CM हेमन्त ने केन्द्र से पूछे सवाल, जब UP के बच्चों को लाने के लिए बसें भेजी जा सकती हैं तो झारखण्डियों के लिए ऐसा क्यों नहीं?
झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने केन्द्र सरकार से कुछ सवाल पूछे हैं, आखिर वह सवाल क्या है? प्रथम दृष्टया उस सवाल पर अगर नजर डाले, तो मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के सवाल में दम हैं, और इसका जवाब केन्द्र सरकार दे पायेगी, इसकी संभावना हमें कम दिखती है। सच्चाई तो यह भी है कि राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन द्वारा उठाये सवालों का जवाब, प्रदेश के स्थानीय भाजपा नेता भी नहीं दे पायेंगे।
अब सवाल उठता है कि आखिर राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने ऐसा क्या कह दिया, तो जरा उस सवाल पर नजर डालें, सवाल है – “जब UP के बच्चों को लाने के लिए बसें भेजी जा सकती है, तो झारखंड के बाहर फ़ँसे बच्चों और मज़दूरों के लिए भी ऐसी व्यवस्था करे केंद्र सरकार, अन्यथा झारखण्ड सरकार अपने स्तर पर कदम उठाएगी। झारखंडियों के साथ ये अन्याय क्यूँ ? केंद्र सरकार झारखण्डवासियों को ज़बाब दे।”
इसमें कोई दो मत नहीं कि झारखण्ड के बहुत सारे गरीब मजदूर और बच्चे विभिन्न राज्यों में फंसे पड़े हुए हैं, जिनकी संख्या लाखों में हैं। ये गरीब मजदूर बड़ी संख्या में दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश समेत दक्षिण के कई राज्यों में फंसे हुए हैं, इनमें ऐसे लोग भी हैं, जो इलाज के लिए कुछ राज्यों में गये, तथा वहां लॉकडाउन के कारण फंस गये, स्थिति ऐसी है कि उनके पास पैसे भी नहीं कि वे जरुरत का सामान खरीद सकें।
जहां कही से भी इन झारखण्डियों द्वारा मदद की गुहार लगाई जा रही हैं, हेमन्त सोरेन सरकार उन झारखण्डियों की मदद के लिए आगे आई है, जिसकी जितनी प्रशंसा की जाय कम है, पर इनमें से ज्यादातर झारखण्डियों की मांग हैं कि उन्हें अपने राज्य में आने के लिए सुविधा मुहैया कराई जाये, पर केन्द्र सरकार द्वारा कोरोना संक्रमण को लेकर उठाये गये कदम, राज्य सरकार के मार्ग में रोड़े अटकाए हुए हैं, ऐसे में राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के इस दर्द भरे सवाल ने झारखण्डवासियों का दिल जीत लिया है।
जो राजनीतिक पंडित हैं, उनका कहना है कि ऐसी संभावना कम दिखती है कि केन्द्र सरकार मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के सवालों पर गंभीर दिखेगी, क्योंकि उसका अभी पहला और अंतिम लक्ष्य किसी सवालों के उलझनों में फंसने का नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर कोरोना के बढ़ते संक्रमण पर अंकुश लगाना हैं, अगर हेमन्त सरकार के इन सवालों में केन्द्र सरकार फंसेगी तो फिर लॉकडाउन का मजाक बनने में देर नहीं लगेगा और इसी प्रकार के सवाल देश के अन्य राज्यों के मुख्यमंत्री भी उठा देंगे, शायद केन्द्र सरकार इसीलिए उक्त सवाल पर मौन व्रत धारण करना श्रेयस्कर समझेगी।
Sir, जिस तरह उतर प्रदेश की सरकार ख़ुद निर्णय लेकर अन्य राज्य में फँसे अपने लोगों को ला सकती है, क्या उसी प्रकार झारखंड सरकार नहीं कर सकती है..?