सरयू राय ने CM हेमन्त को लिखी चिट्ठी, रघुवर शासनकाल के दौरान विशेष शाखा के कुकृत्यों पर उठाए सवाल, SIT गठन की मांग
झारखण्ड व बिहार में समान रुप से सम्मानित एवं चर्चित तथा झारखण्ड में खाद्य आपूर्ति विभाग व संसदीय कार्य मंत्रालय संभाल चुके व पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास को जमशेदपुर पूर्व में इस बार पटखनी देनेवाले तथा उनकी राजनीतिक कैरियर सदा के लिए समाप्त कर देनेवाले नेता सरयू राय ने राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को एक पत्र लिखा है। पत्र में इस बात का उल्लेख है कि झारखण्ड सरकार के पुलिस महानिदेशक को उन्होंने गत एक मई को पत्र के माध्यम से गंभीर सूचनाएं भेजी थी, तथा इनकी जांच कर आवश्यक कार्रवाई करने का आग्रह किया था।
सरयू राय का कहना है कि उन्होनें यह पत्र इसलिए संप्रेषित किया था कि जिनके कारण राज्य पुलिस मुख्यालय का चेहरा मलिन हुआ है, वे दंडित हो, तथा राज्य पुलिस मुख्यालय का चेहरा साफ हो सकें। सरयू राय ने मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन से आग्रह किया है कि वे इस पर ध्यान दें। सरयू राय ने उस पत्र की प्रति भी सीएम हेमन्त सोरेन को भेज दी है, जो पुलिस महानिदेशक को भेजा था।
सरयू राय के अनुसार ऐसा कुकृत्य कोई अधिकारी बिना सरकार में शीर्ष पद पर बैठे व्यक्ति के निर्देश के बिना कर ही नहीं सकता
सरयू राय के शब्दों में, उन्हें उम्मीद है कि इस बारे में सरकार के पुलिस महकमे ने अब तक पर्याप्त सूचना संग्रह कर लिया होगा। हेमन्त सोरेन को संप्रेषित पत्र में, सरयू राय ने आगे कहा है कि सरकार एक एसआइटी गठित करें, सरकार में शीर्ष पद पर आसीन व्यक्ति अथवा व्यक्ति समूह के निर्दश के बिना ऐसे कुकृत्य को अंजाम देने की हिम्मत किसी वरीय पुलिस पदाधिकारी की नहीं होगी।
इस प्रकार यह मामला केवल विशेष शाखा के किसी मनबढ़ू अधिकारी तक सीमित नहीं रहेगा। तत्कालीन डीजीपी, गृह सचिव, भवन निर्माण विभाग के सचिव और गृह विभाग और भवन निर्माण विभाग के तत्कालीन मंत्री को भी इसकी जानकारी अवश्य होगी, अगर इन उच्च पदाधिकारियों की जानकारी के बिना ऐसा हुआ होगा तो यह शीर्ष स्तर पर पुलिस महकमा की अराजकता का चिन्ताजनक उदाहरण है, ऐसा विकृत और विद्रुप कार्य संस्कृति को बदलना और इसके लिए जिम्मेदार व्यक्तियों को दंडित करना राज्यहित और जनहित में जरुरी है, इस मामले में एसआइटी गठित होना और प्राथमिकी दर्ज कर अनुसंधान की कार्रवाई करना निहायत आवश्यक प्रतीत हो रहा है।
आरक्षी महानिरीक्षक को भेज पत्र में क्या लिखा था, सरयू राय ने
सरयू राय ने जो पत्र लिखा था, वो इस प्रकार है।
सेवा में,
आरक्षी महानिरीक्षक,
झारखण्ड सरकार,
महाशय,
विगत तीन वर्षों में मैंने कई बार महसूस किया कि झारखण्ड पुलिस की विशेष शाखा द्वारा मेरी गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है। एक घटना मेरे साथ साहेबगंज के श्री ओम भरतीया के आवास पर 2017 में हुई थी, जब मैं संथाल परगना के दौरे पर था और दूसरी घटना राजभवन के बाहर 2018 के मई माह के आरम्भ में हुई थी, जब मैं माननीया राज्यपाल महोदया से मिलकर राजभवन से बाहर निकला था। इन दोनों घटनाओं से मुझे इसका पुख्ता प्रमाण मिल गया था कि मेरे उपर नजर रखी जा रही है।
दोनों ही घटनाओं में मेरे उपर नजर रखनेवाले विशेष शाखा के पुलिसकर्मी थे। साहेबगंज में संबंधित व्यक्ति ने पकड़े जाने पर स्वीकार किया कि वह विशेष शाखा में इंस्पेक्टर है और विशेष शाखा द्वारा मेरी सुरक्षा में नियुक्त इंस्पेक्टर मुंडा जी के बैचमेट है। उसने यह भी बताया था कि साहेबगंज में आपकी गतिविधियों के बारे में हर घंटे विशेष शाखा मुख्यालय से सूचना मांगी जा रही है।
राजभवन के सामने हुई घटना में संबंधित व्यक्ति को जब मीडियाकर्मियों ने नागवार हरकत करते पकड़ा तो उसने बताया कि वह विशेष शाखा का सिपाही है और विशेष शाखा के रांची डीआइजी के निर्देश पर मेरी बातों को मोबाइल में रिकार्ड कर रहा है। मैंने इन दोनों घटनाओं के बारे में तत्कालीन डीजीपी को ससमय सूचित कर दिया था। हाल के दिनों में मुझे कुछ चौकानेवाले सूचनाएं मिली है, जो यदि सही है, तो पुलिस प्रशासन की कार्य-संस्कृति के बारे में चिन्ताजनक सवाल खड़ा करनेवाली है।
मुझे बताया गया है कि पूर्ववर्ती (निवर्तमान) झारखण्ड सरकार के निर्देश पर रांची के कांके रोड स्थित गोंदा थाना के पीछे एक भवन में झारखण्ड पुलिस के स्पेशल ब्रांच का एक अनधिकृत कार्यालय कार्यरत था। इस कार्यालय में आठ कम्प्यूटर, आठ तकनीशियन प्रतिनियुक्त थे, जो स्पेशल ब्रांच के थे। यहां पर रिकार्डिंग करनेवाली संवेदनशील मशीनें भी लगी हुई थी।
पुलिस प्रशासन का ऐसा अवैधानिक आचरण लोक कल्याणकारी शासन प्रणाली के लिए गंभीर चिन्ता का विषय
उस मकान में सटे हुए बैजनाथ प्रसाद नाम के एक व्यक्ति का आवास था, जो उस समय चाइल्ड वेलफेयर कमेटी खूंटी में कार्यरत थे और अभी भी कार्यरत है। वे इस कार्यालय के सम्पर्क सूत्र के रुप में सक्रिय थे। उन्हें विशेष शाखा की ओर से दो अंगरक्षक मिले थे। उन्हें विशेष शाखा से दो चालक भी मिले थे, जिनका नाम सुधीर सिंह और हरेन्द्र सिंह बताया गया है। उस कार्यालय में विशेष शाखा के डीएसपी स्तर के तीन अधिकारी प्रतिनियुक्त थे, जिनका नाम दीपक शर्मा, के के शर्मा और अनिल कुमार सिंह बताया गया है।
यह कार्यालय गोंदा थाना के समीप एक मकान में चल रहा था। बैजनाथ प्रसाद भी उसी के बगल वाले मकान या फ्लैट में रहते थे। इस अनधिकृत कार्यालय से विभिन्न राजनीतिक नेताओं की गतिविधियों पर नजर रखी जाती थी, उनका फोन सुना जाता था। इसी प्रकार की एक व्यवस्था सीआइडी मुख्यालय में भी की गई थी, जिसके लिए स्पेशल ब्रांच के पन्द्रह पुलिसकर्मी वहीं प्रतिनियुक्त थे। सीआइडी कार्यालय में चल रहा यह सिस्टम तो हाल में बंद कर दिया गया है। विशेष शाखा का अनधिकृत कार्यालय भी संभवतः निष्क्रिय है।
आप सहमत होंगे कि यदि उपर्युक्त सूचनाएं सही है, तो ऐसी गतिविधि नागरिकों की निजी स्वतंत्रता एवं पुलिस प्रशासन के वैधानिक आचरण के प्रतिकूल है। यह संसदीय लोकतंत्र के अधीन गठित एक शक्ति-संपन्न संस्थान की कार्य संस्कृति के वैधानिक क्रियाकलाप के विरुद्ध भी है। अनुरोध है कि उपर्युक्त विवरण की जांच कराएं। यदि यह सूचना सही नहीं होगी तो मुझे अत्यंत प्रसन्नता होगी। परन्तु यदि यह सूचना जांचोपरांत सही पाई गई तो पुलिस प्रशासन का ऐसा अवैधानिक आचरण लोक कल्याणकारी शासन प्रणाली के लिए गंभीर चिन्ता का विषय होगा।
सधन्यवाद,