अपनी बात

जनता गलत करें तो उसके खिलाफ FIR दर्ज करो और सत्ता में शामिल नेता व मंत्री करें, तो उनका मान बढ़ाओ

24 अप्रैल 2020 को रांची के चुटिया थाना के ठीक सामने एक व्यापारी समुदाय के अतिप्रतिष्ठित व्यक्ति के घर श्राद्धकर्म का आयोजन था, जिसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए थे। जिस कारण बड़ी संख्या में गाड़ियां भी लगी हुई थी,  फिर क्या था, उन गाड़ियों के नंबर के आधार पर ही 29 लोगों पर चुटिया थाने में प्राथमिकी दर्ज कर दी गई, आरोप लगा लॉकडाउन उल्लंघन का।

अब सवाल उठता है कि जब चुटिया थाना के ठीक सामने आवश्यकता से अधिक लोग श्राद्धकर्म में जुटते हैं, तो उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज हो जाती हैं, पर बेरमो में जब बड़ी संख्या में राज्य सरकार के मंत्री, कांग्रेस के बड़े-बड़े नेता, हजारों की भीड़ (कांग्रेस के प्रवक्ता आलोक दूबे तो गर्व से विद्रोही24 को बताते है कि हजार नहीं लाखों की भीड़) गत 6 जून को स्व. राजेन्द्र सिंह के श्राद्धकर्म में कैसे जूट गये और जब जूट भी गये तो इन माननीयों पर प्राथमिकी दर्ज क्यों नहीं हुई?

क्या इन सभी को लॉकडाउन उल्लंघन करने का विशेष अधिकार मिला हुआ है, अगर ऐसा विशेष अधिकार मिला हैं, तो हम उस विशेष अधिकार को देखना चाहेंगे। याद करिये, सुप्रसिद्ध फिल्म अभिनेता ऋषि कपूर का हाल ही में निधन हो गया। महाराष्ट्र सरकार ने सिर्फ 20 लोगों को अंतिम संस्कार में भाग लेने की इजाजत दी, और ऋषि कपूर के परिवारवालों ने उन नियमों का पालन किया।

पर झारखण्ड में क्या हो रहा है, जनता के लिए अलग नियम और माननीयों के लिए अलग नियम और इनके खिलाफ कानून भी कुछ नहीं कर रहा, क्या ऐसे में गलत धारणा का जन्म नहीं हो रहा, कही तुलसी की वो पंक्ति पर शासन नहीं चल रहा – समरथ के नहिं दोष गोसाईं।

खुद राज्य सरकार ने नियम बनाये है कि शादी और श्राद्धकर्म में पचास से अधिक लोग नहीं जुट सकते, उसमें भी सोशल डिस्टेन्स का पालन करना होगा, तो जरा आप अखबार में छपे इस फोटो को देखिये, कि क्या इन मंत्रियों और नेताओं ने सोशल डिस्टेन्स का पालन किया है, अथवा क्या ये मात्र पचास लोगों की संख्या है। अखबार और वहां के लोग तो मानते है कि हजारों की संख्या में लोग जूटे।

सवाल, नीयत का है। वो कौन लोग थे? जिन्होंने सरकार के बनाये गये नियमों को तोड़ा? वे कौन लोग थे, जिन्होंने इन नियमों को तोड़ने वालों का मान बढ़ाया और प्राथमिकी तक दर्ज नहीं होने दी, और जब इन पर कृपा हो ही गई, तो 24 अप्रैल को रांची के चुटिया के एक व्यापारी के घर श्राद्धकर्म में जूटे लोगों ने कौन सा अपराध कर दिया, आखिर उन पर भी राज्य सरकार की कृपा क्यों नहीं बरसी? आशा ही नहीं, बल्कि पूर्ण विश्वास है कि राज्य सरकार और उनके विद्वान मंत्री व नेता, इस मुद्दे पर जनता तक अपनी बात अवश्य रखेंगे।