अपनी बात

शर्मनाक घटना: भारत- चीन सीमा पर तनाव, हेमन्त सरकार के एक मंत्री ने कहा नहीं भेजेंगे बार्डर पर झारखण्डी मजदूर

अगर कोई सरकार या नेता या दल यह कहता है कि वह अपने राज्य में आनेवाले सारे प्रवासी मजदूरों को रोजगार उपलब्ध करा देगा, तो समझ लीजिये या तो वह भगवान है या सबसे बड़ा झूठा अथवा मक्कार। दुनिया के किसी देश में ऐसा संभव नहीं कि सरकार हर को रोजगार उपलब्ध करा दें, खासकर उस देश में जहां जनसंख्या सड़कों पर नजर आती हैं या जहां की सरकार जनसंख्या को ज्यादा से ज्यादा वोट पाने का जरिया समझती है तथा इसे बढ़ाने के लिए अपनी सीमाएं तक खोल देती हो, जी हां हम भारत की बात कह रहे हैं, जहां देश में जितनी सरकार आई, देश को धर्मशाला बना दिया और देश को मानव उत्पादन का कारखाना।

चलिये छोड़िये, कहां हम इन सारी बातों को लेकर बैठ गये। अभी कोरोना ने देश की जान निकाल दी है। देश में अपने बेहतर भविष्य के लिए गांव को छोड़, शहरों में झूग्गी-झोपड़ियों या किरायेदार के रुप में रहनेवालों का झूंड गांवों की ओर लोट रहा हैं। ये वे लोग है, जब शहर से गांव में लौटते थे, तो अपने ही परिवार को दो चार प्रवचन दे दिया करते थे, कहते थे कि देखों तुम गांव में रह गये और हम शहर जाकर तुमसे ज्यादा बेहतर बन गये, पर इधर शहर से गांव की और लोटे, ऐसे लोगों पर गांव के लोग ही अब ताना मार रहे हैं, खुद उनके परिवार के लोग भी ताना मारने में आगे हैं, देश के कई गांवों में आज भी मुख्य मार्ग पर बोर्ड टांगा हुआ है, बाहरियों का गांव में आना वर्जित है।

पर देश के कुछ राज्य सरकारों को लगता है कि उन्होंने बाहर से इन प्रवासियों को लाकर क्रांति कर दी है। बात तो सही है कि क्रांति की है, पर यह क्रांति का एक पक्ष हैं, और जब रोजगार की भीषण युद्ध छिड़ेगी तो गांवों की क्या हालत होगी? इसे समझने के लिए बिहार पुलिस मुख्यालय की यह चिट्ठी ही काफी है। जिसमें सभी जिलाधिकारियों, सभी वरीय पुलिस अधीक्षक, पुलिस अधीक्षक रेल सहित को संबोधित एक पत्र लिखा गया है। जिसमें इस बात का जिक्र है, कि बिहार प्रवासी मजदूरों की भारी आमद के कारण गंभीर विधि व्यवस्था की समस्या उत्पन्न हो सकती है।

लेकिन झारखण्ड में क्या है, अभी सभी अपने-अपने ढंग से कोरोना उत्सव मना रहे हैं। और इस कोरोना उत्सव में देश को भी लोग दांव पर लगा दे रहे है। ये समझ ही नहीं पा रहे कि वे कर क्या रहे हैं? क्या बोल रहे हैं? बस स्वयं को बड़ा बनाने के चक्कर में देश का अहित करने से भी नहीं चूक रहे। वह मैं इसलिए लिख रहा हूं कि झारखण्ड के एक मंत्री सत्यानन्द भोक्ता ने बयान दिया है कि जब तक बार्डर पर हालात ठीक नहीं हो जाते, तब तक किसी मजदूर को सीमावर्ती इलाके में काम करने के लिए नहीं भेज सकते। सत्यानन्द भोक्ता ने कहा है कि बार्डर इलाके में मौजूदा हालात ठीक नहीं हैं, ऐसे में झारखण्ड से मजदूरों को वहां नही भेजा जायेगा।

हाल ही में लेह-लद्दाख से झारखण्ड के मजदूरों को एयर लिफ्ट कराया गया था, जब उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री से वापस बुलाने की मांग की थी। लेकिन अभी लद्दाख की हालत किसी से छुपी नहीं है। चीन भारत के लद्दाख पर कब्जा जमाना चाहता है, और बार्डर इलाकों में चीन की मंशा को ध्वस्त करने तथा भारतीय सेना को बेहतर सड़क उपलब्ध कराने के लिए बार्डर रोड आर्गेनाइजेशन काम करती है। जिसमें मल्टी स्किल्ड वर्कर होते हैं। बताया जाता है कि इसमें झारखण्ड के मजदूरों की संख्या ज्यादा है।

अगर ऐसे हालात में जब चीनी सैनिक सीमा पर मौजूद हो, और उस समय सीमा पर सड़कों को बेहतर बनाने का काम कर रही बार्डर रोड आर्गेनाइजेशन को हम मदद करने से इनकार कर दें तो क्या खाक हम चीन को उसकी औकात बतायेंगे। आखिर ऐसी  घटिया सोच कहां से आती हैं भाई। ऐसी सोच की तो जितनी निन्दा की जाय कम है।