राजनीति

सरयू से मिल रही टक्कर से घबराए रघुवर को त्राण दिलाने के लिए PM मोदी करेंगे जमशेदपुर में जनसभा

एक कद्दावर नेता सरयू राय ने सीएम रघुवर की हालत पस्त कर दी हैं, जमशेदपुर पूर्व से सरयू राय को मिल रहे समर्थन ने सीएम रघुवर दास की नींद उड़ा दी हैं, अब उन्हें लग रहा है कि अब केवल पीएम मोदी ही उन्हें उबार सकते हैं, इसलिए वे फिलहाल अपनी जमशेदपुर पूर्व सीट को लेकर चिन्तित नजर आ रहे हैं, तथा इसके लिए वे जमशेदपुर में पीएम मोदी की सभा कराने में जूट गये हैं।

चूंकि राज्य के सीएम है, इसलिए जिला प्रशासन ने भी इसमें तेजी दिखा दी है और पीएम मोदी की सभा की अनुमति दे दी। पीएम मोदी की सभा तीन दिसम्बर को बिष्टुपुर गोपाल मैदान में होगी। यह सभा 12 बजे होनी है। सूत्र बता रहे है कि इसके लिए गोपाल मैदान में स्टेज बनाने का काम भी शुरु हो गया है, जल्द ही एसपीजी की टीम आकर सुरक्षा-व्यवस्था का जायजा लेगी।

राजनीतिक पंडितों की मानें, तो खुद को विकास की गंगा बहाने का रट लगानेवाला व्यक्ति, भ्रष्टाचार मुक्त शासन का दावा करने वाले व्यक्ति का जमशेदपुर में ये हाल, शंका को जन्म देता है, सामान्य जगहों पर पीएम मोदी की सभा हो तो बात समझ में आती हैं, पर जमशेदपुर में वह भी सीएम के इलाके में पीएम मोदी की सभा सब कुछ कह देती है कि सीएम रघुवर दास ने अपना जनाधार खो दिया है, और इस बार जीत पायेंगे भी या नहीं, कुछ कहा नहीं जा सकता।

राजनीतिक पंडितों की मानें तो जिस सरयू राय ने 2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा का घोषणा पत्र तैयार किया, उस सरयू राय से सीएम रघुवर दास को इतना डर कि वे पीएम मोदी की सभा कराने में लग गये, होना तो यह चाहिए था कि सीएम रघुवर दास कहते कि वे अपनी सीट तथा उनसे जुड़ी अन्य वहां की सीटें वे अपने दम पर निकालेंगे/निकलवायेंगे, पर ऐन मौके पर भाजपा के दिग्गजों का रघुवर दास की जगह मोदी-मोदी चिल्लाना और खुद सीएम रघुवर द्वारा पीएम मोदी की सभा अपने इलाके में करवाने का एलान भाजपा के अंदर चल रहे हार के भय को स्पष्ट कर देता हैं।

जिसकी झलक गढ़वा की जनता ने अमित शाह को कल दिखला ही दिया, तभी तो आजसू के साथ अभी से ही गठबंधन पक्का की बात करने लगे, हालांकि उनकी बात को नकारा नहीं जा सकता, क्योंकि आजसू की राजनीति डगरे पर के बैगन की तरह चलती है, लेकिन इधर जमशेदपुर पूर्व की जनता का सरयू राय के प्रति बढ़ता झुकाव कुछ विशेष गुल खिलाने को तैयार है, जिसकी जानकारी राजनीतिक पंडितों को पहले ही हो चुकी है।