नये झारखण्ड विधानसभा भवन में आग लगी या लगाई गई? सरकार उच्चस्तरीय जांच कराएं, नहीं तो…
ऐसे तो इस राज्य में अजब-गजब के खेल चलते हैं, बाइस सौ करोड़ रुपये से बनी कोनार नहर को चूहे गटक जाते हैं, और 465 करोड़ रुपये से बने नये विधानसभा भवन में देखते ही देखते आग लग जाती है, जिससे विधानसभा भवन को भारी नुकसान हो जाता है। कमाल है सचिव बोलते है कि शार्ट सर्किट से आग लगी हैं और जो निर्माण कंपनी से जुड़ा ठेकेदार हैं, वह सीधा कहता है कि आग लगी नहीं, किसी ने लगा दी है, अब सवाल उठता है कि इन दोनों में झूठ कौन बोल रहा और सच कौन बोल रहा?
सच्चाई देखा जाये, तो इस रघुवर सरकार में एक से एक घोटाले हो गये, लेकिन सरकार के सेहत पर एक जूं तक नहीं रेंगी, विपक्ष ही नहीं, बल्कि सत्तापक्ष के मंत्री तक, सीएम रघुवर पर गंभीर आरोप लगाते रहे, पर क्या मजाल कि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और देश के गृह मंत्री जो भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह हैं, वे रघुवर दास से यह पूछने की कोशिश भी करें कि भाई ये सब क्या है?
झारखण्ड में सच्चाई है कि सत्ता परिवर्तन की लहर चल पड़ी हैं, राज्य की जनता बदलाव के पक्ष में हैं, भाजपा नेताओं की सभाओं से भीड़ गायब है, जो भीड़ पूर्व में सहिया और आंगनवाड़ी द्वारा दिखाई जाती थी, उन आंगनवाड़ी सेविकाओं ने भी खुद को इनकी सभा से अलग कर लिया है, क्योंकि उनके उपर हुई रांची में पुलिसिया प्रहार के बाद उन सारी आंगनवाड़ी सेविकाओं ने भी इस सरकार को अपनी नजरों से गिरा दिया है।
झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के वरिष्ठ नेता एवं नेता प्रतिपक्ष हेमन्त सोरेन का कहना है कि हेंडओवर होने के पांच दिन पहले ही नये विधानसभा भवन में लगी आग बहुत कुछ कह देती है। फायर सेफ्टी के बिना ही विधानसभा भवन हैंडओवर करने की तैयारी एक षडयंत्र के तहत दिख रही है। नेता प्रतिपक्ष हेमन्त सोरेन ने तो साफ कह दिया कि आनन-फानन में रघुवर दास द्वारा अधूरे विधानसभा का उद्घाटन कानूनों की धज्जियां उड़ाकर की गई, जिसके प्रमाण मौजूद है।
ज्ञातव्य है कि एनजीटी अदालत ने 23 सितम्बर 2019 को अपने नये आदेश में उल्लेखित किया है कि इनवारमेन्टल क्लियरेंस के बिना झारखण्ड में बनाये गये विभिन्न भवनों को लेकर जो कमेटी बनाई गई थी, उसने अपनी रिपोर्ट अदालत को दे दी है, और उस रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख है कि ऐसे कई भवन है, जिनमें इनवारमेंटल क्लियरेंस को नजरंदाज किया गया, जिसमें झारखण्ड विधानसभा के नये भवन का नाम भी शामिल है। अदालत का कहना है कि इन सारे मामलों को पर्यावरण के दृष्टिकोण से नजरंदाज नहीं किया जा सकता।
हेमन्त सोरेन ने तो साफ कह दिया कि इन्हीं सभी कारणों से उन्होंने विधानसभा उद्घाटन समारोह में शरीक होना जरुरी नहीं समझा, क्योंकि जिन मामलों को उन्होंने उठाया, उन मामलों की रघुवर सरकार ने अनदेखी की। हेमन्त सोरेन आगे कहते है कि वे इस लगभग 500 करोड़ की लूट गाथा को छोड़ने नहीं जा रहे। इसलिए वर्तमान सरकार इसकी उच्चस्तरीय जांच करायें, नहीं तो 23 दिसम्बर के बाद, उनकी सरकार आने के बाद जो अब तक घोटाले हुए हैं, वे खुद ब खुद बाहर आ जायेंगे, राज्य की जनता को हम विश्वास दिलाते हैं।