अपनी बात

जब खराब सिस्टम के बीच शेषण चुनाव व्यवस्था में क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकते हैं, केरल कोरोना पर विजय प्राप्त कर सकता है, तो हम झारखण्डी क्यों नहीं?

कभी-कभी जब अखबारों व चैनलों के माध्यम से जो खबरें हम तक पहुंचती है, तो कुछ खबरों को देखकर सिहरन होती है कि आखिर ये घटनाएं एक सभ्य समाज में कैसे घटित हो जाती है? क्या सचमुच सिस्टम फेल हो चुकी है? और अगर सिस्टम फेल हैं तो उसे कैसे सुधारा जा सकता है? उसके लिए कौन-कौन से प्रयास किये जा सकते हैं?

लेकिन इसी दरम्यान इसी देश में जहां सिस्टम फेल होने की बात कही जाती है, वही कुछ ऐसी घटनाएं भी घटती है, जो पूरे विश्व के देशों के लिए ध्यानाकर्षण की केन्द्र बिन्दु हो जाती है, उन्हीं में से एक घटना है – भारत में चुनाव प्रणाली में सुधार। इसीलिए कई लोग ऐसे है कि यह उदाहरण देते हुए नहीं थकते कि “ यह मत भूलिए, सिस्टम टीएन शेषण के समय भी खराब था, पर उसी सिस्टम से शेषण ने भारतीय चुनाव व्यवस्था में क्रांतिकारी परिवर्तन भी ला दिया, सिस्टम को दोषी ठहराकर खुद को पाक-साफ बताने की कला छोड़िये।”

यह मंतव्य स्पष्ट करता है कि जिन्होंने टीएन शेषण के पूर्व चुनाव आयुक्त के कार्यकाल को देखा है, वे जानते है कि शेषण के पूर्व भारतीय चुनावी व्यवस्था में कितना भ्रष्टाचार था, पर जैसे ही शेषण ने चुनाव आयुक्त का पदभार संभाला, लचड़-पचड़ सिस्टम से ही भारतीय चुनाव व्यवस्था को सुधारने का संकल्प ले लिया और नतीजा यह देखिये कि टीएन शेषण दुनिया में नहीं हैं, पर उनके कृतित्व ने आज भी उन्हें जिंदा रखा है, कहा भी जाता है कि कीर्तियस्य स जीवति।

पूर्व में चुनाव होता था तो पानी की तरह ऐसे पैसे बहाये जाते थे कि उस पर अंकुश ही नहीं था, बोगस वोटिंग तो इतनी होती थी कि जो असली मतदाता थे, वे वोट भी नहीं दे पाते थे, पर उनके नेतृत्व में लिए गये अभुतपूर्व फैसले ने क्रांतिकारी परिवर्तन ला दिया था, सत्तापक्ष और विपक्ष में बैठे राजनीतिक दल उन्हें गालियों से उस वक्त नवाजते थे, उसके बाद भी उन्होंने सुधार की प्रक्रिया नहीं छोड़ी, अपने काम में लगे रहे।

यही नहीं ये टीएन शेषण का ही कमाल था कि लालू प्रसाद यादव के शासनकाल में हुई अभुतपूर्व बूथ लूट के बाद टीएन शेषण ने पटना और पूर्णिया लोकसभा की चुनाव ही रद्द कर दी और लोग देखते रहे गये। यहीं नहीं कभी दानापुर और पटना पूर्व विधानसभा का चुनाव भी उन्होंने एक साथ रद्द करवा दिया था। कई आइएएस/आइपीएस जो चुपके से विभिन्न नेताओं की आरती उतारा करते थे, उनकी सारी हेकड़ी निकाल दी।

मतदाता पहचान पत्र के माध्यम से वोटिंग कराने का काम उन्होंने ही शुरु किया था। कहने को तो लोग यह भी कहते है कि जब-जब चुनाव सुधार की बात आयेगी, टीएन शेषण का नाम सबसे उपर होगा। ये तो रही सिस्टम खराब होने के बाद भी चुनाव प्रकिया की सुधार की बात, जो किसी से संभव नहीं थी और टीएन शेषण ने करके दिखा दिया।

अब जरा कोरोना संक्रमण को लीजिये, आज भी सिस्टम वहीं है, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, पंजाब, दिल्ली जैसे राज्य कोरोना से त्रस्त है और केरल जहां कोरोना ने सबसे पहले अपना पांव रखा, वो केरल आज कोरोना पर विजय पाने में प्रमुख भूमिका निभा रहा है, आखिर केरल कोरोना पर विजय प्राप्त करने में आगे क्यों हो रहा है, तो उसका मूल कारण है कि केरल ने सिस्टम को ठीक किया और उसी सिस्टम के सहारे कोरोना पर विजय प्राप्त करने में वो आगे बढ़ रहा है, और जब केरल ऐसा कर सकता है तो फिर अन्य राज्य कोरोना पर विजय क्यों नहीं प्राप्त कर सकते, सवाल यही है।

आज की अद्यतन रिपोर्ट यह है कि केरल में आज एक भी पोजिटिव केस नहीं मिले हैं। आज जितने सैंपल की जांच हुई, सभी निगेटिव है, केवल 30 ही कोविड 19 के पेंशेंट का वहां ट्रीटमेंट चल रहा है। राज्य में कोई भी नया हॉटस्पॉट चिह्नित नहीं हुआ है। यह है केरल की शासन-व्यवस्था, वहां की मीडिया, अस्पताल और जनता का महत्वपूर्ण रोल, जिसने कोरोना पर विजय पाने में महती भूमिका निभा दी। यानी जो केरल में देखने को मिल रहा हैं, वो अन्यत्र देखने को मिल जाये, तो कोरोना देखते-देखते साफ, पर हम हर बातों को मजाक में लेते है, जिसका परिणाम सामने हैं।

हमारे देश के कई राज्यों में यह देखने को मिल रहा है कि जिनका जो काम है, वे करते नहीं और जिस काम में उन्हें महारत हासिल नहीं है, उसमें वे ज्यादा दिमाग लगाते है, जिसका परिणाम होता है कि इन राज्यों में समस्याओं का समाधान नहीं होता, बल्कि समस्या ही समाधान को समाप्त कर देती है, अब केरल के ही फार्मूले पर सभी राज्य काम करने लगे तो फिर बताइये, कोरोना कहां रहेगा?

अब बात झारखण्ड की, हमें खुशी इस बात की है कि इस छोटे से राज्य ने कोरोना संक्रमण को लेकर जिस प्रकार से आर्थिक चुनौतियों के बीच इसका मुकाबला किया है, वो कम प्रशंसनीय नहीं है। अपने मजदूरों को दूसरे राज्यों से बुलाने का फैसला और उन्हें सम्मान के साथ उन्हें उनके घर तक पहुंचाना, तथा उनके लिए क्ववारेन्टाइन की व्यवस्था, भोजन की व्यवस्था, राज्य में कोरोना के नाम पर फैलाई जा रही सांप्रदायिकता पर अंकुश लगाने में कामयाबी पाना, इस राज्य की बहुत बड़ी सफलता है।

साथ ही जिस प्रकार से कोरोना पर विजय प्राप्त करने के लिए कोरोना टेस्टिंग में तेजी लाई गई है, हो सकता है कि यहां संख्या बढ़े, पर राज्य के अधिकारियों व सरकार द्वारा सिस्टम के माध्यम से किये जा रहे काम, निश्चय ही बेहतर स्थिति में झारखण्ड को लाकर खड़ा करेंगे, ये हमारा विश्वास है।