अपनी बात

ये नकली हंसीवाले चेहरे से जनता धोखा खा सकती है विद्रोही24.कॉम नहीं, JMM के प्रश्न बम से मरांडी हुए घायल

जैसा कि सर्वविदित था कि भाजपा व झाविमो में सौदेबाजी के तहत आज रश्म अदायगी थी कि बाबू लाल मरांडी को भाजपा की ओर से नेता प्रतिपक्ष मनोनीत कर दिया जाय, वो रश्म अदायगी आज भाजपा कार्यालय में धूमधाम से अदा कर दी गई। दिल्ली से एक राष्ट्रीय स्तर के नेता पर्यवेक्षक मुरलीधर राव के रुप में मौजूद थे, और उनके साथ थे झारखण्ड भाजपा प्रभारी ओम प्रकाश माथुर, राष्ट्रीय महामंत्री सह राज्यसभा सांसद अरुण सिंह भी।

एक ने दिल्ली की सोच को रांची में बैठे सभी भाजपा विधायकों के समक्ष रखा, भाजपा प्रदेश कार्यालय में बैठे एक (ढुलू महतो जो फरार है) को छोड़ सभी विधायकों ने हां में हां मिला दी, क्योंकि उनके पास कोई विकल्प ही नहीं था, सभी ने मन मसोस कर, कई ने अपमान के घूंट पीकर वही कहा जो उसे नहीं कहना था, और फिर शुरु हुआ, जैसा कि होता है, दिल्ली से आये एक नेता ने प्रेस कांफ्रेस किया और बाबू लाल मरांडी को महान घोषित किया, साथ ही अपने स्वभावानुसार हेमन्त सरकार पर प्रहार करने प्रारम्भ कर दिये।

इसके बाद शुरु हुआ, बाबू लाल मरांडी को बधाई देने का दौड़, जिसमें पुराने से लेकर नये तथा बाबू लाल मरांडी के जड़ को खोदनेवाले से लेकर उन्हें महान बतानेवाले, झामुमो से भाजपा में आकर, कल्याण मंत्री भाया मुख्यमंत्री से केन्द्रीय मंत्री तक पहुंचनेवाले द्वारा बाबू लाल को बूके देकर स्वागत करने का सिलसिला और उसकी फोटो को लेकर, अपने-अपने फेसबुक पर डालने का कीर्तिमान बनाने का दौड़, सोशल साइट पर ऐसा कीर्तिमान बनानेवाले ये भूल गये कि उनकी यह फोटो, उनके अंदर की बात को बाहर लाकर प्रकट कर रही हैं, चाहे वे हंसने के क्रम में अपने दांत कितने भी बाहर क्यों न कर दें।

बाबू लाल की सामान्य हंसी और अर्जुन मुंडा की गजब की हंसी बहुत कुछ कह दे रही थी, शायद अर्जुन मुंडा का मुखमंडल तो यही कह रहा था कि फिर एक मौका मिला, आपको सही जगह ठिकाने लगाने का, एक रघुवर को तो बाहर थोड़े ही दिन पहले किया है, आपको तो पूर्व में एक बार ठिकाने लगा चुके हैं, जिसके कारण आप स्वयं भाजपा छोड़कर भाग खड़े हुए थे, आनेवाले दिन में आप कितने दिन टिकेंगे, सोच लीजिये।

जो लोग अर्जुन मुंडा को जानते हैं और जो उनकी राजनीति को जानते हैं, वे यह भी जानते है कि उनकी राजनीति-कूटनीति सामनेवाले को पता ही नहीं चलती और वह काम भी कर जाती है। एक घटना बताता हूं, बात 2005 झारखण्ड विधानसभा चुनाव की है। भाजपा प्रदेश कार्यालय में प्रेस कांफ्रेस आयोजित था। भाजपा के बड़े नेता राजनाथ सिंह प्रेस कांफ्रेस को संबोधित करनेवाले थे। उस वक्त भाजपा की ओर से हमें बड़े ही आदर से प्रेस कांफ्रेस को कवर करने के लिए आमंत्रित किया जाता था, अब तो हमें भाजपा प्रदेश कार्यालय से आमंत्रित ही नहीं किया जाता, बल्कि आने से ही मना कर दिया गया है, इसलिए मैं जाने की कोशिश भी नहीं करता।

खैर, उस वक्त राजनाथ सिंह के अगल-बगल में बाबू लाल मरांडी और अर्जुन मुंडा बैठे थे। मेरा सवाल राजनाथ सिंह से न होकर इन दोनों नेताओं से था। मेरा सवाल था – बाबू लाल मरांडी और अर्जुन मुंडा से कि मैं जानता हूं कि विधानसभा चुनाव में फिर भाजपा को सफलता मिलेगी, ऐसे में राज्य का मुख्यमंत्री आप दोनों में से कौन होगा? बाबू लाल मरांडी ने (वाजपेयी-आडवाणी शैली में) कहा – निश्चित तौर पर अर्जुन मुंडा बनेंगे, पर अर्जुन मुंडा ने सीधे कहा कि पार्टी जो उन्हें दायित्व सौपेंगी, उसका निर्वहण करेंगे।

कहने को तो वे यह भी कह सकते थे कि बाबू लाल मरांडी बनेंगे, पर उन्होंने ऐसा नहीं कहा। क्योंकि वे उस वक्त बाबू लाल मरांडी को फूटी आंखों से भी देखना पसन्द नहीं करते थे। यह वह वक्त था – जब आडवाणी और वाजपेयी में प्रधानमंत्री बनने की जब भी बात आती तो दोनों एक दूसरे को प्रधानमंत्री बनाने की बात करते, पर सच्चाई यही है कि वक्त जब आया तो वाजपेयी जी ही प्रधानमंत्री बने और आडवाणी जी की भूमिका उसमें उल्लेखनीय रही, लेकिन ये बातें झारखण्ड में कभी नहीं दिखाई दी, क्योंकि इन दोनों नेताओं ने वाजपेयी और आडवाणी का नाम तो खूब लिया पर इन दोनों से कुछ सीखा ही नहीं।

इधर बाबू लाल मरांडी द्वारा नेता प्रतिपक्ष की बधाई स्वीकार कर लेने के बाद, झारखण्ड मुक्ति मोर्चा ने करारा प्रश्न बम फोड़ दिया हैं। झामुमो नेता सुप्रियो भट्टाचार्य ने इतने प्रश्न बम फोड़े हैं, कि ईमानदारी से इसका जवाब न तो बाबू लाल मरांडी के पास हैं और न इन भाजपाइयों के पास।

झामुमो नेता सुप्रियो भट्टाचार्य ने पूछा है कि क्या बाबू लाल मरांडी नेता प्रतिपक्ष के रुप में सदन में सीएम हेमन्त सोरेन के समक्ष यह सवाल उठायेंगे, जो विधानसभा चुनाव के दौरान जनता और पूर्व में हर जगहों पर रखा करते थे कि… पिछली सरकार के शासनकाल में जो उच्च न्यायालय के भवन निर्माण में पांच हजार करोड़ रुपये तक ज्यादा घोटाला हुआ, इसकी जांच होनी चाहिए।,

मॉब लिंचिग को लेकर जयंत सिन्हा पर की गई टिप्पणियां, ढुलू महतो के विगत पांच वर्षों में यशस्वी (यौनाचार) पूर्ण कार्यों, 1932 के खतियान, रैयतों की जमीन को लूट कर जो अडानी पावर प्लांट लगाया गया, जिस पर उन्होंने भी आंदोलन किया, उनके विधायक को जेल जाना पड़ा, क्या ये सभी सवाल ईमानदारी पूर्वक सदन में उठायेंगे। राजनीतिक पंडितों के अनुसार इतनी हिम्मत अब बाबू लाल में नहीं कि वे इस प्रकार के सवाल सदन में रख सकें, और ऐसा नहीं करने पर निश्चित ही जनता के बीच उनका जो कद हैं, वो नीचे की ओर घिसकेगा।

बाबू लाल मरांडी और भाजपाइयों द्वारा मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के खिलाफ टिवटर पर किये जा रहे तंज पर झामुमो सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि इन लोगों को अपने पीएम मोदी, विदेश मंत्री और रेल मंत्री से भी राय ले लेनी चाहिए। ये टिवटर पर जन-भागीदारी दिखाये तो सही, और झामुमो करें तो गलत, पता नहीं इतनी बुद्धिमानी बाबू लाल मरांडी और भाजपा के नेता कहां से ले आते हैं?