अंजन का मकान क्या खाली कराया हेमन्त सरकार ने, बिलबिला उठे बाबू लाल, रघुवर दास और तथाकथित पत्रकार
झारखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के आप्त सचिव अंजन सरकार से, पूर्व में मिले आवास को राज्य सरकार ने खाली क्या करा लिया। झारखण्ड के प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास, एवं तथाकथित पत्रकारों का समूह भी बिलबिला उठा, और जिसको जो लगा हाथों-हाथ टिवट् कर हेमन्त सरकार को कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया, पर ये भूल गये, कि ऐसा करके उन्होंने स्वयं को ही जनता के सामने खुद को बौना कर दिया।
जरा देखिये, राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री एवं वर्तमान में नेता विरोधी दल का पद पाने के लिए संघर्षरत बाबू लाल मरांडी ने क्या टिवट् किया। ये कहते हैं कि “अंजन गौहाटी में फंसे हुए हैं। यह व्यक्ति राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री का आप्त सचिव है। लॉकडाउन में तो लोग भाड़ेदार का भी घर मानवीय वजह से खाली नहीं करा रहे। लेकिन यहां तो सरकार ने इस तरह ताला तोड़ समान तहस-नहस करवाने की कारर्वाई से अपनी ओछी और संकीर्ण मानसिकता उजागर की है।”
अब लगे हाथों राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास का भी टिवट् देख लीजिये। जनाब कहते है कि “कोरोना महामारी में लॉकडाउन के कारण असम में फंसे मेरे पीएस अंजन सरकार का आवास खाली कराया जाना विद्वेषपूर्ण कार्रवाई है। वह नियमानुसार वहां रह रहा था। महामारी के समय इस तरह की कार्रवाई को किसी प्रकार भी उचित नहीं ठहराया जा सकता। यह महामारी अधिनियम के भी खिलाफ है।”
कुछ स्वयं को भगवान के समकक्ष स्थापित कर देनेवाले पत्रकार भी रांची में नये-नये टिवट् करने लगे हैं, उन्होंने भी इस घटना पर अपनी पीड़ा छलका दी, और राज्य सरकार को कटघरे में लाकर पटक दिया, हालांकि उनके इस टिवट का जवाब भी उनके मित्रों का समूह बहुत अच्छी तरह दे दिया हैं, पर वो कहा जाता है न कि, जब आदमी को बहुत कुछ प्राप्त हो जाता है, तो वह स्वयं को भगवान समझ लेता है, और इसी प्रकरण में वह भगवान को भी चुनौती देने लगता है, क्योंकि उसे लगता है कि वो जो कर रहा हैं, वो पूर्णतः सही है।
अब सवाल राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री बाबू लाल मरांडी और पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास तथा उन तथाकथित पत्रकारों से, जिन्होंने इस मुद्दे पर हेमन्त सरकार को कटघरे में खड़ा करने का प्रयास किया?
- क्या आपको नैतिकता पर बहस करने का अधिकार है? क्या आपको मालूम नहीं कि भाजपा की ही एक वरिष्ठ नेता व विदेश मंत्री रही सुषमा स्वराज ने जैसे ही लोकसभा चुनाव लड़ने से इनकार किया, उन्होंने एक महीने के अंदर ही अपना सरकारी आवास खाली कर दिया और अपने आवास में जाकर रहने लगी, जब सुषमा स्वराज जैसी महान नेता ऐसा कर सकती हैं तो अंजन सरकार अपना सरकारी आवास खाली करें, इसका आदेश राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने क्यों नहीं दिया?
- जब सुप्रीम कोर्ट ने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी आवास का लाभ नहीं देने का आदेश दिया है और राज्य सरकार ने स्वयं कोर्ट में कहा है कि कोई भी पूर्व मुख्यमंत्री सरकारी आवास में नहीं हैं, तो फिर पूर्व मुख्यमंत्री का आप्त सचिव, इतने दिनों तक सरकारी आवास पर कैसे कब्जा किये रहा?
- सवाल तो यह भी है कि लॉकडाउन 22 मार्च को शुरु हुआ, इसने 22 मार्च के पूर्व सरकारी आवास का परित्याग क्यों नहीं किया?
- कहा जा रहा है कि अंजन सरकार असम में फंसे हुए हैं, भाई जब आपके भाजपा सांसद संजय सेठ/पशुपति नाथ सिंह लॉकडाउन में दिल्ली से रांची/धनबाद आ सकते हैं, वह भी अपनी गाड़ी से, तो यह व्यक्ति, पूर्व मुख्यमंत्री के आप्त सचिव होने के बाद भी, असम से रांची आकर, सरकारी आवास को मुक्त क्यों नहीं किया?
- ये हर बात में लॉकडाउन का बहाना बनाकर, गलत काम को सत्य कहने की परिपाटी बंद करने का काम ये नेता व उसका समर्थन करनेवाले पत्रकारों का समूह कब बंद करेंगे?
- अगर इसी तरह हर नेता का आप्त सचिव सरकारी आवास पर कब्जा जमा लें, तो फिर नये नेताओं के आप्त सचिव बने लोग कहां रहेंगे? लॉकडाउन पूरी तरह खत्म करने का इंतजार करेंगे, वह भी तब जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कह रखा है कि लोगों को कोरोना के साथ जीने का अभ्यास शुरु करना होगा।