चूंकि बीस सालों से झारखण्ड में राजपूत मंत्री बनता आया है, इसलिए इस बार भी राजपूत मंत्री बनाओ
चूंकि पिछले बीस सालों से यानी जब से झारखण्ड बना है, हर सरकार में राजपूतों को प्रतिनिधित्व मिला है, मंत्री पद मिला है, इसलिए इस हेमन्त सरकार में भी एक राजपूत को मंत्री बनाना चाहिए, क्योंकि एक मंत्री पद खाली है, इस एक पद पर राजपूत समुदाय से आये एक व्यक्ति को मंत्री बनाना चाहिए, ये कहना है अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा का।
अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा का कहना है, कि चूंकि इस बार सात राजपूत विधायक विधानसभा चुनाव में विजयी हुए हैं, जिसमें पांच विधायक महागठबंधन को समर्थन कर रहे हैं। जिसमें प्रमुख रुप से एनसीपी से कमलेश सिंह, कांग्रेस से राजेन्द्र सिंह, निर्दलीय विधायक सरयू राय प्रमुख है।
महासभा आगे यह भी कह रही है कि हेमन्त सरकार को राजपूतों की भावनाओं को कद्र करना चाहिए, उनके पास ऑप्शन भी हैं, यह संभव भी हैं, इसलिए राजपूत समुदाय से एक को मंत्री बनाया जाये। अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा ये सवाल ऐसे ही नहीं उठा रही हैं, खुद को बुद्धिजीवी बतानेवाले पत्रकारों का एक बहुत बड़ा वर्ग जो विभिन्न अखबारों में अपनी सेवाएं दे रहा है, उसने भी इस मांग को पूरा करने के लिए इस प्रकार के आंदोलन को हवा दी है, आप कह सकते है कि आग में घी डालने का काम किया है।
अब सवाल उठता है कि जब एक जातीय संगठन ने अपने जातीय आधार पर मंत्री पद की डिमांड कर दी हैं, साथ ही यह भी हवाला दे दिया है कि 20 सालों से यह चलता रहा हैं तो क्या एक मंत्री पद राजपूतों के लिए सदा के लिए आरक्षित कर दिया जाना चाहिए? और अगर राजपूतों के लिए एक मंत्री पद आरक्षित कर दिया जाये तो बाकी की जातियां जिनकी संख्या बहुतायत हैं, उनके लोग क्या करेंगे? उनके समुदाय के लोग मंत्री कब बनेंगे? यह भी जाति आधार पर मंत्री पद मांगनेवाले डिसाइड कर दें, तो और बड़ी कृपा होगी।
एनसीपी के कमलेश सिंह को मंत्री बना दिया जाना चाहिए, क्योंकि वे एनसीपी से हैं, वे सरकार को समर्थन दे रहे है, बस इसलिए हैं न। क्या रांची की जनता भूल गई कि ये वहीं कमलेश सिंह हैं, जिन्होंने मंत्री रहते हुए अपनी बेटी की शादी इस प्रकार से की कि जिस दिन इनकी बेटी की शादी थी, उस दिन अन्य के घर में भी बेटियों की बारात आ रही थी, क्या कमलेश सिंह बता सकते है कि उनके घर में उनकी बेटियों की बारात कब लगी थी? अरे पूरा शहर अस्त-व्यस्त था, क्या ऐसे लोग मंत्री बनेंगे, तो देश व राज्य का भला होगा?
मंत्री बनने का क्रैटेरिया अब जातीय आधार होगा या मुख्यमंत्री का विवेक चलेगा, अब मंत्री कौन बनेगा, अखबार में बैठनेवाले लोग डिसाइड करेंगे, तब तो झारखण्ड का हो गया भला, ऐसे में तो और भी जातियों के लोगों को रांची प्रेस क्लब में प्रेस कांफ्रेस आयोजित करना चाहिए कि हेमन्त सोरेन उनकी जातियों को भी प्राथमिकता दें, आखिर उनकी जातियों के लोगों ने कौन सा अपराध किया हैं? हमारा वश चलें तो हम तो देश की सारी जातियों/उपजातियों में रहनेवाले समुदाय के सभी लोगों को एक-एक मंत्री बना दें, ताकि ये समस्या ही सदा के लिए खत्म हो जाये, क्यों कैसी रही?