अपनी बात

शर्मनाक, कोरोना पर भी राजनीतिक माइलेज लेने से नहीं चूकी BJP, PM मोदी के नाम पर बांट रही ‘मोदी आहार’

पूरा विश्व चाइनीज वायरस कोरोना को लेकर तबाह है। हजारों की संख्या में लोग मर रहे हैं, तो लाखों की संख्या में संक्रमण के शिकार है। भारत में भी इस कोरोना ने तबाही मचानी शुरु कर दी है, पर मानना होगा, अपने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को जिन्होंने इससे लड़ने के लिए कमर कस ली हैं, और देश के अंदर विभिन्न राज्यों में चल रही सरकारों के साथ मिलकर वे कोरोना को मात देने के लिए निरन्तर काम कर रहे हैं।

पीएम मोदी के आह्वान पर देश की जनता भी उन्हें सहयोग कर रही हैं, जब पीएम मोदी ने जनता कर्फ्यू का आह्वान किया तो भारत की जनता उनकी बातों को सहर्ष स्वीकार की और अपने घरों में कैद हो गई, जनता कर्फ्यू को सफल बनाया, यहीं नहीं 22 मार्च को संध्या पांच बजे घंटियां और थालियां भी बजाई।

इधर जैसे ही कुछ दिन पहले उन्होंने लॉकडाउन का आह्वान किया, देश के राज्यो की विभिन्न सरकारें एक साथ, उनके साथ कदम मिलाकर चल रही हैं, उसके बावजूद भी कोई कोरोना को लेकर राजनीतिक माइलेज लेने की सोचे तो इसे क्या कहेंगे? हम भाजपा वालों से ही पूछते हैं कि जैसे आज आप “मोदी आहार” बांट रहे हैं कल झामुमो के नेता-कार्यकर्ता “हेमन्त आहार” बांटने लगे, तो आपको अच्छा लगेगा?

हम तो इसके लिए हेमन्त सोरेन और उनकी पार्टी को शाबाशी देंगे कि कम से कम उन्होंने इस प्रकार की निर्लज्जता नहीं दिखाई और बड़े ही अच्छे ढंग से कोरोना से वे लड़ रहे हैं तथा झारखण्ड की जनता, चाहे वह कहीं भी क्यों न हो, उन्हें बेहतर सुविधा देने का प्रयास कर रहे हैं, जिसकी तारीफ होनी ही चाहिए।

पर भाजपा के बड़े नेता क्या कर रहे हैं? जरा देखिये। ये कोरोना की लड़ाई को भी एक तरह से त्योहार बना दिया और इस त्योहार को वे अपने तरीके से सेलीब्रेट भी कर रहे हैं, वह भी “मोदी आहार” से। मैं दावा कर सकता हूं कि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ऐसा करने को किसी को नहीं कहा होगा? पर झारखण्ड के नेता ऐसे है कि खरखाही में ये कुछ भी कर देते हैं, इन्हें दिमाग है ही नहीं, इन्हें ये पता ही नहीं चलता कि कौन काम, कब और कहां करना चाहिए?

शायद इन्हें नहीं पता कि एक लोकोक्ति है कि “नेकी कर दरिया में डाल” ये तो खुद ही एक नई पंक्ति गढ़ चुके हैं कि “नेकी कर दुनिया को सोशल साइट के माध्यम से दिखा” “प्रधानमंत्री मोदी को नीचा दिखा।” आम तौर पर इन्हें करना ये चाहिए था कि ये सामान्य तरीके से इसकी व्यवस्था करते और बिना किसी को दिखाए ये सेवा में जुट जाते।

अरे आजकल तो ऐसे-ऐसे लोग है कि हर बात में सेल्फी लेते हैं, इतनी मीडिया है, उन्हीं को अपना फोटो दिलवा देते, तो वे प्रचार कर देते। यही नहीं आज भी झारखण्ड के कई संपादकों/प्रधान संपादकों का समूह इनके इशारों पर नाचता हैं, विभिन्न समुद्र तटों पर इनके साथ पवित्र स्नान भी कर चुका हैं, ऐसे में अपनी सेवा के लिए मोदी को घसीटने की क्या जरुरत थी? वह भी “मोदी आहार” लोगों को पहुंचाकर। ये तो शर्मनाक है।

हम तो कहेंगे कि कहीं ऐसा नहीं कि राज्य के अन्य दल भी अपने नेता के नाम पर आहार बांटना शुरु कर दें, अगर ऐसा होता हैं तो ये उनके लिए भी उतना ही शर्मनाक होगा। अभी इस भयंकर महामारी में राजनीतिक माइलेज लेने की जरुरत नहीं, बल्कि सेवा भाव से जुट जाने की हैं, जैसा कि इनका मातृ संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ करता है। जाकर भाजपाई नेता देख लें कि क्या संघ ने अपने भोजन के पैकेट के उपर “संघ आहार” या “मोहन भागवत आहार” लिखा हैं, अगर नहीं तो फिर भाजपाइयों ने “मोदी आहार” क्यों लिखा?