देते रहिये गाली मोदी को, पर अपना दीदा मत देखिये कि आपने अपने राज्य की क्या दुर्दशा कर दी?
देते रहिये गाली मोदी को, पर अपना दीदा मत देखिये कि आपने अपने स्वार्थ के लिए अपने ही राज्य को किस तरह तबाह कर दिया। मौका तो आपको भी आपके राज्यों की जनता ने दिया था, पर आपने किया क्या? आपने अपने क्षुद्र स्वार्थ के लिए अपने ही राज्य को अपने ही हाथों से तबाह और बर्बाद कर दिया।
मैं देख रहा हूं कि देश में एक प्रकार की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ ऐसी आबोहवा का इजाद किया गया है कि जिसकी कोई औकात नहीं, वो भी मोदी को गाली देने में ही समय बीता रहा है, जबकि पड़ोसी देश पाकिस्तान ही नहीं, बल्कि विश्व के कई ऐसे समृद्ध देश हैं, जो नरेन्द्र मोदी की क्षमता का लोहा मानते हैं।
याद रखिये, आप के यह कह देने से की अमेरिका का राष्ट्रपति ट्रम्प और भारत के मोदी दोनों खत्म आदमी है, ये खत्म नहीं हो जायेंगे, ये अपने-अपने देश में वहां की जनता के वोटों से चूनकर आये हैं और इन्हें गाली देना या खत्म कहना इन देशों की जनता का अपमान हैं, पर आपकी आदत हैं, अपमान करने की, तो करते रहिये।
इस देश में एक नहीं कई मुख्यमंत्री हुए, एक मुख्यमंत्री तो ऐसा हुआ कि खुद हटने के बाद अपनी पत्नी को मुख्यमंत्री बना दिया, अब चूंकि वो जेल में हैं, इसलिए वो अब बेटे को मुख्यमंत्री बनाने के लिए बेताब है, नाम है लालू प्रसाद। जिनके परिवार ने यानी लालू यादव एंड हिज फैमिली ने मार्च 1990 से लेकर फरवरी 2005 तक बिहार में शासन किया, जरा क्या लालू प्रसाद या रावड़ी देवी बता सकती हैं कि जिस प्रकार की जीवन स्तर उनके परिवारों-ससुरालवालों का हैं, वो बिहार की जनता का क्यों नहीं मिला?
सवाल तो बिहार के वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भी है कि एक समय वे भी मोदी को देखना पसन्द नहीं करते थे, पर आज मोदी स्तुति करने में लगे हैं, क्या वे बता सकते है कि शासन तो उन्होंने भी लगभग पन्द्रह साल बिहार में कर लिये, इतना शासन तो मोदी ने भी गुजरात में नहीं किये, उन्होंने बिहार की तस्वीर क्यों नहीं बदल दी?
सवाल तो वामपंथियों से भी है कि बंगाल की जनता ने ज्योति बसु को 1977 से लेकर 2000 तक अपने माथे पर बिठाये रखा, उसके बाद भी पं. बंगाल विकास की श्रेणी में पीछे क्यों रहा? वर्तमान में जो ममता बनर्जी 2011 से बंगाल की मुख्यमंत्री पद पर विराजमान है, उन्होंने बंगाल की जनता के लिए कौन सी क्रांति कर दी?
आज नरेन्द्र मोदी को देखिये, वह पहले गुजरात को बनाया और इस कदर बनाया कि आज गुजरात में विश्व के सर्वमान्य नेता उनके कहने पर पहुंच रहे हैं। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को उन्होंने अपने तरह से जमीन पर बिठाया, जब वे भारत की यात्रा पर थे, और जब वे गुजरात पहुंचे। यही नहीं अमेरिका के राष्ट्रपति को भी गुजरात बुलाया और वे गुजरात पहुंचे।
कमाल है मोदी विरोधियों ने यहां पर भी मोदी को गाली देने में गुरेज नहीं किया। सोशल साइट पर लिख रहे है कि मोदी ट्रम्प को गांधी के आश्रम ले गये, मोदी को तो ट्रम्प को नागपुर ले जाना चाहिए था, देखिये ये एक अखबार में कारपोरेट एडिटर रह चुके व्यक्ति की सोच है, देखिये इसने क्या लिखा है और इसकी सोच पर बलिहारी जाइये।
एक ने लिखा कि बापू का आश्रम, केजरी का स्कूल और ताजमहल तो दिखा दिये ट्रम्प को, मोदी जी अपना एचीवमेंट वाला टॉयलेट भी दिखा देते। कहने को तो नरेन्द्र मोदी पर यह भी इल्जाम लगेगा कि क्या नरेन्द्र मोदी गुजरात के ही सिर्फ नेता है, तो ऐसा सवाल पूछनेवाले बता दें कि क्या भारत में कोई ऐसा राज्य है, जहां गुजरात जैसी सुविधाएं मौजूद है, और अगर ट्रम्प को बिना सुविधाओं के उनके राज्यों में बुलाने की बात कर भी दी जाये, तो क्या वे उनका स्वागत उस प्रकार से करेंगे, जो उनका हक है, ये तो वहां भी राजनीति करेंगे।
कल तक अमरीकी राष्ट्रपति के आगे-पीछे करनेवाले कांग्रेसियों के स्वर इस बार बदल चुके हैं, अमरीकी राष्ट्रपति तो पूर्व में भी आ चुके हैं, पर पूर्व में क्या होता था, भारत के बाद वे पाकिस्तान भी पहुंच जाते थे, आज पहली बार हुआ कि अमरीकी राष्ट्रपति सीधे भारत और फिर यूएसए लौटेंगे, ये भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन की ही तो जीत हैं।
मैं देख रहा हूं कि पाकिस्तान के कई अखबारों ने अमरीकी राष्ट्रपति ट्रम्प के भारत दौरे को प्रमुखता दी हैं और अपने तरीके से इसका विश्लेषण किया है, लेकिन वे भी मान रहे है कि मोदी, मोदी है, और भारत को उसने ऊंचाई दी है, जो पाकिस्तान को कभी नहीं मिला। कई चैनल तो पाकिस्तान सरकार और उनके रहनुमाओं को आड़े हाथों ले रहे हैं, यानी वहां भारत की उपलब्धियों को बताया जा रहा हैं, और यहां सीएए को लेकर भारत और मोदी की छवि को बर्बाद करने का ठेका ले लिया गया है।
मोदी को गाली देनेवालों, मोदी से सीखों कि देश व अपने राज्य से कैसे प्यार किया जाता है? उससे सीखों कि देश व समाज के लिए उसने अपने परिवार तक को त्याग दिया और आप क्या कर रहे हैं, अपने परिवार और स्वार्थ के पीछे लगे हैं? आपको गुजरात का दंगा याद है, पर आप 1984 के सिक्ख दंगे, बिहार के भागलपुर के दंगे सब भूल गये।
ऐसा नहीं कि गुजरात में ही सिर्फ दंगे हुए, भारत में दंगों का इतिहास रहा हैं, और ये ज्यादातर दंगे कांग्रेस के शासनकाल में हुए, पर जिस प्रकार से गुजरात दंगे का खलनायक मोदी को बनाया गया, जिस प्रकार से मोदी को गुजरात दंगे का खलनायक बनाने में तत्कालीन रेलमंत्री लालू प्रसाद ने राजनीति कर झूठी रिपोर्ट पेश करवाई, उससे साफ पता चलता है कि देश में झूठी राजनीति के सहारे अपने चेहरे चमकाने का काम किस प्रकार हुआ है।
हालांकि पूरा देश जानता है कि गुजरात के दंगे, साबरमती एक्सप्रेस में कारसेवकों को जिंदा जला देने के विरोधस्वरुप फैले थे। जिसकी जांच कांग्रेस की मनमोहन सिंह सरकार ने करवाई, और उस रिपोर्ट में भी नरेन्द्र मोदी को क्लीनचिट ही मिली, लोगों को यह भी नहीं भूलना चाहिए कि उस दंगे में हिन्दू और मुसलमान दोनों मारे गये, जिनकी संख्या जितनी बताई जाती हैं, उतनी भी नहीं है।
आश्चर्य है, आज भी बिहार, बंगाल और अन्य राज्यों में जो तथाकथित नेता हैं, उन्होंने अपने राज्य की जनता को जाति में तोड़कर रखा। अपनी राजनीति चमकाने के लिए उन्हें वोट बैंक बनाकर रखा, पर उन्हें आगे बढ़ाने के लिए, रत्ती भर प्रयास नहीं किया। ब्राह्मण, भूमिहार, कायस्थ, राजपूत, दलित, मुस्लिम में ही बंटने और बंटवाने में भिड़े रहे, कभी खुद को एक स्वर में बिहारी कहना उचित नहीं समझा और आज एक गुजराती, जब कमाल दिखा रहा हैं, तो उसमें भी ऐब ढूंढ रहे हैं।
देखिये न एक बंदा लिख रहा है कि गुजरात की गरीबी ट्रम्प को नही दिखे, इसके लिए पीएम मोदी सड़कों के दोनों और दीवार खड़े कर रहे हैं, अरे भाई कौन ऐसा देश है, जहां गरीबी नहीं हैं, और कौन ऐसा नेता है, जो कह देगा कि वह गरीबी मिटा देगा। इंदिरा गांधी तो 1972 में गरीबी हटाओ का नारा देकर ही चुनाव लड़ी और जीती भी, तो क्या गरीबी हट गई।
क्या अमरीका में गरीबी नहीं है, गरीबी शाश्वत सत्य है, ये कोई मिटा नहीं सकता, ये शब्द ही अपने आप में व्यापक है, वो हर व्यक्ति या राज्य या देश गरीब रहेगा, जो गरीबी से लड़ना नहीं सीखेगा, जो अपना मुकद्दर खुद बनाना नहीं सीखेगा, जो जाति-धर्म से उपर नहीं उठेगा।
हमारे देश व राज्य के नेताओं व बुद्धिजीवियों ने किया ही क्या है, बस ले-देकर चमचई और इस चमचई में स्वार्थ क्या? तो बस अपने जीजा जी, शाला जी, शाली जी, सरहज जी खुश रहे, तो जहां इस प्रकार की सोच रहेगी, वो देश वो राज्य क्या तरक्की करेगा? हमने तो झारखण्ड में ही देखा कि एक मुख्यमंत्री ने अपनी ही जाति के एक व्यक्ति को अपना प्रधान सचिव बना लिया और उस प्रधान सचिव ने अपनी पत्नी और अपने ससुर के लिए अच्छी व्यवस्था करा दी और बचा खुचा तो अपनी जाति के लोगों के लिए वो हर चीज उपलब्ध करा दी।
जिस पर हक सभी का था, तो भाई आप जान लो की भाजपा में भी कई मुख्यमंत्री हुए, पर उनमें से भी मोदी एक ही हुआ, दूसरा होगा भी नहीं, क्योंकि मोदी होने के लिए, परिवार का त्याग, स्वार्थ का त्याग, दूरदृष्टि होनी जरुरी है। आप जान लीजिये, आप जितना मोदी को गाली दे लीजिये, उसका कोई बाल बांका नहीं हो सकता, क्योंकि उसने खुद को ऐसी स्थिति में ढाल लिया है कि वो प्रधानमंत्री रहे या नहीं रहे, पर उसने ऐसी व्यवस्था देश में जरुर कर दी, भारतीयों को इतना जरुर जगा दिया कि प्रशांत किशोर-रवीश कुमार जैसे लोग उसके पॉकेट में रहते हैं, ये लोग चिल्लाते रहते हैं, वो अपना काम करता रहता है, और जब तक जीवित हैं, वो करेगा।
वो ऐसा व्यक्ति है कि आप जहां से राजनीति शुरु करते हैं, वो उसी दिन उसकी पूर्णाहुति की तैयारी कर लेता हैं, अपना दिमाग दुरुस्त करिये, मोदी को गाली देने से अच्छा है कि खुद को ठीक करिये, नहीं तो कुछ नहीं मिलेगा, मोदी-मोदी रोते-रोते रह जाइयेगा। गलती मोदी में नहीं, गलती आप में हैं, आपने कभी जनता की जरुरतों को ध्यान ही नहीं दिया, आपने भविष्य में होनेवाली संकटों पर ध्यान ही नहीं दिया, जो भी ध्यान दिया, तो बस अपना और अपने ससुरालवालों पर।
आज भी पूरे देश में जहां भी भाजपा के विरोध में सरकारें चल रही हैं, सब की दशा यही है, और जो कुछ अलग है, वहां की जनता बदलाव भी ला रही हैं, पर वर्तमान को देख तो यही लगता है कि राष्ट्रीय स्तर पर जनता आज भी मोदी के साथ है, राष्ट्रीय स्तर पर मोदी का विकल्प कोई हैं ही नहीं और न आगे दिखाई पड़ रहा हैं। अभी तो आप सीएए के खिलाफ है न, जल्दी ही वह जनसंख्या नियंत्रण पर भी कानून लायेगा, जनता उसके पीछे होगी और आप ढोल बजाते रह जाइयेगा, भारतीय जनता फिर 2024 में उसी को बुलायेगी और आप राग मल्हार या राग भैरवी गाते रहिये।