क्या आपने चीन या नेपाल की वामपंथी सरकार की गुंडई के खिलाफ किसी भारतीय वामपंथी नेता के बयान सुने हैं?
चीन की गुंडई और उसकी अमानवीय हरकतों से विश्व के कई देश परेशान है। हांगकांग की जनता तो सड़कों पर आकर चीन की गुंडई का विरोध कर रही हैं। ताइवान, वियतनाम, जापान जैसे देश चीन की साम्राज्यवादी हरकतों से परेशान है। गरीब देशों को उन्हें कर्ज में डूबो देना और फिर उनकी प्रमुख संस्थाओं को अपने कब्जे में कर लेना, चीन की आदतों में शूमार है। तिब्बत को हड़प लेना और उसकी संस्कृति को पूरी तरह नष्ट करने की तरकीब को सारी दुनिया ने देख रखा है। कभी थ्येन मन चौक पर चीन की वामपंथी सरकार ने हजारों छात्रों पर बुलडोजर भी चलवा दिया था।
आजकल भारत के लद्दाख को हड़पने के लिए चीन अपने सैनिकों को भारतीय सीमाओं पर लगा रखा है, इधर नेपाल भी चीन के साथ मिलकर भारत के भू-भाग को निगलने में दिमाग लगा दी है और सच्चाई यह है कि इन दोनों देशों में वामपंथियों का शासन है, जिसे आजकल भारत को बर्बाद करने में ही परम आनन्द प्राप्त हो रहा है, पर क्या मजाल भारत के वामपंथी चीन या नेपाल के खिलाफ एक शब्द भी बोले।
इन्हें तो हर बात में मोदी व भाजपा के खिलाफ बक-बक करने में ही आनन्द आता है। सच्चाई यह है कि 1962 का काल हो या 2020 का काल भारत के वामपंथियों ने कभी देश का साथ नहीं दिया, उलटे 1962 में जब चीन ने भारत पर आक्रमण किया, तो उसमें भी भारत का ही इन्होंने दोष निकाल दिया। आज भी जब पूरा देश चीन के इस घटिया हरकतों के खिलाफ देश के साथ है, पर किसी वामपंथी नेता ने चीन के खिलाफ मुंह तक नहीं खोला, जिससे साफ लगता है कि ये लोग भारत से कम, पर वामपंथी देशों से ज्यादा प्यार करते हैं।
कमाल है, इन वामपंथियों को चीन से प्रकाशित होनेवाले सरकारी न्यूज ग्लोबल टाइम्स की बातों पर तो विश्वास होता है, उसके न्यूज को ये सोशल साइट पर शेयर करते हैं, पर कभी उसका विरोध नहीं किया, पर जब भारत के न्यूज एजेंसी की बात आती हैं तो ये उसे मोदी मीडिया कहकर उसका उपहास उड़ाते हैं। शायद यही कारण रहा कि भारत की जनता ने कभी वामपंथियों को वो सम्मान नहीं दिया, जो सम्मान पाने की हर पार्टी इच्छा रखती है।
आश्चर्य की बात है, क्या अपने क्षेत्र में, अपनी सीमाओं की सुरक्षा के लिए सड़कें बनाना, अपने सैनिकों के लिए बेहतर सुविधा उपलब्ध करना, अपनी सीमाओं के पास रहनेवाले ग्रामीणों को बेहतर नागरिक सुविधा उपलब्ध कराना अपराध है। चीन अगर यही अपने क्षेत्र में हरकत करें तो सही और भारत अगर करें तो गलत, ऐसी सोच रखनेवाले लोग सिर्फ और सिर्फ भारत में ही देखे जाते हैं।
हाल ही में मैंने एक वामपंथी के सोशल साइट पर यह लिखा देखा कि “देखते जाइये, अभी क्या-क्या होनेवाला है, महाप्रभु की नीतियों के कारण? चीन अपने नागरिकों को भारत छोड़ने के लिए पहले ही बोल चुका है” यानी इस प्रकार की घटिया सोच रखनेवाले लोगों का मन-मस्तिष्क में क्या चल रहा है, जरा दिमाग लगाइये, वह झारखण्ड में बैठकर चीन के पक्ष में अपना दिमाग लगा रहा हैं और अपने देश की सरकार पर प्रश्च चिह्न लगा रहा है, अगर इसकी बात पर नजर डालें तो वह इस घटना के लिए भी मोदी को ही जिम्मेवार ठहरा रहा हैं, उसे चीन की वामपंथी सरकार में कोई दोष नहीं दिखता। भाई ऐसा देश हैं हमारा, हर घर में चीनी बैठा है, अंजामे भारत क्या होगा?