षेत्रीय अखबारों के प्रधान संपादक/स्थानीय संपादक अपना-अपना मुंह छुपाने को विवश हैं। ऐसे भी मुंह छुपाने पर विवश हो भी क्यों नहीं? उनके मातहत काम करनेवाले, उनकी छत्र-छाया में पलनेवाले, उनके यहां काम करनेवाले उनके पत्रकारों ने ऐसा कुकर्म ही किया है।

अलका मिश्रा ने रांची एक्सप्रेस में “कोयला सिंडिकेट का पत्रकारों के साथ हुआ एमओयू” नामक हेडिंग से बोकारो/धनबाद-एक्सप्रेस नामक पृष्ठ पर ऐसी खबर छापी है। जो यह बताने के लिए काफी है कि रांची से छपनेवाले सारे बड़े-बड़े अखबारों के स्थानीय पत्रकारों ने कैसे कोयला सिंडिकेटों से कोयले से होनेवाली अवैध कमाई के जरिये अपने लिए विशेष व्यवस्था की है।

इस समाचार में बताया गया है कि धनबाद के कोयला माफियाओं ने रफीक अंसारी नामक कोयला एजेंट, जो कि कांग्रेस का जिला सचिव भी है, के माध्यम से झारखण्ड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा कार्यालय में बेरमो अनुमंडल के सारे पत्रकारों की एक बैठक बुलाई। यह बैठक गत 18 मार्च को संध्या 4 बजे आयोजित की गई थी।

जिसमें प्रभात खबर, दैनिक भास्कर, आज, दैनिक जागरण, हिन्दुस्तान आदि के अखबारों से जुड़े पत्रकारों समेत अन्य अखबारों, चैनलों व पोर्टलों से जुड़े करीब 28 तथाकथित पत्रकारों ने हिस्सा लिया। जो लोग नहीं आ सके, उनसे फोन पर ही संपर्क कर लिया गया। इस बैठक में तय हुआ कि अब कोई पत्रकार कोयला के अवैध धंधे में लिप्त लोगों के खिलाफ एक शब्द नहीं बोलेगा, न लिखेगा। सभी अपना मुंह, अपनी लेखिनी व कैमरा बंद रखेंगे। इस कार्य के लिए सभी पत्रकारों को उनका उचित हिस्सा मिल जायेगा।

अलका मिश्रा विद्रोही24 को बताती हैं कि इस बैठक में सभी पत्रकारों के मोबाइल नंबर ले लिये गये। सभी को उनके हिस्सा मिलेंगे, इसका आश्वासन दिया गया। अलका मिश्रा बताती है कि मुख्यमंत्री मंईयां सम्मान योजना के तर्ज पर इस अवैध कोयले की काली कमाई का हिस्सा सभी मीडियाकर्मियों को डायरेक्ट देने पर सहमति बनी।

अलका मिश्रा बताती हैं कि इस कोयला की सिंडिकेट की पहुंच उपर तक है। दूसरे शब्दों में उच्चस्थ पदाधिकारियों की सेटिंग के बाद ही बड़े कोयला माफियाओं ने अपने एजेंटों के माध्यम से मीडियाकर्मियों को भी इस काली कमाई का एक छोटा हिस्सेदार बनाने का मुहिम उठाया है।

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