अपनी बात

PM मोदी से खुब लड़िये, आलोचना भी करिये, पर जब देश की बात आये तो उनका समर्थन भी करिये, दिये भी जलाइये

मनोबल बढ़ाने, देश को जगाने तथा सभी में उत्साह का संचार करने के लिए दिये जलाना जरुरी हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का बात मानना जरुरी है। जब सारा विश्व स्पर्शजन्य महामारी कोरोना वायरस से आक्रांत हो, जब सारा विश्व इससे मुक्ति पाने के लिए छटपटा रहा हो, जब विश्व के कई देशों में लॉकडाउन चल रहे हो, जहां पड़ोसी देश चीन ही अपने सदाबहार मित्र पाकिस्तान के सीने में ऐसे माहौल में खंजर भोकने को तैयार हो, उसके साथ छल करने को तैयार हो।

जब देश के करोड़ों भारतीयों का विश्वास डगमगाने पर तुला हो, जब कही से कोई रास्ता नहीं सूझ रहा हो, तो ऐसे में अंधेरे में सभी को दिये जलाने ही पड़ेंगे, अपने प्रधानमंत्री की बात मानने ही होंगे। ऐसे भी यह समय एक दूसरे को नीचा दिखाने का नहीं, उत्सव मनाने का नहीं, बल्कि अपने मन में जो एक विश्वास का दिया जल रहा है कि हम इस कोरोना वायरस पर विजय पाकर रहेंगे, उस दिये को सबलता प्रदान करने के लिए बाह्य रुप से दिये जलाने जरुरी है।

हमारे देश की परम्परा रही हैं कि हम अपने प्रधानमंत्री की खुब आलोचना करते हैं, पर यह भी सत्य है कि उनका जो आदेश होता हैं, उसका पालन भी अक्षरशः करते हैं, जिसका छोटा सा रुप पूरे विश्व ने देखा, जब भारतीय प्रधानमंत्री ने पिछले दिनों जनता कर्फ्यू लगाया और उसी दिन ठीक पांच बजे शाम को घर के बाहर घंटी बजाने, थाली बजाने या ताली बजाने का आह्वान किया, तो पूरे देश ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का साथ दिया।

उनके घुर विरोधी महाराष्ट्र के एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने घर से बाहर आकर तालियां बजाई। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने साथ दिया। महानायक अमिताभ बच्चन भी अपने पूरे परिवार के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान को साकार कर दिया। अब दिये जलाने की बात आ गई, तो हम इस दिये जलाने से कैसे दूर रहेंगे, इसे भी साकार करेंगे।

हमारे देश में एक ऐसा भी वर्ग हैं, जो हर बात में बाल का खाल निकालता हैं, स्वयं को बहुत बड़ा वैज्ञानिक मानता हैं, उच्च कोटि का विचारक समझता है, और जो लोग प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की बातों का समर्थन करते हैं, उन्हें जाहिल या भक्त कहकर संबोधित करता है, जबकि वह भी जानता है कि अमेरिका, इटली व स्पेन जैसे समृद्ध देशों की हालत जहां की स्वास्थ्य सेवा उच्च कोटि की मानी जाती हैं, वे देश भी इस कोरोना वायरस के आगे नतमस्तक हैं, उन्हें कोई रास्ता नहीं सूझ रहा हैं।

फिर भी ये देश अपने लोगों का मनोबल बढ़ाने के लिए तरह-तरह के ऐसे कार्यक्रम में ले रहे हैं, जिससे लोगों का इस महामारी से लड़ने का हौसला बुलंद रहे, वहां की विपक्षी दल भी इसे समर्थन दे रहे हैं, पर भारत में इधर एक नई परम्परा ने जन्म लिया हैं, जो भी पीएम मोदी बोले, उसका काट करो, उसका बहिष्कार करो, चाहे उनकी बात अच्छी ही क्यों न हो? अगर पीएम मोदी ने देश से माफी मांगी तो बोलो कि पीएम ने ऐसा काम ही क्यों किया कि उन्हें माफी मांगनी पड़ गई और जब माफी नहीं मांगे तो कहो कि गलतियां पर गलतियां किये जा रहे हैं, पर माफी नहीं मांगेगे।

जहां तक हमारा मानना है कि किसी भी देश में जहां लोकतंत्र हैं, वह लोकतंत्र वहां तभी तक जीवित हैं, जब आप अपने पीएम से खुब लड़ते हो, उनकी आलोचना करते हो, और जब देश पर संकट की बात आती हो तो आप बिना किसी लाग-लपेट के पीएम की बातों/आदेशों का पालन करते हो, और अगर आप ऐसा नहीं करते तो समझिए कि लोकतंत्र के लिए आप खतरा हो।

क्योंकि मैंने देखा है कि भारत में जब-जब विपत्तियां आई है, देश ने एकस्वर में उन विपत्तियो का मुकाबला किया, कही ऐसा नहीं कि पीएम मोदी से घृणा व नफरत की ज्वाला, हमारी इस बुनियाद को हिला दे, और कोरोना वायरस हमारी हालातों का फायदा उठा लें, इसलिए याद रखिये, हौसला बुंलद रखिये, थोड़ा भारतीय बनिये, सबके साथ हंस कर कम से कम आज एक दिये अवश्य जलाइये।

One thought on “PM मोदी से खुब लड़िये, आलोचना भी करिये, पर जब देश की बात आये तो उनका समर्थन भी करिये, दिये भी जलाइये

  • तमसो माँ ज्योतिरगमय..🔥❣️🔥❣️🔥

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