अपनी बात

PM मोदी, CM हेमन्त और रांची व धनबाद के DC से सीधा सवाल, जब देश में लॉकडाउन हैं तो रांची व धनबाद के MP दिल्ली से झारखण्ड कैसे पहुंच गये?

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी आपसे सीधा सवाल, क्या भाजपाई सांसदों पर लॉकडाउन का नियम लागू नहीं होता? क्या कोरोना वायरस ने लिखित आवेदन दिया है कि वह भाजपाई सांसदों को अपने प्रभाव में नहीं लेगा? जनता लॉकडाउन तोड़े तो उस पर कानूनी कार्रवाई और भाजपाई सांसद कानून तोड़े तो उस पर कार्रवाई क्यों नहीं?

आखिर आपके सांसद जो लॉकडाउन 2 का पालन करने के लिए सभी से अनुरोध कर रहे हैं, वे खुद ही लॉकडाउन का पालन क्यों नहीं कर रहे? आखिर भाजपा सांसद संजय सेठ और भाजपा सांसद पीएन सिंह दिल्ली से सीधे रांची व धनबाद इस लॉकडाउन में दिल्ली, उत्तरप्रदेश व बिहार की सीमा लांघते हुए झारखण्ड कैसे पहुंच गये?

दिल्ली से लौटते ही रांची के सांसद संजय सेठ, उपायुक्त से कैसे मिलने पहुंच गये और उन्हें थर्मल स्कैनर कैसे भेट कर दिया? कहा जाता है कि इन दोनों सांसदों ने खुद को होम क्वारेन्टाइन में रखने की बात कही हैं, पर हम कैसे मान ले कि ये अपने घर में ये होम क्वारेन्टाइन का पालन कर रहे हैं? क्योंकि देखने में आ रहा है कि वे घर पर ही मोदी आहार के नाम पर कच्चा राशन उपलब्ध करा रहे हैं।

कमाल है, जिनके पास संसाधन है, ताकत है, रुतबा है, वे कुछ भी कर लें, वे लॉकडाउन की धज्जियां उड़ा दें, और गरीबों को कहा जाये कि वे जहां हैं, वहीं ठहरे,सरकार उनके लिए व्यवस्था कर रही हैं तो फिर सरकार इन भाजपा नेताओं के लिए विशेष व्यवस्था क्यों नहीं की? ये एक हजार किलोमीटर की दूरी आसानी से कैसे तय कर लिये?

हम तो कानून का पालन करनेवाले राज्य के उपायुक्तों व एसएसपी से भी पूछुंगा कि भाई झारखण्ड में तो इन दिनों कानून तोड़ने पर प्राथमिकी करने का रिकार्ड बन रहा हैं, क्या भाजपा सांसदों पर भी कानून तोड़ने का प्राथमिकी दर्ज हुआ है? या होम क्वारेन्टाइन के नाम पर मोदी आहार बांटने का कार्य करने के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज हुई हैं, अगर नहीं तो क्यों?

सवाल तो हेमन्त सरकार से भी, कि एक ही राज्य में गरीबों के लिए अलग कानून और नेताओं के लिए अलग कानून क्यों? आखिर लोगों को कब पता लगेगा कि नेता हो या सामान्य आदमी जो भी कानून तोड़ेगा, उस पर समान भाव से कार्रवाई होगी? धन्य है रांची/धनबाद का उपायुक्त जो दिल्ली से रांची और दिल्ली से धनबाद तक का दौड़ लगा चुके इन सांसदों से यह भी नहीं पूछा कि भाई आप एक हजार किलोमीटर की दूरी कैसे तय कर लिये?

जबकि सरकार जो लोग जहां है, वहीं रहने का बार-बार अनुरोध कर रही है, और जब ये लोग यहां आ ही गये हैं तो फिर उन गरीबों को दिल्ली से झारखण्ड क्यों नहीं बुलाया जा रहा हैं, सिर्फ इसलिये न कि वे गरीब है और इनसे कोरोना फैलने का खतरा है, क्या ये खतरा भाजपाई सांसदों से नहीं हो सकता है? सवाल था, इसलिए पूछ लिया?

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  • गैर जिम्मेदाराना ..

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