अपनी बात

बधाई हो, पहले तो अधिकारी, पत्रकारों के भैया और चाचा हुआ करते थे, अब जीजा जी भी हो गये

कल जैसे ही मुझे एक ऑडियो मिला, मेरा दिमाग ही घुम गया। मेरे मन में ख्याल आ गया और मेरे मन ने कहा कि “रांची में बहुत सारे अधिकारी कई पत्रकारों के भैया और चाचा हैं, पर जीजा जी भी है, ऐसा मुझे आज सुनने को मिला।” फिर जल्द ही एक और बात आ गई “शर्म करो, रांची के धंधेबाज पत्रकार। पत्रकार – जीजा जी (जो अधिकारी है), हम कोरेन्टाइन में है, हमें कुछ नहीं पता, रुकिये हम आपका न्यूज़ रुकवाते है।” और मैंने इसे सोशल साइट पर डाल दिया।

दो दिन पूर्व रांची से प्रसारित होनेवाले न्यूज चैनल, न्यूज 11 जो पहले केवल न्यूज 11 था, बाद में खुद को बदलकर न्यूज 11 बिहार-झारखण्ड रखा, फिर अभी खुद को न्यूज 11 भारत कह रहा है। एक समाचार प्रसारित की। समाचार राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के ओएसडी गोपालजी तिवारी से संबंधित था। चैनल दिखा रहा था कि गोपालजी तिवारी ने अपने विदेश दौरे की जानकारी राज्य सरकार से छुपाई, उसने गुड़गांव में करीब 12 करोड़ रुपये के फ्लैट भी खरीदे, राज्य की विधानसभा समिति इस मामले को लेकर जांच भी कर रही है।

भाई, मैं तो इस बात का पक्षधर हूं, कि जो गलत हैं, उसका पर्दाफाश होना ही चाहिए, पर फिलहाल गोपालजी तिवारी पर ही ये हमला क्यों? राज्य का कौन सा प्रशासनिक अधिकारी या आइएएस/आइपीएस हैं, जो दूध का धुला है, इसी प्रकार के आरोप तो राज्य के कई आइएएस/आइपीएस अधिकारी झेल रहे हैं। अगर एक दो को छोड़ दिया जाय, तो भ्रष्टाचार की इस गंगोत्री में सभी नंगे हो जाये और चैनल चलानेवालों के तौर-तरीके और उनके भ्रष्टाचार पर अगर राज्य सरकार के ईमानदार अधिकारी हाथ रख दें, तो दूसरे दिन वहां काम करनेवाले लोग रोड पर आ जाये और जो डंके की चोट पर बोल रहा है कि सच हैं तो दिखेगा, उसकी हालत वो खराब हो जाये, कि क्या कहा जाये।

जिस चैनल ने ये न्यूज चलाये हैं, उसके मालिक की यशकीर्ति इतनी फैली है कि मत पूछिये, जो लोग जानते हैं, सो जानते है, पर पता नहीं क्यों? सरकार किसी की भी हो, इसकी दुकान कभी बंद नहीं होती, आखिर क्यों, समझने की जरुरत है, और शोध की भी जरुरत है। यहां तक की सरकार ने उसे बॉडीगार्ड तक दे रखे हैं, भाई एक पत्रकार को बॉडीगार्ड की क्या जरुरत? पत्रकार तो मैं भी हूं, बॉडीगार्ड की जरुरत ही नहीं मुझे?

अब जरा न्यूज 11 के कर्ता-धर्ता सुप्रीमो अरुप चटर्जी की नौटंकी देखिये। जिस दिन ये गोपाल तिवारी के खिलाफ न्यूज 11 चला रहा है, गोपाल जी तिवारी का उसके मोबाइल पर फोन आता है, कि वह अपने यहां चल रहे इस न्यूज को बंद कराये। इसी दौरान अरुप चटर्जी गोपाल जी तिवारी को जीजाजी कहकर संबोधित करता है, और उसे आश्वासन देता है कि वह न्यूज रोकवा रहा है। यही नहीं, इसी दौरान वह अपने प्रोड्यूसर से भी बात करता है, और गोपाल जी तिवारी को विश्वास में लेने के लिए वह कहता है कि जो न्यूज चल रही है, उस न्यूज के बारे में उसे कुछ पता नहीं, और वह दो दिन से खुद कोरेन्टाइन है।

अब सवाल उठता है कि मुख्यमंत्री के ओएसडी के खिलाफ आधे घंटे की न्यूज बनेगी, और चैनल के सुप्रीमो को पता नहीं होगा, ये विश्वास करने योग्य है? प्रोड्यूसर से बात करना और खुद को कोरेन्टाइन बताकर अपने को गोपालजी तिवारी के सामने पाक-साफ बताने की कोशिश करना, ये साफ करता है कि अरुप चटर्जी भी कोई दुध का धुला नहीं हैं, और उसके कुछ फायदे इसमें निहित है।

कमाल कि बात, एक और, दुनिया का कौन साला होगा, जो अपने जीजा के मान-सम्मान की धज्जियां उड़ायेगा? अगर वह सचमुच उसे जीजा मानता है, खासकर वह व्यक्ति जिसका शुचिता व सच्चरित्रता से कोई मतलब ही नहीं रहा हो। इस आदमी के बारे में जानना हो तो भारत के वरिष्ठ पत्रकार गुंजन सिन्हा से जाना जा सकता है। यह बाउंस हो जानेवाला चेक जारी  करता है और केस भी जीत जाता है, यानी यह कितना बड़ा खिलाड़ी है, और कौन लोग इसकी मदद करते हैं, बताने की जरुरत नहीं।

दरअसल, हुआ यह है कि कई आइएएस/आइपीएस व राज्य सेवा से जुड़े प्रशासनिक अधिकारी जो एक नंबर के भ्रष्ट है, उन्हें इस बात को लेकर मन ही मन गुस्सा था कि जब हम भी भ्रष्ट हैं, और वो भी भ्रष्ट हैं तो फिर वह अकेले तरमाल क्यों खा रहा है, उसका भद्द पीटा जाय, तो फिर गोपालजी तिवारी का भद्द कौन पीटेगा, तो ढुंढा गया, ढुंढने में और कोई नहीं साले ही मिल गये और फिर जैसा कि आज की पत्रकारिता में हो रहा हैं, लोग गिरे हुए हैं, अब जीजाजी भी प्रशासनिक अधिकारियों को बनाने लगे हैं, उसने गजब ढा दिया। देखते ही देखते गोपालजी तिवारी बेचारे हो गये, क्योंकि पत्रकार रुपी साले ने उनकी बैंड बजा दी।

बैंड क्या? न्यूज रोकने के लिए फोन किये, वह जीजाजी-जीजाजी कहकर बात करता रहा और फिर उसे रिकार्डिंग कर वायरल भी कर दिया, जिससे साफ जाहिर होता है कि गोपालजी तिवारी और अरुप चटर्जी में किसी बात का कोई अंतर नहीं, दोनों समान रुप से भ्रष्टाचार की गंगोत्री है। अब ये आप चिन्तन करिये कि न्यूज को चलाने में किसको क्या फायदा होनेवाला था, बस चिन्तन करिये, सब कुछ क्लियर हो जायेगा।

2 thoughts on “बधाई हो, पहले तो अधिकारी, पत्रकारों के भैया और चाचा हुआ करते थे, अब जीजा जी भी हो गये

  • वह आजियों कहीं है विप्र महोदय

  • T Goutam

    महाशय आपने तो News 11 के कर्ता धर्ता के दुखती राग पर ही हाथ डाल दिया| इसके रिपोर्टर की ये हालत है कि 50 रूपये के लिए किसी को नंगा का दे| सोशल मीडिया और छोटे पोर्टल के संवाददाताओं को इसका रिपोर्टर live करने से रोकता है| थाने और नेताओं की दलाली में इतने व्यस्त हैं कि इसके पत्रकार किसी शरीफ की इज्ज़त को सरेआम उछलने में ही अपनी पत्रकारिता समझता है|

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