शर्म आनी चाहिए ऐसे पत्रकारों को, जो हेमन्त सरकार को जनता के समक्ष नीचा दिखाने के लिए षडयंत्र रच रहे हैं
वो पत्रकार है, वो नेताओं से मिलकर, हेमन्त सरकार को कटघरे में रखने का प्रयास करता है। वो मार्केंटिंग आफिसर, अंचलाधिकारी यहां तक की उपायुक्त को भी नहीं समझता। वो न्यूज संग्रह नहीं करता, बल्कि वो न्यूज क्रिएट करता/कराता है, वह अपने लोगों को बड़े रौब से कहता है कि तुम्हें केन्दुआ चौक पर पचास आदिवासियों को खाली थाली लेकर खड़ा करवा देना हैं, वह आठ बजे सुबह का टाइम भी देता है, वह कहता है कि तुम घबराओ नहीं, सब हम देख लेंगे। उस पत्रकार के साथ एक नेता भी हैं, जो उसकी हौसलाअफजाई करता है। वह रौबदार पत्रकार बातचीत के दौरान आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग भी करता है, वह कहता है कि वह सब देख लेगा, चिन्ता न करो।
मतलब हम बात कर रहे हैं एक ऐसे ऑडियो की जो फिलहाल पूरे झारखण्ड में वायरल हो रही है। यानी अब ऐसी पत्रकारिता हो रही है, झारखण्ड में। ऑडियों को सुनने से पता चलता है कि वो पत्रकार एक राष्ट्रीय अखबार से जुड़ा है, जो झारखण्ड से भी प्रकाशित होती है यानी एक पत्रकार की हरकत देखिये कि वो कितना गिर चुका है, उसकी सोच कितनी गिरी हुई है।
भाई, अगर तुम पत्रकार हो, तुम्हें जनता के लिए दर्द हैं तो तुम सच दिखाओ, कौन मना कर रहा हैं, पर जब तुम न्यूज क्रियेट करोगे, सरकार और उनके अधिकारियों को नीचा दिखाने के लिए षड्यंत्र रचोगे तो तुम पर अंगूलियां उठेगी ही। हमारे विचार से पूरे ऑडियो की सत्यता की भी जांच करानी चाहिए, ताकि और भी बेहतर ढंग से जानकारी प्राप्त हो सकें कि इस कांड में और कौन-कौन शामिल हैं।
मेरा विचार होगा कि ऐसे पत्रकार पर, उस अखबार को एक्शन लेना चाहिए, जिसने पत्रकारिता की मर्यादा तोड़ी है। मेरा विचार होगा कि प्रेस कौंसिल ऑफ इंडिया को भी इसका संज्ञान लेना चाहिए, तथा जो झारखण्ड में वरीय पत्रकार है, उन्हें इस पर अपनी अब चुप्पी तोड़नी चाहिए, नहीं तो जो भी बची-खुची सम्मान है, वो जनता की नजरों में खत्म हो जायेगा। इसे गिरह पार लेना चाहिए, क्योंकि आम जनता आज भी अखबारों में छपी बातों को सही मानती है, लेकिन जब उन अखबारों में प्रायोजित खबरे स्थान लेगी तो यह राज्य व देश का दुर्भाग्य होगा।
अंत में, अगर कोई ये सोचता है कि वो अपनी गंदी हरकतों से हेमन्त सोरेन सरकार को गिरा देगा, तो वो ये जान लें कि हेमन्त सोरेन की सरकार किसी अखबार या चैनल की रहमोकरम पर नहीं बनी है, जनता ने उन्हें आशीर्वाद दिया हैं, उन्हें चुना है। ये सही है कि कोरोना के इस संक्रमण काल में कही सेवा में त्रूटियां हो सकती है, लेकिन इसको लेकर न्यूज क्रिएट कराकर हेमन्त सोरेन की सरकार को गिराने का सपना देखनेवाले भूल जाये, क्योंकि जिसके साथ जनता है, उसका आप कुछ भी नहीं बिगाड़ सकते, क्योंकि यहां लोकतंत्र है, अखबार तंत्र नहीं।
Sir, जब से मेने होश संभाला है , तब से देखता आया हु मुस्लिम होटेल, या फिर यहाँ हलाल चिकन मिलता है इस तरह का लिखा हुआ .. मगर आज जब एक फल वाले ने हिन्दू लिखा तो झारखंड सरकार इतनी बोखला क्यूँ गई … इस विषय पे आपकी लेख कब आयेगी..?