कांग्रेसी MLA इरफान ने स्पीकर के सम्मान को ठेस पहुंचाया, नहीं मानी बात, भाजपा ने उठाए सवाल
जामताड़ा के कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी ने गजब कर डाला। जब विधानसभाध्यक्ष रवीन्द्र नाथ महतो ने उनसे अपने वक्तव्य के लिए खेद प्रकट करने को कहा, तब उन्होंने कहा कि वे खेद प्रकट नहीं करेंगे। फिर क्या था, विपक्ष में बैठे भाजपाइयों ने बवाल मचाना शुरु किया, वेल में आ गये। सदन आर्डर में नहीं था, सदन में अव्यवस्था फैलता देख, स्पीकर ने सदन कुछ समय के लिए स्थगित कर दी।
जब इरफान अंसारी अपना वक्तव्य सदन में दे रहे थे, उस वक्त राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा चल रही थी। जिस चर्चा में कांग्रेस की ओर से इरफान अंसारी अपना वक्तव्य दे रहे थे। इस वक्तव्य के दौरान उन्होंने तबरेज अंसारी का मुद्दा उठाया और उसकी हत्या के लिए भाजपा और आरएसएस को जिम्मेदार ठहरा दिया।
तबरेज अंसारी की हत्या का मामला भाजपा और आरएसएस के मत्थे मढ़ देने पर पूरा विपक्ष गरमा गया, और इरफान अंसारी से अपने दिये गये वक्तव्य के लिए माफी मांगने को कहा, पर इरफान अंसारी माफी मांगने को तैयार नहीं थे, उन्होंने कहा कि उन्होंने जो भी बोला है, वो सही बोला है। इसी बीच भाकपा माले के विनोद कुमार सिंह ने इरफान अंसारी के वक्तव्य का समर्थन कर दिया कि पिछले पांच साल में जो भी राज्य में मॉब लिंचिंग की घटना हुई। उसमें आरएसएस और भाजपा के लोग ही शामिल थे, इससे इनकार नहीं किया जा सकता।
इसी बीच भाजपा की ओर से पूर्व नगर विकास मंत्री सीपी सिंह ने मोर्चा संभाला तथा स्पीकर से कहा कि इरफान अंसारी द्वारा दिये गये सारे वक्तव्य को विधानसभा की कार्यवाही से निकाला जाय और इरफान अंसारी को कहा जाय कि वे अपने वक्तव्य के लिए माफी मांगे। इधर सदन को आर्डर में लाने के लिए, स्पीकर ने इरफान अंसारी के सारे वक्तव्य को विधानसभा की कार्यवाही से निकालने का आदेश दिया तथा इरफान अंसारी को कहा कि वे अपने दिये गये वक्तव्य पर माफी मांगे, पर इरफान माफी मांगने को तैयार नहीं थे।
इधर विपक्ष इरफान अंसारी से माफी मांगने के अपनी मांग पर अडिग रहा और कहा कि जब तक इरफान अपने किये गलती की माफी नहीं मांग लेते, सदन नहीं चलेगा। इधर बार-बार स्पीकर ने इरफान अंसारी से खेद प्रकट करने को कहा, पर इरफान अंसारी नहीं माने, और इधर स्पीकर ने सदन को स्थगित कर दिया।
राजनीतिक जानकारों की मानें, तो हर विधायक को चाहिए कि सदन में स्पीकर का सम्मान करें, उनके द्वारा जो आदेश दिये जाये, उसका पालन करें, क्योंकि स्पीकर होता तो किसी दल का है, पर स्पीकर के पद पर वह सभी का हो जाता है, उसका सम्मान सदन का सम्मान है, पर जिस प्रकार से कांग्रेसी विधायक जिनके समर्थन से सरकार चल रही हैं, विधानसभाध्यक्ष के आदेश को मानने से इनकार किया, वो बताता है कि इरफान अंसारी का व्यवहार सदन के अनुकूल नहीं है, उनकी इस गलती को माफ नहीं किया जा सकता।
राजनीतिक जानकार बताते है कि जब सत्तापक्ष के लोग ही अपने स्पीकर की बात नहीं मानेंगे तो विपक्ष की क्या गारंटी की, वो स्पीकर की बात मानें। वो तो साफ आरोप लगायेगा कि चूंकि स्पीकर सत्तापक्ष के हैं, इसलिए उनकी बातें नहीं सुनी जा रही हैं, चूंकि पंचम विधानसभा का यह पहला सत्र, वह भी तीन दिन का, राज्यपाल के अभिभाषण पर जो मुद्दे थे, उन मुद्दों को छोड़कर, जिस प्रकार इरफान अंसारी ने अपने मन से मुद्दे उठाकर सदन को गरमाने की कोशिश की।
कोई भी व्यक्ति जिसे थोड़ी भी राजनीतिक या बौद्धिक समझ हैं, सही नहीं ठहरायेगा। अच्छा रहेगा कि कांग्रेस के लोग अति उत्साह में इस प्रकार की गलतियों को बार-बार दुहराने की कोशिश नहीं करें, नहीं तो कांग्रेस का किया ये कार्य झामुमो या महागठबंधन पर भारी पड़ जायेगा, और एक अच्छी सरकार जो अब तक बेहतर कदम उठाई हैं, उसके लिए कांग्रेसी विधायकों का यह व्यवहार सदा के लिए सिरदर्द बन जायेगा।
तब फिर आवाज उठाने के लिए मुंह खोलने का जगह भी नही रहेगा।।।