विश्वास रखिये, भारत में कोरोना आतंक नहीं फैला सकता, कोरोना को मुक्ति दिलाने की ताकत सिर्फ भारत के पास है
आप लाख नाक धूनिये कि कोरोना भारत में आतंक मचा रहा हैं, इसके कारण भारत की हालत पस्त हो रही हैं, पर हमारे विचार से देश में ऐसे असंख्य लोग हैं, जो ये मानने को कतई तैयार नहीं कि कोरोना ने जिस प्रकार का आतंक चीन, अमरीका, ब्रिटेन, स्पेन, ईरान आदि देशों में मचाया, वो भारत में भी मचा कर रख देगा।
मेरा शुरु से मानना रहा है कि विश्व में भारत ही एक ऐसा देश है, जिसे कोई शासक नहीं चला सकता, इस देश को अदृश्य शक्तियां चला रही हैं, जिसको जानने-समझने के लिए समय-समय पर विदेशियों का दल भारत की यात्रा करता रहता है। मैं चूंकि योगदा सत्संग आश्रम से जुड़ा हूं, और यहां के संन्यासियों और इसकी मिट्टी की ताकत को जानता व समझता हूं, इसलिए यह दावा मेरा उतना ही सत्य है, जितना सूर्य का प्रतिदिन पूर्व दिशा में उदय होना।
अगर कोई मुक्ति पाना चाहता है, सही मायनों में शांति पाना चाहता हैं तो उसे भारत की और लौटना ही होगा, क्योंकि बिना भारत के उसकी मुक्ति संभव नहीं, शायद यही कारण है कि स्वामी विवेकानन्द ने कहा था कि भारत कभी मर ही नही सकता, क्योंकि भारत के मरने का मतलब मानवीय मूल्यों का समापन से हैं।
जरा देखिये, आज भारत कोरोना महामारी के समय कहां खड़ा है? आज विश्व के कई महत्वपूर्ण देश भारत से कोरोना से लड़ने के लिए सहयोग मांग रहे हैं। सहयोग मांगनेवाले देशों में अमरीका, ब्रिटेन व ब्राजील देश शामिल है, ब्राजील के शासक ने तो भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मानवीय मूल्यों से प्रभावित होकर, उनकी तुलना हनुमान से कर दी। भारतीय प्रधानमंत्री और भारत की प्रशंसा अमरीकी राष्ट्रपति से लेकर ब्रिटेन के लोग भी कर चुके हैं, इनका यह आचरण बताता है कि कुछ भी हो जाये, भारत अपनी मानवीय मूल्यों के प्रति जो समर्पण का भाव हैं, वह कदापि नहीं छोड़ सकता। इसके लिए भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को बधाई।
यह भी सही है कि कोरोना के नाम पर कई लोग ऐसे भी भारत में हैं, जो कोरोना उत्सव का मजा ले रहे हैं, वे दान के नाम पर अपनी पब्लिसिटी कर रहे हैं, फोटो खींचकर फेसबुक पर डाल रहे हैं तथा गरीब और गरीबों का मजाक उड़ा रहे हैं। दूसरी ओर ऐसे भी लोग हैं, जिन्हें ईश्वर ने भले ही कुछ नहीं दिया हो, पर उनके पास जो भी हैं, उसी से मानवीय मूल्यों की सेवा करने में लगे हैं, और हमें लगता कि जब तक ये भाव भारत के लोगों में जिन्दा रहेगा, भारत कभी मर ही नहीं सकता।
जब कोरोना को लेकर भारत सरकार महत्वपूर्ण निर्णय ले रही थी, तब देश के कई अखबार व मीडिया के लोग सरकार को कोसे जा रहे थे कि सरकार ने देर से निर्णय लिये, आज कोरोना भारत में प्रवेश कर चुका, हमारे पास वेटिंलेटर्स, पीपीई किट यहां तक पर्याप्त मात्रा में मास्क तक नहीं है, पर जिस प्रकार देश के कोने-कोने में रह रहे दानवीरों/उद्योगपतियों की फौज ने भारत सरकार और भारतीयो की मदद के लिए आगे कदम बढ़ाया, सभी के होश उड़ गये और आज हमें फख्र है कि हमारे देश के दानदाताओं व उद्योगपतियों की मदद से हम कोरोना से लड़ने के लिए सारे संसाधन बहुत की कम समय में इक्टठे ही नहीं कर लिये, बल्कि जो कोरोना पीड़ितों की संख्या में इजाफा होने को जो खतरा था, उस पर भी लगाम लगाया।
ये अलग बात है कि कुछ लोगों की जाहिलियत की वजह से सरकार को और कोरोना से लड़ रहे लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा, पर हमें लगता है कि अब उन्हें भी समझ आ रहा है कि जो वे परेशानी खड़ा कर रहे हैं, इस परेशानी से उन्हें ही ज्यादा खतरा हैं तो वे सहयोग के लिए अब धीरे-धीरे तैयार भी हो रहे हैं।
एक बात और कोरोना में लाख बुराइयां हैं, पर कुछ बातें तो माननी ही होगी कि इस कोरोना ने सफाईकर्मियों/स्वास्थ्यकर्मियों के प्रति देशवासियों का सोच तक बदल दिया, यहीं नहीं जो पूरे देश में डाक्टरों के प्रति नफरत व घृणा ने जन्म ले लिया था, आज डाक्टर देश में सम्मानीय व वंदनीय बन गये, लॉकडाउन की स्थिति में देश को अन्न के महत्व का भी पता चला, पर्यावरण में भी महत्वपूर्ण सुधार देखे गये।
शायद किसी ने ठीक ही कहा है कि हर में कोई न कोई अच्छाई या बुराई जरुर होती हैं, अगर कोरोना से कालापक्ष विश्व में बड़ी संख्या में लोगों की मौत हैं, तो उज्जवल पक्ष यह भी है कि लोगों की सोच में बदलाव भी आये हैं और यही बदलाव भारत में क्रांति का बीज बोयेगा, देश आगे बढ़ेगा, निश्चय ही आगे बढ़ेगा, हमें अपने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राज्य के भीतर जितनी भी राज्य सरकारे चल रही हैं, उनके मुख्यमंत्रियों पर भरोसा है कि वे कोरोना के इस उज्जवल पक्ष को भी ध्यान में रखेंगे तथा इसे आगे भी जारी रखेंगे और भारत के मान व सम्मान से कोई समझौता नहीं करेंगे।