अपनी बात

CM हेमन्त ने शोर नहीं किया, सिर्फ काम किया और वह करके दिखाया, जो आज तक किसी मुख्यमंत्री ने नहीं किया

सीखिये काम कैसे किया जाता है? उस हर शख्स को सीखना होगा कि अपने लोगों के लिए कैसे जीया जाता है? न अखबार/चैनल में विज्ञापन, न होर्डिंग और न ही एलइडी का शोर, सबको धत्ता बताते हुए, सोशल साइट का लिया सहारा और सीधे जनता के दिलों में उतर गये। कमाल देखिये – अचानक लोगों को पता चलता है कि कल यानी एक मई को, वह भी दोपहर में कि तेलंगाना से एक ट्रेन चली हैं जो कल ही रात में ग्यारह बजे के करीब हटिया स्टेशन पहुंचेगी, जिसमें करीब झारखण्ड के विभिन्न कोने के 1200 श्रमिक मौजूद है। मतलब उसके पहले तेलंगाना से देर रात को ट्रेन खुल चुकी थी।

हेमन्त बार-बार दोहराते है कि वे एक-एक झारखण्ड के प्रति जवाबदेह हैं, और ये जिम्मेवारी निभाते रहेंगे। कमाल यह भी है कि राज्य के विपक्षी दल इस कोरोना संक्रमण पर भी राजनीति करने से बाज नहीं आते, उपवास की नौटंकी करते हैं, उसके बावजूद वे निरंतर प्रयास करते हैं कि कैसे दूसरे राज्यों में फंसे झारखण्डियों को अपने राज्य में लाया जा सके, इसके लिए वे प्रधानमंत्री से पत्राचार करते है, उनका पत्राचार रंग लाता है, पीएमओ व गृह मंत्रालय सक्रिय होता है, और लीजिये पूरे देश के श्रमिकों का भाग्य जगता है और धीरे-धीरे वे राज्य जिनके श्रमिक दूसरे राज्यों में फंसे हैं, वे भी निकलने शुरु होते है। ये घटना एक इतिहास के रुप में जानी जायेगी, जब-जब कोरोना संक्रमण का जिक्र होगा, हेमन्त सोरेन आगे दिखेंगे।

कल ही यानी 1 मई को लोगों को बताते है कि राजस्थान से दो स्पेशल ट्रेनें झारखण्ड के लिए चल पड़ी है, वे इसके लिए स्वयं को आगे नहीं रखते है, वे इसका भी श्रेय बड़ी उदारता से केन्द्र सरकार और राजस्थान सरकार को दे देते हैं। क्या कोई बता सकता है कि सेवा को लेकर श्रेय लेने की इस होड़ में किसने हेमन्त सोरेन की तरह उदारता दिखाई है, यहां तो मैंने देखा कि भाजपा नेता श्रमिकों की चिन्ता छोड़, अपनी चिन्ता ही ज्यादा की और पास बनवाकर दिल्ली से रांची व धनबाद के लिए निकल पड़े, पर हेमन्त ने तो सीधे झारखण्डियों के लिए काम किया और उसे धरातल पर उतारने में सफलता भी प्राप्त कर ली।

यहीं नहीं जब उन्हें पता चलता है कि अब कुछ ही देर में हटिया स्टेशन पर मजदूरों से भरी ट्रेन जो तेलंगाना से चली हैं, पहुंचने ही वाली है, वे अपने कर्तव्यनिष्ठ अधिकारियों के साथ हटिया स्टेशन पर पहुंचते है, प्रत्येक चीजों की बारीकी से जानकारी लेते हैं, तथा सुविधाओं का निरीक्षण करते हैं, जिसमें राज्य के मुख्य सचिव सुखदेव सिंह और उनके साथ अधिकारियों का दल, उनकी मदद करता है, और लीजिये वहीं हुआ, मजदूरों से भरी ट्रेन पहुंची, किसी को कोई दिक्कत नहीं, सभी ट्रेन से उतरे, उनके स्वास्थ्य का परीक्षण हुआ और आज वे सभी अपने-अपने गांव पहुंच गये हैं, जहां उन्हें क्वारेन्टाइन किया गया है। बधाई हेमन्त जी आपको और आपकी टीम को, आपने इतिहास बना डाला।

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