कोरोना का असर, पढ़े-लिखे जाहिलों ने गरीबों का जीना किया दुश्वार, प्रशासन लाचार, राशनवालों ने दिखाया अपना असली चेहरा, सभी समानों के बढ़ाए दाम
जैसा कि सर्वविदित था और वही हुआ, उधर हेमन्त सरकार ने लॉकडाउन की घोषणा की, और इधर पढ़े-लिखे जाहिलों ने राशनों की दुकान पर भीड़ बढ़ा दी। इन पढ़े-लिखे जाहिलों को लगा कि अब देश की मिट्टी चावल-दाल, और अन्य सामग्रियां उपजाना ही बंद कर देगी, और लीजिये राशन दुकानों पर ऐसे उमड़ पड़े और लंबी-लंबी सूची दुकानदारों को थमाने लगे कि इन दुकानदारों की बांछे खिल गई।
आश्चर्य तो इस बात की भी रही कि जिन दुकानों में कल तक कुत्ते भूंका करते थे, जहां एक भी आदमी राशन के लिए खड़ा नहीं दिखता था, वहां भी भाड़ी भीड़ दिखी। सभी के चेहरे पर हवाइयां उड़ी हुई थी, सभी ज्यादा से ज्यादा महीनों के खाने के सामान जुटाने में लगे थे, नतीजा यह निकला कि राशन दुकानदारों ने भी मनमाने रकम लेने शुरु कर दिये।
विद्रोही24 डॉट कॉम ने जब इसकी तफ्तीश की तो पता चला कि बातों में सच्चाई है। कही-कही दुकानदारों ने भारी भीड़ देखकर ग्राहकों के साथ बदसलूकी भी की, पर इसके लिए अगर कोई जिम्मेदार हैं तो वह पढ़े-लिखे जाहिल हैं, जिन्होंने व्यापारियों की तरह खाने-पीने की सामग्रियों की जमाखोरी करने में लग गये।
जबकि राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने राशन की दुकानों, सब्जी विक्रेताओं को लॉकडाउन से छूट दे रखी है, पर अर्थशास्त्र का सिद्धान्त है कि जब कभी किसी वस्तु का डिमांड बढ़ जाता हैं तथा उसकी आवक कम जाती हैं तो उसका दाम बढ़ ही जाता हैं, जिसका फायदा रांची ही नहीं बल्कि झारखण्ड के लगभग सारे दुकानदार उठाने लगे हैं तथा इसका सीधा असर उन गरीबों पर पड़ गया, जो रोज कमानेवाले और रोज खानेवाले हैं।
इन्हीं दुकानों पर रोजमर्रा की जिंदगी जीनेवाले कई लोग मायूस दिखे, क्योंकि कोरोना के कारण काम भी बंद हो गया और राशनवालों ने राशन के दाम भी बढ़ा दिये, यानी एक ओर बेरोजगारी का संकट तो दूसरी ओर खाने-पीने के संकट ने इनका जीना हराम कर दिया और ये सब हुआ पढ़े-लिखे जाहिलों के कारण।
राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को चाहिए कि रोजमर्रा की जिंदगी जीनेवाले लोगों को किसी भी प्रकार का संकट न हो, उन्हें भरपूर राशन मिले, इसकी व्यवस्था करें ताकि वे भी कोरोना वायरस का डटकर मुकाबला कर सकें, नहीं तो इन गरीबों के उपर बहुत बड़ा अन्याय हो जायेगा, साथ ही जमाखोरी करनेवाले व्यापारियों और पढ़े-लिखे जाहिलों पर भी कार्रवाई करें, क्योंकि इन लोगों ने झारखण्ड को नई मुसीबत में डालने का काम किया है।
दूसरी ओर लॉकडाउन के बावजूद भी बड़े पैमाने पर वैसे लोग सड़कों पर निकल रहे हैं, जिनको कोई काम ही नहीं हैं, पर वे मुसीबत खड़ी करने में अहम् भूमिका निभा रहे हैं, आश्चर्य इस बात की है कि ऐसे लोगों पर अब तक कार्रवाई नहीं शुरु हुई, जबकि कानून इसके लिए बना हुआ है, राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को समझ लेना चाहिए कि कोरोना से वे तभी लड़ सकते हैं, जब आप कानून का भय लोगों को दिखायेंगे।
राज्य की जनता कोरोना को लेकर आपके साथ हैं, पर कही इन बदमाशों तथा कानून का उल्लंघन करनेवालों के कारण लॉकडाउन का माखौल न बन जाये, इसे सुनिश्चित करना होगा, क्योंकि देश की स्थिति धीरे-धीरे बद से बदतर होने की स्थिति में हैं। कोई कोरोना से भयभीत हैं तो कोई कोरोना का भय दिखाकर लूटने पर तूला हैं तो किसी के लिए कोरोना, पर्व से कम बनकर नहीं आया हैं, ऐसे में राज्य सरकार के लिए यह अग्नि-परीक्षा से कम नहीं, इस अग्नि परीक्षा में वे कैसे सफल होकर उतरते हैं, सभी का ध्यान इसी ओर हैं।
त्वरित कार्रवाई की जरूरत है