PM मोदी सर्वदलीय बैठक में सोशल डिस्टेसिंग का पालन कर रहे थे, उसी समय रांची में भाजपा के बडे़ नेता इसका धज्जियां उड़ा रहे थे
राज्यसभा का चुनाव कोई जीते, सवाल तो सिर्फ यह है कि इससे झारखण्ड को क्या मिल जायेगा? सवाल तो यह भी है कि इस बात की जानकारी तो सत्तापक्ष और विपक्ष में शामिल सभी विधायकों व उनसे जुड़े नेताओं को पता था कि जिस प्रकार की स्थितियां व परिस्थितियां हैं, झामुमो अपनी सीट आराम से निकाल लेगी और रही बात भाजपा की तो उसे बाकी मतों को अपनी ओर आकर्षित करने में ज्यादा दिमाग लगाना नहीं पड़ेगा, क्योंकि निर्दलीय सरयू राय जब देंगे तो भाजपा को ही अपना मत देंगे।
बाबू लाल मरांडी भाजपा में चले गये तो एक वोट ऐसे भी भाजपा का बढ़ गया, पर पता नहीं कांग्रेस को क्या हो गया था कि वो इसमें टांग अड़ा दी, बेवजह का चुनाव कराना पड़ गया, कमाल देखिये इस क्लियर सीट में भी कई अपने को पहुंचे हुए पत्रकार माननेवालों ने छिद्रान्वेषण भी करना शुरु कर दिया, कहने लगे देखिये दूसरा सीट कौन जीतता हैं? मतलब हर बात में देखना बाकी है, बोलना जरुरी हैं, भले ही देखनेलायक कुछ रहे अथवा नहीं।
अब बात शिबू सोरेन और दीपक प्रकाश जीत गये, इससे राज्य को क्या मिल जायेगा? या जो अब तक जीतकर गये हैं, उन्होंने कौन सा ऐसा काम कर दिया कि झारखण्ड की बल्ले-बल्ले हो गई। हां, इतना जरुर हुआ कि जो लोग राज्यसभा चुनाव जीते या लोकसभा जीते, उनकी तथा उनके परिवार की कायापलट जरुर हो गई, पूरा परिवार ही नहीं, बल्कि उनसे जुड़े लोग बम-बम हो गये।
रही बात पार्टी के कार्यकर्ताओं की तो उनके लिए हैं न, राज्यसभा सांसद को मिलनेवाली विकास वाली करोड़ों की राशि, उस राशि से उनका भी कल्याण हो जायेगा, साथ ही इसी राशि में से जो कुछ विशेष रुप से जुड़ी रहती हैं, कि वो तो कोई मांगे भी नहीं, तो नेताजी को चली ही जाती है, और अब तो राज्यसभा में सवाल उठाने के भी पैसे लेने की परम्परा शुरु हो गई है, तो फिर चलिये डूबकी लगाने को, ऐसे भी कौन हम सत्य हरिश्चन्द है।
ये भाजपाई तो अपने ही नेता की बात नहीं मानते, जरा देखिये न, आज ही भारत-चीन सीमा पर हुए तनाव को लेकर दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सर्वदलीय बैठक बुलाई थी, जिसमें सोशल डिस्टेन्सिंग का जबर्दस्त ख्याल रखा गया था, यह एक प्रकार का देशवासियों को संदेश भी था कि कोविड 19 से हमें हर हाल में लड़ना है, चाहे कुछ भी हो, और इस कोविड 19 सें हम सोशल डिस्टेन्सिंग द्वारा ही लड़ सकते हैं।
पर झारखण्ड में क्या हुआ, भाजपाइयों ने सोशल डिस्टेंसिंग की हवा निकाल दी। एक चपंडूक पत्रकार को नेता जी की आंखों में आंसू दिख गया, उसने उसका हेडिंग तक बना डाला, पर उसे यह नहीं दिखा कि वही खड़े कई भाजपा नेता सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ा रहे हैं, मस्ती से मुंह पर मास्क लटकाये, आंखों को सेंक रहे हैं।
इन पत्रकारों को यह दिखाई नहीं पड़ा कि जीतने की आश्वस्ता के बावजूद सरला बिरला स्कूल में भाजपाई विधायकों ने कई दिनों तक मस्ती काटी, क्रिकेट खेला। क्यों भाई, आपको हार का डर था? आपको हार का डर, जो कई बार दूसरों को हराने की ताकत रखा था? क्या कोविड 19 में जहां सारे स्कूल, कॉलेज व विश्वविद्यालय बंद हैं, वहा किन परिस्थितियों में भाजपा विधायकों ने समय गुजारे, जबकि कई अखबारों में जो वहां हुए क्रिकेट की फोटो जारी हुई है, उसमें भी सोशल डिस्टेंसिंग नहीं दिख रही है। जिला प्रशासन बताये कि इन भाजपा विधायकों को सरला बिरला स्कूल में रहने की इजाजत किसने और किसके आदेश से दे दी।
कुछ झाविमो से भाजपा में गये भाजपाई नेता तो कल सत्ता पक्ष के नेताओं के घर हुए भोज-भात की फोटो लेकर ऐसे-ऐसे बयानबाजी कर डाले, जैसे लगता है कि भारत-चीन सीमा पर घटित घटना का समाचार मिलने के बाद कई दिनों से भाजपा के बड़े नेताओं ने खाना तक नहीं खाया, अरे भाई थोड़ा अपना दीदा देख लो और फिर दूसरे के घर पर जाकर पत्थर मारा करो, ये क्या आपको हेमन्त के घर हो रहे भोज-भात की याद आती है, और अपने ही नेता जो पीएम मोदी है, उनकी बातों को समय-समय पर उठाकर पटकने में आपको बड़ा मजा आता है, जैसे की आज ही जीत की खुशी में कोविड 19 के अंतर्गत सबसे किये जा रहे अनुरोध की, आपने हवा निकाल दी, सोशल डिस्टेंस का ख्याल ही नहीं रखा, और बात करेंगे ऐसा कि, जैसे लगता है कि आपके जैसा कभी कोई नेता न हुआ है और न होगा?