अपनी बात

कोरोना पर विजय पाने एवं सोशल डिस्टेन्स को जन-जन तक पहुंचाने के लिए “भास्कर” ने अच्छा तरीका अपनाया

ऐसे तो देश के करीब सारे अखबार व मीडिया से जुड़े लोगों ने कोरोना को मात देने के लिए अच्छी तैयारी की हैं, तथा जन-जन तक सोशल डिस्टेन्स यानी सामाजिक दूरी को बढ़ावा देने के लिए नये-नये तरीके इजाद किये हैं, ये तरीके आम जनता को पसन्द भी आ रहे हैं, और लोग इसको अमल में भी ला रहे हैं, जिनमें “दैनिक भास्कर” ने एक तरह से कहा जाय तो बाजी मार ली है।

पिछले तीन-चार दिनों से इस अखबार ने मुख्य पृष्ठ से लेकर अंदर तक के पृष्ठों पर “दैनिक भास्कर” नाम को ही इस प्रकार विभक्त कर छापना शुरु किया, जिससे लोग यह समझ जाये कि दूरियां आज कितनी जरुरी हैं, इस अखबार ने कितनी दूरियां होनी चाहिए, यह भी बता दिया यानी दूरियां इतनी ही रहे कि हम अपनी पहचान न खो दें, मतलब पहचान बनी रहे और सामाजिक दूरी का भी पालन हो जाये, साथ ही हम अपने उपर आये संकट पर विजय भी प्राप्त कर लें।

सचमुच जब सारा विश्व कोरोना नामक विषाणु से दहशत में हैं, वहां इस प्रकार की सोच हमें बेहतर स्थिति में लाने के लिए एक बेहतर संदेश देता है, जो लोग “दैनिक भास्कर” के नियमित पाठक हैं, वे देखते होंगे तीन चार दिन पूर्व तक यह अखबार अपना नाम इस प्रकार लिखा करता था – दैनिक भास्कर। पर तीन-चार दिनों से आजकल यह अखबार अपना नाम “दै नि क भा स् क र” ऐसे लिख रहा है, यानी प्रत्येक अक्षर के बीच इसने दूरियां बढ़ा दी और लोगों को बता भी दिया कि आज ये दूरियां कितनी जरुरी हैं।

सचमुच “दैनिक भास्कर” ने इस प्रकार से अपनी सामाजिक जिम्मेदारियां दिखाकर, तथा लोगों को जागरुक कर बता दिया कि एक अखबार कैसे लोगों के जीवन को प्रभावित करता हैं, अगर लोग इन बातों को समझते हैं तो समझ लीजिये क्रांति होना स्वाभाविक हैं, ऐसे में हम कोरोना पर जल्दी ही विजय प्राप्त कर लेंगे।