CM हेमन्त ने PM मोदी से पूछे सवाल, इंटर स्टेट मूवमेन्ट आदेश का उल्लंघन करनेवाली राज्य सरकारों के खिलाफ क्या एक्शन लिया?
झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से कुछ दृष्टांत के साथ सवाल पूछे हैं, पर इसका जवाब हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दे पायेंगे, इसकी संभावना हमें कही से नहीं दिखती, उसका कारण यह है कि जिन सवालों को राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने पीएम मोदी के समक्ष रखा हैं, उसकी धज्जियां उड़ाने में उनके ही पार्टी के लोग व राज्य की भाजपा सरकारें शामिल हैं।
इसमें शामिल है वे कांग्रेसी सरकारें भी, जिनके नेताओं को पीएम मोदी को हर बात पर कटघरे में रखने में बहुत ही आनन्द आता है, पर राज्य में जो कांग्रेसी नेता झारखण्ड के हेमन्त मंत्रिमंडल में शामिल हैं, वे इन सारी मुद्दों पर बोलने से बचते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि कही उनके दिल्ली में बैठे आका बुरा न मान जाये। हमारा इशारा उत्तर प्रदेश और राजस्थान की ओर हैं, जहां उत्तर प्रदेश में भाजपा तो राजस्थान में विशुद्ध रुप से कांग्रेस की सरकार हैं और इन दोनों सरकारों ने कोविड 19 को लेकर जो केन्द्र के आदेश हैं, उसकी जमकर धज्जियां उड़ाई है।
इसके बावजूद भी झारखण्ड के सीएम हेमन्त सोरेन ने जिन मुद्दों पर पीएम मोदी का ध्यान आकृष्ट कराया हैं, उन मुद्दों पर सीएम हेमन्त सोरेन ने बड़े ही धैर्य से काम लिया है, क्योंकि उन्हें मतलब है, अपने राज्य के छात्र-छात्राओं व मजदूरों से, जो इस वैश्विक आपदा में भी जान हथेली पर रख देश के विभिन्न राज्यों में जीवन और मौत से दो चार हो रहे हैं, जिनमें कई की मौत भी हो चुकी है, हाल ही में रांची के इटकी के रहनेवाले परवेज अंसारी की अहमदाबाद में मौत उसका प्रत्यक्ष उदाहरण हैं, जिसको भोजन के अभाव और समुचित इलाज नहीं हो सकने से मौत हो गई।
राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने देश के प्रधानमंत्री के समक्ष इन्हीं सभी बातों को लेकर अपनी बातें रखी हैं, उन्होंने कहा है कि झारखण्ड के पांच हजार से ज्यादा बच्चे कोटा तथा देश के अन्य शहरों में लॉकडाउन के कारण फंसे हुए हैं। इसी तरह से लगभग पांच लाख से अधिक झारखण्ड के मजदूर जो अन्य राज्यों में रोजगार की तलाश में गये थे, आज कोविड 19 तथा लॉकडाउन के कारण अपने राज्य वापस आना चाहते हैं।
वे बार-बार गुहार लगा रहे हैं कि उन्हें वापस लाने का प्रबंध राज्य सरकार करें, परन्तु हम बेबस हैं, चूंकि गृह मंत्रालय, भारत सरकार के आदेश संख्या 40-3/2020 DM-1(A) दिनांक 15 अप्रैल 2020 की कंडिका – 1(5) में स्पष्ट लिखा है कि 03 मई 2020 तक व्यक्तियों का इंटर स्टेट मूवमेंन्ट प्रतिबंधित रहेगा। इस आदेश का उल्लंघन डिजास्टर मैनेंजमेंट एक्ट 2005 की धारा 51 से 60 तक में दंडनीय अपराध है। हेमन्त सोरेन आगे कहते है कि मेरी सरकार ऐसा कोई कार्य नहीं करना चाहती हैं, जो भारत सरकार के कोविड 19 से संबंधित आदेशों के उल्लंघन की श्रेणी में दर्ज हो।
तो अब सवाल है कि देश के प्रधानमंत्री अपने ही आदेशों का पालन अपने ही पार्टी के उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और राजस्थान के मुख्यमंत्री से क्यों नहीं करवा सकें? यहां जो कानून का उल्लंघन होगा और बात जब न्यायालय में जायेगी तो इसके लिए कौन दोषी होगा? और चूंकि राजस्थान और उत्तरप्रदेश की सरकारों ने मिलकर इन कानूनों की धज्जियां उड़ाकर अपने लोगों को अपने राज्य में लाने का काम किया, ऐसे में झारखण्ड क्या करें?
सवाल उठता है कि कुछ राज्य जो आपसी सहमति से बड़े पैमाने पर छात्रों व मजदूरों का इंटर स्टेट मूवमेंट करवा रहे हैं क्या उन्हें ऐसा करने का कोई भारत सरकार द्वारा रिलेक्शेसन आर्डर मिला हैं, और अगर नहीं तो संदर्भित पत्र के प्रतिकूल कार्य करने पर इन राज्यों से क्या स्पष्टीकरण पूछे गये अथवा डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत क्या कारर्वाई हुई, अगर नहीं तो इसका मतलब है कि इन कार्यों में भारत सरकार के गृह मंत्रालय की मौन सहमति प्राप्त है।
चूंकि जैसा कि झारखण्ड के लोगों ने देखा है कि उत्तर प्रदेश की सरकार ने राजस्थान की सरकार से मिलकर अपने लोगों को अपने राज्य में बुलवा लिया, ऐसे में झारखण्ड के लोगों का दबाव राज्य सरकार पर हैं, ऐसे में एक ओर जनता का दबाव तो दूसरी ओर भारत सरकार के आदेश का सम्मान, दोनों स्थितियों में राज्य को विकट राजनीतिक-सामाजिक स्थिति का सामना करना पड़ रहा है, जिसका परिणाम है कि झारखण्ड के ग्रामीण क्षेत्रों में आक्रोश बड़ी तेजी से उभर रहा हैं।
राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने पीएम मोदी को सलाह दी कि वे जल्द रिलेक्शेसन आर्डर निकाले, ताकि यह कार्रवाई केन्द्र सरकार के सहयोग से वैधानिक रुप से पूरी का जा सकें, नहीं तो जिन राज्यों में ऐसा किया गया है, वहां के वरीय पदाधिकारियों को भविष्य में न्यायालयों में अप्रिय परिस्थितियों का सामना करना पड़ेगा, जिससे उन पदाधिकारियों का मनोबल तो गिरेगा ही, साथ ही प्रशासन पर भी इसका लंबे समय तक कुप्रभाव दिखेगा।
Sir, मगर लाखों की सांख्या में फँसे लोगों का क्या होगा ..? केन्द्र सरकार या राज्य सरकार कोन इनके दर्द को समझेगा ..?