राज्य के युवा अभी भी निवर्तमान CM रघुवर से नाराज, माफ करने के मूड में नहीं, अपना गुस्सा रघुवर के फेसबुक पेज पर उतारा
कल जिस प्रकार से झारखण्ड की जनता का जनादेश आया, और जनादेश आने के बाद राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास द्वारा मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिये जाने के बावजूद भी, राज्य के युवाओं का गुस्सा, रघुवर दास के प्रति अब तक शांत नहीं हुआ हैं। वे अभी भी रघुवर दास को माफ करने के मूड में नहीं हैं, जिस कारण उनका गुस्सा निर्वतमान मुख्यमंत्री रघुवर दास के फेसबुक पेज पर साफ देखा जा रहा है।
कमाल की बात है कि ये युवा गुस्से में ऐसे-ऐसे वाक्य लिख रहे हैं, जिसको देखकर किसी को भी पता लग सकता है कि राज्य के युवा निवर्तमान मुख्यमंत्री रघुवर दास से कितने नाराज थे, हालांकि मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ युवाओं की नाराजगी, पूर्व में भी निर्वतमान मुख्यमंत्री रघुवर दास के फेसबुक पेज पर देखने को बराबर मिलती थी, जिसका जिक्र विद्रोही24 डॉट कॉम किया करता था।
जरा देखिये, आज की क्या स्थिति हैं? और युवा किस प्रकार से अपने गुस्से को प्रकट कर रहे है। दीपक गुप्ता कहते हैं, आप अपने अभिमान से हारे हैं, क्यों हारे ये सोचने की बात है, इन्सान को कभी अभिमान नहीं करना चाहिए। टिकट देने में गलती। लोकल मुद्दे को नजरदांज करना, युवाओं की भावनाओं को नहीं समझना, बेरोजगारी, गरीबी बहुत ऐसे कारण रहे, जो हार की वजह बनी, दिल तो दुखता है क्योंकि भारतीय जनता पार्टी की सरकार नहीं बनी।
धनन्जय मेहता कहते है – हुनर होना चाहिए, मंत्री होने से कोई शासक थोड़े होता है, आप ही ने सिखाया था कि डिग्री से रोजगार नहीं मिलती हैं, हाथ में हुनर होना चाहिए। अब आप हुनर का सही अर्थ सर जी समझ गये होंगे, शायद आपको मेरा कमेन्ट अच्छा नहीं लगा हो, पर जिस दिन विद्यार्थी को हुनर बोल कर दर्द दिये थे न उस दिन…
अंशुमान कुमार कहते है कि पांच साल में एक भी जेपीएससी ना हुआ और यूथ से वोट मांग रहे थे।
निशांत सोनी तो व्यंग्य करते हुए लिखते है कि सर आप बस इतना बताये कि आप वोट किसको दिये थे।
संदीप कुमार वर्मा – बहुत ही सुन्दर काम किये थे आप। जैसे कि बाहरी लोगों को नौकरी देना। लाठी चार्ज करना। हुनर बताना। अब आप को पता चल गया होगा।
प्रभंजन पांडेय – आपके हुनर ने तो झारखण्डियों का हुनर छीन लिया और आज बकलोली करके खुद का भी हुनर छीन लिए। दुबारा मंत्री तो छोड़ दो, पंचायत चुनाव वार्ड पार्षद में भी आप जीतने से रहे। जय हो …. अंतिम बार।
मो. मोइन – काश आप जेपीएससी, पारा टीचर, सीएनटी, एसपीटी, आंगनवाड़ी सेविकाओं, जमीन आंदोलन में लाठी की जगह बातों से समस्याओं को सुलझाते।
नन्द किशोर शुक्ला – काश किसी का भी तो सुन लिये होते। 38 छुट्टी में से 20 काट कर 18 छुट्टी में पुरा साल। बिना 13 माह का वेतन दिये। एक सिपाही बहुत कष्ट में अपने घर परिवार से दूर ड्यूटी करता है, उसके साथ धोखा? हाय लगी है।
रामानुज दूबे – अच्छा किये, अब पांच साल मौन बने रहिये, बहुत चौपाल किये, और रिजल्ट दिख ही रहा है।
विवेक सहाय – मजा आ गया सर, आपको जरुरी था ये हार, घमंड की हार हुई आज।
अभिषेक सिंह चौहान – सर, इस्तीफा से काम नहीं चलेगा, कहिये तो कल का बस में टिकट रखवा दूं, छत्तीसगढ़ जाने का, अहंकारी को अहंकार ही मारता है, गुड बाय रघुवर चचा।
रिंकू वर्मा – जीतने के लिए हुनर चाहिए, ऐसे कोई भी नेता जीत जायेगा, यह आपका ही बोला गया शब्द है, कि नौकरी के लिए हुनर होना चाहिए, डिग्री से सरकारी नौकरी नहीं होता, इसलिए जनता आपका हुनर देखना चाहती है, काम तो आपने कुछ भी नहीं किया।