मुख्यमंत्री के सचिव पद से सुनील बर्णवाल को हटाकर CM हेमन्त सोरेन ने पहला दाग धोने का किया प्रयास
सुनील बर्णवाल को मुख्यमंत्री के सचिव एवं सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के सचिव पद से मुक्त कर CM हेमन्त सोरेन ने पहला दाग धोने का सफल प्रयास किया है। सुनील बर्णवाल को 30 दिसम्बर को ही इन दोनों पदों से मुक्त कर दिया गया तथा इन्हें वर्तमान में कार्मिक, प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग में पदस्थापन के लिए योगदान करने को कहा गया है।
जैसे ही सुनील बर्णवाल को इन दोनों पद से मुक्त करने का आदेश जारी हुआ, स्वयं भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों में हर्ष की लहर दौड़ गई। बताया जाता है कि ये पिछले पांच वर्षों से स्वयं को मुख्यमंत्री से कम नहीं समझ रहे थे, अपने से कनीय अधिकारियों के साथ इनका व्यवहार हमेशा चर्चा में रहता था, ये किसी को समझते ही नहीं थे, भरी सभा में किसी को भी बेइज्जत कर देना, उसे नीचा दिखाना इनका शगल रहता था।
यहीं नहीं इन्होंने सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग को जैसे पाया, वैसे नचाया। अगर इनकी गतिविधियों की सही-सही जांच हो जाये, तो निश्चय ही ये आराम से फंसते हुए नजर आयेंगे। मोमेटंम झारखण्ड में प्रचार-प्रसार के लिए विभिन्न कंपनियों को जिस प्रकार बुलाया गया और जिस प्रकार जनता की गाढ़ी कमाई को रघुवर दास के इमेज को चमकाने के लिए लूटा दी गई, वो शर्मनाक है, राजनीतिक पंडितों की मानें तो इस पूरे प्रकरण की अब मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को जांच करानी चाहिए।
मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र के नाम पर चल रही जहांगीरी घंटी पर इनका सीधा हस्तक्षेप रहता था, वहां जो भी गलत काम होता, ये उन गलतियों को ढंकने का काम करते। याद करिये, जब संजय कुमार मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव थे, उस वक्त मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र में कार्यरत दो लड़कियों ने यहां हो रहे दुर्व्यवहार को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से शिकायत की थी।
रांची के सारे अखबारों-चैनलों ने इस मामले को दबाने की कोशिश की थी, क्योंकि उन्हें डर था कि कही इस मामले को चलायेंगे या दिखायेंगे तो सुनील कुमार बर्णवाल नाराज हो जायेंगे और उन पर विज्ञापन की मार पड़ जायेंगी, पर विद्रोही24.कॉम इस मुद्दे को उठाया। इसी बीच संजय कुमार ने एक कमेटी बना दी, उस कमेटी ने स्वीकार किया कि मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र में गड़बड़ियां हैं, पर उस जांच रिपोर्ट को इन्होंने दवाब दिया और नये सिरे से महिला आयोग को जांच करने को कहा।
महिला आयोग ने केवल मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र के लोगों से एकपक्षीय बातचीत की और जो सुनील कुमार बर्णवाल चाहते थे, वैसा ही रिपोर्ट बनाकर दे दिया, जिसमें उन दो लड़कियों को ही दोषी ठहरा दिया गया, जिन्होंने न्याय की गुहार लगाई थी, जबकि सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग में बनी यौन-उत्पीड़न कमेटी के अध्यक्ष व सदस्यों से बातचीत करना महिला आयोग ने जरुरी नहीं समझा, अब सवाल उठता है कि महिला आयोग, महिलाओं के सम्मान की रक्षा के लिए बना है, या महिलाओं को अपमान करने के लिए बना हैं।
यहीं नहीं इनके इशारों पर आइएएस की पत्नियों का समाचार आइपीआरडी की साइट पर लोड होता था, जबकि आइपीआरडी की साइट केवल मुख्यमंत्री और उनकी सरकार के क्रियाकलापों से संबंधित न्यूज के लिए ही होता है, यहीं नहीं जिन-जिन पत्रकारों ने गलत का विरोध किया, इन्होंने उसे आउट करना शुरु किया और जिन्होंने इनके आगे-पीछे वाह-वाह करना शुरु किया, वे उनके आगे विज्ञापन की मुंहमांगी राशि के टुकड़े फेंकते रहे और वे पत्रकार उन टुकड़ों को लेने के लिए इनके आगे-पीछे दौड़ते रहे।
यहीं नहीं, लोग बताते है कि जो लोग इनसे मिलने जाते थे, उन्हें ये जनाब घंटों बैठा दिया करते थे, जिसको लेकर एक फिल्म निर्देशक ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई थी, जो चर्चा का विषय बना, अब चूंकि इन्हें कार्मिक विभाग में पदस्थापन के लिए भेज दिया गया है, आइएएस के एक बड़े समूह में हर्ष की लहर देखी जा रही है। लोगों ने राहत की सांस ली है। सभी ने मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के इस निर्णय की मुक्तकंठ से प्रशंसा की है।
राजनीतिक पंडितों का कहना है कि सुनील कुमार बर्णवाल को सुखदेव सिंह से सीखना चाहिए कि वे रांची के डीसी भी रहे, एक मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव भी रहे, सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग के प्रधान सचिव भी रहे, अन्य विभागों में भी योगदान दिया, कई मुख्यमंत्री आये और गये, पर उन पर एक भी दाग नहीं, यहां तक की इसी रांची के किसी अखबार के प्रधान या किसी भी टाइप के संपादक की हिम्मत नहीं कि उनके आंखों में आंख डालकर बात कर सकें।
एक घटना का तो मैं खुद गवाह हूं, मैं एक अखबार के कार्यालय में बैठा था, उसी वक्त सुखदेव सिंह धड़ल्ले से प्रधान संपादक के कक्ष में गये और वहां बैठे संपादक की बाट लगा दी, और गुस्से से उनके कक्ष से निकल गये, हाल ही में मुख्यमंत्री रघुवर दास के सामने ही एक आइएएस की उन्होंने बाट लगा दी, जब उसने झूठ बोलने की कोशिश की।
कहने का तात्पर्य है कि आप भारतीय प्रशासनिक सेवा से जुड़े हैं तो अपने काम में ईमानदारी बरतिये, न कि व्यक्ति विशेष पर, न कि अपने पद का दुरुपयोग कीजिये, नहीं तो वहीं होगा, जो आप झेल रहे हैं। ऐसे भी आप सुखदेव सिंह किसी जिंदगी में नहीं बन सकते, क्योंकि आप पर इतने दाग है कि उस दाग को छुड़ाने में आपका जीवन चला जायेगा, और अगर मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने सही मायनों में जांच बैठा दी तो समझ लीजिये क्या होगा?