इस बार देवघर नहीं, बल्कि अपने घरों में ही बोल-बम का जयकारा लगाइये और भर सावन शिव को मनाते रहिये
इस वर्ष अपने-अपने घरों को ही मन का “देवघर” बना लिया जाय, और उसी में भगवान शिव का दर्शन, पूजा-अर्चन व जलाभिषेक को संपन्न कर लिया जाय तो इसमें हर्ज ही क्या है? इससे दो फायदे भी होंगे। पहला हम और हमारा झारखण्ड कोरोनामुक्त होने की दिशा में आगे बढ़ेगा और दूसरा हम सही मायनों में आध्यात्मिकता की उच्च शिखर ध्यान की ओर आगे बढ़ेंगे।
ऐसे तो मैं राज्य सरकार के उन सारे अधिकारियों व विशेष कर देवघर की उपायुक्त नैंसी सहाय की इस बात के लिए विशेष बधाई दुंगा कि उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन द्वारा लिये गये निर्णय को जमीन पर उतारने की पूरी तैयारी ईमानदारी पूर्वक की है। हालांकि जिन्हें राजनीति करनी है, वे तो राजनीति करेंगे ही, जैसा कि गोड्डा के भाजपा सांसद निशिकांत दूबे ने देवघर मुद्दे पर कर दी। देवघर और बाबा मंदिर को लेकर जो आपत्तिजनक बयान हेमन्त सोरेन के उपर दिया है, वो शर्मनाक भी हैं और ऐसे भी निशिकांत दूबे से ऐसे ही बयानों की अपेक्षा भी की जाती है।
द्वादशज्योतिर्लिगों में एक देवघर में स्थापित महान शिवभक्त रावण के द्वारा स्थापित शिवलिंग सचमुच शिवभक्तों के लिए काफी अहम् स्थान रखता है, यहां पर दर्शन, पूजा-अर्चन से ज्यादा शिवलिंग के स्पर्श की महत्ता है, शायद यही कारण है कि जो भी भक्त वैद्यनाथ धाम पहुंचा, वह जलार्पण करने के बाद शिव को स्पर्श करना चाहता है, जैसा कि कभी रावण ने यहां किया था।
पर ऐसी स्थिति लगभग इस साल नहीं हैं, क्योंकि मानवता का शत्रु हमारा पड़ोसी देश चीन ने ऐसे कोरोना वायरस की इजाद की, जिससे पूरी मानवता को ही खतरा उत्पन्न हो गया है, हालांकि इससे लड़ने और मिटाने के लिए हमारे और दूसरे देश के वैज्ञानिक वैक्सीन बनाने में लगे हैं, पर कब सफलता मिलेगी, कहना मुश्किल है। ऐसे में बचाव ही इसका सबसे बड़ा इलाज है। जिसमें भीड़ से हर को बचना जरुरी है।
चूंकि श्रावण के दौरान वैद्यनाथधाम में शिवभक्तों की भारी भीड़ जुटती है, ऐसे में सरकार का पहला दायित्व था कि वो शिवभक्तों के स्वास्थ्य की चिन्ता करते हुए, इस बार श्रावणी मेला को स्थगित करने का प्रबंध करें, और सरकार ने ऐसा किया भी। उसके बावजूद देखने में आ रहा है कि कुछ शिव भक्तों का समूह बाबा वैद्यनाथधाम की ओर प्रस्थान कर रहा हैं, यह एक तरह से कानून का उल्लंघन भी है तथा प्रशासन के सामने चुनौती देना भी हैं, जिसका कोई भी सभ्य व्यक्ति समर्थन नहीं करेगा।
लोगों को समझना होगा कि पहली बार देश में ऐसी स्थितियां आई हैं, जिसके कारण लोगों को एक-एक दिन सामान्य दिनों की जगह, कोविड 19 से बचने के लिए स्वयं को तैयार करने में लग रहा हैं, ऐसे में खुद को बचाना और दूसरों को बचाना ज्यादा जरुरी है। शिवभक्तों को जानना होगा कि कभी भगवान शिव ने भी जनकल्याण के लिए हलाहल पीया था, ऐसे में आज कोविड 19 को लेकर प्रत्येक व्यक्ति को अपनी भूमिका तय करनी होगी, और श्रावण मेले में उपस्थित होने के हर साल के अपने संकल्प को न चाहते हुए भी तोड़ना होगा, इसी में सबकी भलाई हैं और देश की भी। इस बार जिस प्रकार देवघर में स्थानीय प्रशासन ने व्यवस्था की हैं, उसकी प्रशंसा करनी होगी और उसे सहयोग भी करना होगा।