बड़े मियां (बाबू लाल मरांडी) तो बड़े मियां, छोटे मियां (स्पीकर, रवीन्द्र नाथ महतो) सुभानल्लाह
भाई, झारखण्ड विधानसभाध्यक्ष रवीन्द्र नाथ महतो जी, आप जनता को यह बताइये कि 28 फरवरी से विधानसभा का बजट सत्र आहूत है। बजट सत्र के पूर्व भाजपा के विधायकों ने झारखण्ड विकास मोर्चा से आयातित एक नेता बाबू लाल मरांडी को अपने विधायक दल का नेता चुन लिया। अब झूठ हो या सच, चुनाव आयोग ने भी इस बात को स्वीकार कर लिया है कि झारखण्ड विकास मोर्चा का सैद्धांतिक रुप से भाजपा में विलय हो चुका है, तो फिर आप किस आधार पर इस मामले को अभी तक लटका रहे हैं?
आप कौन ऐसे महान विधि विशेषज्ञों से वार्ता कर रहे हैं, जो आपको अभी तक सही जानकारी नहीं दे पाये हैं, आज के इस इंटरनेट के युग में जहां पल भर में हर सही-गलत का पता लग जाता है, आप किस ग्रह या उपग्रह के महान विधि-विशेषज्ञों से राय ले रहे हैं, कि अभी तक आपको सही राय नहीं मिल पा रही हैं? और झारखण्ड में नेता प्रतिपक्ष होगा भी या नहीं, इसका निर्णय लेने में आपको बहुत भारी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है?
हालांकि जिनके घर शीशे के होते हैं, उन्हें किसी दूसरे के घर में पत्थर नहीं फेंकना चाहिए, ये बात बाबू लाल मरांडी को मालूम होना चाहिए, आज जिस प्रकार से वे विधानसभा में दार्शनिक बने हुए थे, और दार्शनिक बनने के क्रम में उन्होंने कह दिया कि उनके विधायक आज के बाद से कभी नेता प्रतिपक्ष की मांग को लेकर सदन बाधित नहीं करेंगे। बाबू लाल मरांडी का यह कहना कि सत्ता पक्ष में से ही किसी को नेता प्रतिपक्ष बना देना चाहिए। यह सारी बात बाबू लाल मरांडी के अंदर भरी कुंठा को प्रदर्शित कर रही है, ऐसा नहीं कि बाबू लाल मरांडी को झारखण्ड की जनता नहीं जानती।
सच्चाई तो यह है कि किसी को भी अपनी क्षुद्र स्वार्थ की पूर्ति के लिए सदन को बाधित नहीं करनी चाहिए। सदन जनता की समस्याओं के निराकरण और उनकी चर्चा के लिए है, न कि नेता विरोधी दल कौन होगा? इसके लिए सदन को बंधक बनाने की प्लान को मूर्तरुप देने का स्थल। बाबू लाल मरांडी को यह स्वीकार करना चाहिए कि उनके विधायकों ने पिछले कई दिनों से सदन में हंगामा कर क्षुद्र स्वार्थ की पूर्ति के लिए सदन को बंधक बनाये रखा।
राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को भी अपना दिल बड़ा करना चाहिए, जब वे पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ स्वयं के द्वारा दर्ज कराई गई प्राथमिकी को जब वापस ले सकते हैं तो फिर बाबू लाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष का दर्जा देने में देरी नहीं लगानी चाहिए। उन्हें स्पीकर से इस संदर्भ में बात करनी चाहिए तथा समस्या का निराकरण करना चाहिए, क्योंकि जब कभी आप समस्या को किसी कारण लटकायेंगे, वो समस्या आपके लिए एक बड़ी मुसीबत आगे चलकर बन जायेंगी, इसलिए नेता प्रतिपक्ष के घाव का आपरेशन जितना जल्द हो, वह हो जाना चाहिए।
विधानसभाध्यक्ष रवीन्द्र नाथ का सदन में बाबू लाल मरांडी से नेता प्रतिपक्ष के मुद्दे पर यह कहना कि वे सदन पर अंगूलियां उठा रहे हैं, दरअसल इसका मौका भी स्पीकर साहेब आपने ही दिया है, आखिर आपको कितना मौका मिलना चाहिए, कब तक इस समस्या का हल निकालेंगे, क्या आपको नहीं पता कि देरी होने से असंतोष बढ़ता है?
कि आपको यह नहीं मालूम कि देर से मिला न्याय भी अन्याय के बराबर होता है? कि आप बाबू लाल मरांडी और भाजपा को सबक सिखाने को तैयार है कि आपकी भाजपा ने भी तो दलबदलूओं के मुद्दे पर पांच साल लगा दिये थे, अगर ऐसा आपने इस प्रकरण पर सोचा भी हैं तो हमें लगता है कि यह झारखण्ड के लिए दुर्भाग्य है। ऐसे विद्रोही24.कॉम ने जो आपको नजदीक से देखा हैं, उसमें आप स्पीकर के रुप में कही से फिट नहीं बैठते, ऐसे आप स्पीकर बन जाये या और कुछ बन जाये, इससे हमें क्या मतलब? शुरुआती ही दौर में सदन का हंगामें की भेंट चढ़ जाना यह स्पीकर के लिए भी दुर्भाग्य ही है।