जब जिंदा रहियेगा, तभी PM मोदी को कोस पाइयेगा, इसलिए पहले जिंदा रहने के लिए मोदी के “जनता कर्फ्यू” में शामिल होइये
पूरे विश्व में भारत ही एक ऐसा देश हैं, जहां ज्यादा पढ़े-लिखे लोग किसी भी अच्छे काम की हवा निकालने में सबसे आगे रहते हैं। ऐसे लोग तो खुद कोई अच्छा काम नहीं करते, पर जो कर रहा होता है, उसके कामों में टांग अड़ाने, उसे भला-बुरा कहने से नहीं चूकते। अब देखिये न, पूरा विश्व कोरोना वायरस से कराह रहा हैं, चीन और इटली में तो इस बात को लेकर चर्चा हो रही है कि दोनों देशों में सर्वाधिक कोरोना वायरस से कहां मरा हैं, जबकि कोरोना वायरस का दंश चीन के बाद पश्चिमी देशों से होता हुआ, भारत और पाकिस्तान जैसे देशों में भी तबाही मचाने के लिए दस्तक दे चुका है।
कोरोना वायरस से भारत ओर दक्षिण एशियाई देशों को बचाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द मोदी के प्रयासों की सर्वत्र प्रशंसा हो रही हैं, उनके द्वारा चलाये जा रहे जन-जागरण तथा लिये जा रहे कुछ फैसलों की सारा विश्व सराहना कर रहा हैं, पर अपने देश में एक ऐसा वर्ग भी है जो कोरोना वायरस के इस दहशत में भी पीएम मोदी को कोसने से नहीं चूंक रहा।
कल जैसे ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्र के नाम संदेश दिया, उनके चाहनेवाले तथा जो उन्हें नहीं चाहते हैं, वे भी पीएम मोदी के उन बातों को समर्थन करने में लग गये, जो पीएम मोदी ने देश की जनता से अपील की थी। नरेन्द्र मोदी ने जनता से आह्वान किया कि आगामी 22 मार्च को देश की सारी जनता सुबह सात बजे से लेकर रात्रि के नौ बजे तक जनता कर्फ्यू में भाग लें, ताकि कोरोना वायरस से हम एक साथ लड़ने में अपनी सहभागिता बना सकें।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस विपरीत परिस्थितयों में भी जो लोग देश की सेवा में निस्वार्थ भाव से लगे हैं, उनकी ओर कृतज्ञता ज्ञापित करने के लिए उसी दिन सायं पांच बजे पांच मिनट के लिए तालियां या घंटिया या थाली बजाने का अनुरोध किया और लीजिये यहीं से शुरु हो गया, पीएम मोदी की खिंचाई का काम।
जिन्होंने कोरोना वायरस से लड़ने के लिए आस-पास की सफाई के लिए कभी जिंदगी में झाड़ू तक नहीं पकड़ा होगा, उनलोगों ने पीएम मोदी की खिचाईं और मजाक उड़ाना शुरु कर दिया। ऐसे लोगों में साहित्यकार और पत्रकार ही नहीं, बल्कि हर वर्ग के लोग थे, और एक समुदाय तो जैसे लगता है कि जब तक पीएम मोदी जिन्दा रहेंगे, उन्हें वो खलनायक ही समझता रहेगा, चाहे पीएम मोदी इनके लिए कुछ भी कर दें, चाहे वे ईरान या सउदी अरब में फंसे लोगों को सकुशल विमान से भारत ही क्यों न बुलवा लें, पर क्या करें, उन्हें पीएम मोदी को गाली तो देनी है।
झारखण्ड में एक बात की खुशी है कि कोरोना को लेकर ज्यादातर विपक्षी दलों ने पीएम मोदी के इस अनुरोध को स्वीकारा ही नहीं, बल्कि लोगों से इसमें सहर्ष शामिल होने का अनुरोध भी किया, तथा लोगो से जनता कर्फ्यू को सफल करने की भी अपील की, पर कुछ लोग ऐसे निकले, जिन्होंने इस जनता कर्फ्यू की हवा निकालने में भी देऱ नहीं की, उसमें ऐसे लोग भी है, जो खुद को महान से कभी कम नहीं समझे, जरा देखिये उनकी ओछी हरकत।
संजय कुमार सहाय पत्रकार है, जनाब इधर पीएम मोदी से कुछ ऐसे खफा है कि उनकी हर बात ही खराब लगती है, जैसे देखिये उन्होंने क्या लिख दिया – “मोदी जी का सतर्कता पर केन्द्रित राष्ट्र के नाम संबोधन नावेल कोरोना वायरस पर होता तो बेहतर होता,पर यहां तो मनोबल बढ़ाने के बजाय, उन्होने दहशत के विषबेल बो दिये, वाह रे राष्ट्रीय नेतृत्व के मार्गदर्शन।”
एक ने सवाल कर दिया कि कितनी देर थाली बजानी है? और उस पोस्ट में एक खुद को वरिष्ठ साहित्यकार बताने वाला हृषीकेश सुलभ जैसा शख्स लिखता है कि “जब तक फूटे नहीं,तब तक” अब आप इस व्यक्ति का सोच देख लिजिये, कितना क्रूरता से भरा है, जबकि यह आकाशवाणी जैसे संस्थाओं में कार्य कर चुका है।
इसी पोस्ट पर सीमा सिंह लिखती है कि “साथ में सोहर भी गाना है क्या?” ये कुछ उदाहरण है, जो बताते है कि यहां के लोगों की प्राकृतिक आपदा आने पर क्या सोच रहती हैं, अब यही प्राकृतिक आपदा सीमा सिंह और हृषीकेश सुलभ जैसे लोगों के घरों में नृत्य नाटिका प्रस्तुत करने लगे तो क्या ये लोग इसी तरीके की बात करेंगे, इस सवाल का भी जवाब देने के लिए इन्हें तैयार रहना चाहिए?
कम से कम शर्म आनी चाहिए ऐसे लोगों को एक तो आप काम करेंगे नहीं और दूसरे को काम करने नहीं देंगे। कई सज्जन तो देश में कई जगहो पर शाहीनबाग के नाम पर चल रहे आंदोलन को अब भी हवा देने से बाज नहीं आ रहे, उनका मानना है कि कोरोनावायरस का यहां प्रभाव ही नहीं पड़ेगा, और तर्क क्या दे रहे हैं कि हमारे यहां नमाज पढ़ी जाती हैं, पांच-पांच बार वजू किया जाता है, भला उन्हें कोरोना वायरस का खतरा कैसे हो सकता है?
जबकि विश्व के कई इस्लामिक देशों ने कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए कई महत्वपूर्ण निर्णय ले लिये हैं और इस खतरे से बचने का उपाय ढुंढने में लगे हैं, पर भारत में क्या हो रहा हैं? तो लोग कोरोना वायरस से लड़ने के बजाय, पीएम मोदी पर ही सवालिया निशान उठा रहे हैं। हमारा मानना है कि देश रहेगा और आप जिन्दा रहेंगे तभी मोदी को बार-बार कोस सकेंगे और इस कोसने के लिए भी आपका जिन्दा रहना जरुरी हैं।
इसलिए कम से कम खुद को जिन्दा रखने के लिए पीएम मोदी की बात मानिये, दूसरे को आप बीमारी न दे सकें, इसके लिए ऐहतियात बरतिये। कोरोनावायरस को लेकर पीएम मोदी के मुहिम को नुकसान मत पहुंचाइये, हर बात में पीएम मोदी को नीचा दिखाने की आदत कोरोना वायरस के खिलाफ चल रहे जंग को नुकसान ही पहुंचायेगा।
नमस्कार!
बम बम भोले!!
आपकी सहमत हूं।लेकिन मेरा एक सवाल है-
क्या हमारे देश का विज्ञान व स्वास्थ्य से संबंधित मंत्रालय नकारा है? जो बात हमारे प्रधानमंत्री कह रहे हैं वही बात क्या यह दोनों मंत्रालय नहीं कह सकते थे?