रघुवर सत्ता विनाशक जप की सफलता से प्रसन्न ब्राह्मणों का समूह चंद्रग्रहण के दिन ईश्वर को गोपणीय ढंग से देगा धन्यवाद
अगर आप विद्रोही 24.कॉम के नियमित पाठक है, तो आपने एक फरवरी 2018 को इसमें “ब्राह्मणों ने चंद्रग्रहण के दिन गोपणीय ढंग से संपन्न किया रघुवर सत्ता विनाशक जप” शीर्षक से छपी समाचार को जरुर पढ़ा होगा। जिसमें इस बात को उल्लेखित किया गया था कि 17 दिसम्बर 2017 से चला आ रहा रघुवर सत्ता विनाशक जप 31 जनवरी 2018 को संपन्न हो गया।
जप के बाद संपन्न होनेवाली हवन-पूजन का विधिवत् समापन कर ब्राह्मणों ने चैन की सांस ली, और उसी दिन यह घोषणा भी कर दी थी कि अब रघुवर सरकार की सत्ता जल्द ही चली जायेगी और एक दिन ऐसा भी आयेगा कि राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास का सदा के लिए पॉलिटिकल कैरियर तबाह हो जायेगा।
जिस दिन विद्रोही24.कॉम ने इस खबर को अपने पोर्टल में प्रकाशित किया था, तो कई लोगों ने विद्रोही24. कॉम के इस खबर का मजाक उड़ाया था, तथा रघुवर सत्ता विनाशक जप में लगे ब्राह्मणों के खिलाफ भी अनाप-शनाप बके थे, पर कल एक बार फिर चंद्रग्रहण है, और फिर ब्राह्मण गोपणीय ढंग से रघुवर सत्ता विनाशक जप की सफलता के लिए, ईश्वर को धन्यवाद करने के लिए कल विशेष पूजा अर्चना संपन्न करेंगे।
विद्वानों का कहना है कि ये बहुत ही जरुरी है, क्योंकि आपने जिसके लिए जप या यज्ञादि संपन्न किया और वह सफल हो गया तो आपको ईश्वर के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने ही होंगे और इसे भी गोपणीय ढंग से संपन्न करना और कराना होगा, क्योंकि इस जप में गोपणीयता का विशेष महत्व है, जहां गोपणीयता भंग हुई, आपकी सारी पूजा व जप की शक्तियां ही समाप्त जायेगी। विद्वानों का मानना है कि इसके लिए जप स्थल की गोपणीयता ज्यादा प्रासंगिक है।
विद्वानों का कहना है कि अब कितना भी रघुवर दास कुछ भी कर लें, वे फिर से उस स्थिति में नहीं आ सकेंगे, जैसा कि पहले थे, विद्वानों का कहना है कि गढ़वा में ब्राह्मणों के खिलाफ उनके द्वारा प्रयुक्त भाषा ने सारे ब्राह्मणों को उद्वेलित किया, झारखण्ड के कई स्थानों पर ब्राह्मणों ने धरना-प्रदर्शन किया, पर सत्ता के मद में चूर रघुवर दास ने ब्राह्मणों को ठेंगे पर रखा, ऐसे में बेचारे ब्राह्मण क्या करते, उनके पास जो मंत्र-शक्ति हैं, उसका प्रयोग किया और सफलता मिल गई।
रघुवर दास की सारी यश-कीर्ति धूल में मिल गई। विद्वानों का कहना है कि जिस दिन यह जप संपन्न हुआ था, आप देखे होंगे कि रघुवर दास हर मोर्चे पर विफल होने शुरु हो गये थे, जनता में ही सिर्फ उनकी अलोकप्रियता नहीं बढ़ी, बल्कि भाजपा के कार्यकर्ता ही उनके कई जगह दुश्मन बन गये, क्योंकि मंत्र-शक्ति के प्रभाव ने अपना करिश्मा दिखाना शुरु कर दिया और एक समय ऐसा भी आया कि इनका सत्ता तो गया ही, विधायक भी नहीं रहे, यहां तक कि जहां इन्हें होना था, वहां बाहर से नेता को बुलाकर प्रतिष्ठित कर दिया गया, ऐसे में आप खुद समझिये कि रघुवर सत्ता विनाशक जप कितना सफल हुआ।
विद्वानों का कहना है कि आगे भी वे इस प्रकार का जप-यज्ञ संपन्न करवायेंगे, जब कोई रघुवर दास टाइप का शासक झारखण्ड में आयेगा, जो वैमनस्यता फैलायेगा, समाज को कमजोर करने का काम करेगा, विकास कार्य की जगह जातीयता का बीज बोयेगा तो फिर चाणक्य रुपी कोई ब्राह्मण शिखा खोलेगा और तब तक चैन से नहीं बैठेगा, जब तक उसे सत्ता से उखाड़ नहीं फेंकेगा, अब कल चंद्रग्रहण हैं, रघुवर सत्ता विनाशक जप सफल करने के लिए ईश्वर को धन्यवाद देने का काम करने दीजिये।