राजनीति

उपवास की नौटंकी बंद करे भाजपाई विधायक, अगर उपवास करना ही है तो प्रधानमंत्री के समक्ष जा कर करें – राजेश

झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने भाजपा विधायकों द्वारा किए जा रहे उपवास को नौटंकी करार देते हुए कहा कि विधायक जो आज प्रवासी मजदूरों के लिए उपवास कर रहे हैं सच पूछे तो पिछली डबल इंजन की सरकार की गलतियों के लिए प्रायश्चित कर रहे हैं।

जिस सरकार ने मोमेंटम झारखंड के नाम पर लाखों-करोड़ों रुपये बर्बाद कर दिए, उस राज्य के लोगों को नौकरी करने के लिए बाहर जाना पड़ रहा है, इससे ज्यादा इन विधायकों के लिए शर्म की बात क्या होगी? इन विधायकों को गठबंधन सरकार का आभार व्यक्त करना चाहिए, जिस सरकार ने दलगत भावना से ऊपर उठकर सभी विधायकों को एक समान अधिकार दिए हैं और उनके माध्यम से प्रवासी मजदूरों तक पहुंचकर उन्हें मदद करना चाहती है।

हद तो इस बात की है कि जो विधायक पिछली सरकार में मंत्री थे और प्रत्यक्ष रूप से पलायन के लिए दोषी है, वो भी इस उपवास वाले नौटंकी में शामिल है और बड़ी शान से कह रहे हैं कि हमारे क्षेत्र के हजारों मजदूर बाहर में है, ऐसे में पच्चीस लाख रुपए से क्या होगा ?

राजेश ठाकुर ने कहा कि अमर बाउरी, रामचंद्र चंद्रवंशी, भानु प्रताप शाही, रंधीर सिंह, नवीन जायसवाल जैसे विधायक तो भाजपा में खुद प्रवासी हैं। ये उसी डाल पर बैठने के आदी हैं, जो सत्ता में रहती है। इस बार इनका पासा उल्टा पड़ गया और एक ऐसे दल की डोर से बंध गए, जिसका काम ही झूठ की इमारत खड़ा करना है।

इन्हें बताना चाहिए कि इनके दल के सांसद अपने राज्य के मजदूरों को भूख से बिलबिलाते हुए पिकनिक मनाते हुए कैसे दिल्ली से आ गये? इन्हें उपवास करना है तो प्रधानमंत्री के समक्ष जाकर करें। राजनीति करने की बजाय इन्हें केंद्र सरकार से झारखंड का हक दिलाने के लिए आगे आना चाहिए।

श्री ठाकुर ने कहा कि अन्य राज्यों में प्रवासी राज्यों की सूची समाज कल्याण विभाग द्वारा बनाई गई है, जिससे मजदूरों को राहत देने में सुविधा हो रही है। इस राज्य में प्रवासी मजदूरों के डाटा तैयार करने के नाम पर करोड़ों रुपए की लूट एनजीओ के माध्यम से हुई है, जिसका नतीजा है कि आज राज्य सरकार चाह कर भी मजदूरों को सीधे मदद नहीं कर पा रही है।

इस विकट परिस्थिति में विधायकों को राजनीति से ऊपर उठकर प्रवासी मजदूरों के मदद के लिए आगे आकर प्रधानमंत्री से केन्द्र के पास, राज्य के बकाये जीएसटी के पैसे की मांग करनी  चाहिए ताकि ज्यादा से ज्यादा मजदूरों का भला हो सके, ना की इस तरह के ड्रामे कर मजाक का पात्र बनना चाहिए।