बधाई जनसंवाद की महिलाकर्मियों, आपकी बातों को पीएम मोदी ने नहीं सुना, पर हेमन्त ने सुनी और न्याय दिला दिया
झारखण्ड सरकार के सूचना एवं जनसम्पर्क निदेशालय ने एक आदेश निकाला है, जिस आदेश में उद्धृत है – “राज्य सरकार द्वारा लिए गये निर्णय के आलोक में मेसर्स माईका एजुकेशन कंपनी, मेन रोड, रांची के जन संवाद केन्द्र एवं राज्य कोरोना नियंत्रण केन्द्र से संबंधित सूचना भवन स्थित सभी कार्यों को दिनांक 31 जुलाई 2020 के प्रभाव से समाप्त किया जाता है।” यह आदेश सहायक इलेक्ट्रानिक अभियंता के हस्ताक्षर से जारी किये गये है।
अब सवाल उठता है कि लोगों को शीतलता प्रदान करनेवाला तथा इस कंपनी के गलत कार्यों के कारण जितने लोग प्रभावित हुए, उनके मन को हर्षानेवाला यह आदेश सहायक इलेक्ट्रानिक अभियंता के हस्ताक्षर से क्यों निकाला गया? जबकि सभी जानते है कि इस पद पर विराजमान व्यक्ति के माईका एजुकेशन कंपनी के कर्ता-धर्ता से बहुत ही मधुर संबंध रहे हैं।
फिर भी हमें इससे क्या मतलब कि किसके आदेश से यह समाचार आया, सच्चाई यह है कि समाचार जैसे भी आया है, और जिस व्यक्ति के आदेश से आया है, यह मायने नहीं रखता, मायने यह रखता है कि माईका को अंततः बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है, जो हर्ष का विषय है।
हर्ष का विषय इसलिए कि यह संस्था अपने जन्मकाल से ही विवादों में रही। इस संस्था पर दो लड़कियों ने गंभीर आरोप लगाये थे, जिसको लेकर इसी संस्था में काम करनेवाली महिलाकर्मियों ने प्रधानमंत्री तक गुहार लगाई थी, महिला आयोग तक का दरवाजा खटखटाया था, पर राज्य महिला आयोग ने तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास की कृपापात्र इस संस्था को बेदाग करार दे दिया, वह भी एक पक्षीय जानकारी के आधार पर।
जबकि इस संस्था के बारे में विभागीय टीम ने जांच कर कंपनी के उपर गंभीर आरोपों को सत्य करार दिया था, पर यह भी सच है कि विभागीय जांच को उस वक्त के तत्कालीन मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव संजय कुमार और उसके बाद मुख्यमंत्री के सचिव सुनील कुमार बर्णवाल ने उस रिपोर्ट पर कुंडली मार कर बैठ गये, उन जनसंवाद कर्मी महिलाओं को न्याय नहीं दिलाया, बल्कि माईका को बचाने में ही ज्यादा दिमाग लगाते रहे, जो शर्मनाक ही कहा जायेगा।
हालांकि इस संस्था के कुकर्मों के बारे में देर से ही सही विभिन्न चैनलों ने दिखाना शुरु किया था, पर एक समय ऐसा भी था कि इस संस्था के बारे में, राज्य के सभी प्रमुख समाचार पत्र चुप्पी साध लिया करते थे, इसके कुकर्मों के बारे में नहीं छापा करते थे, जिसके कई प्रमाण हैं।
हाल ही राज्य के वरिष्ठ निर्दलीय नेता सरयू राय, जिन्होंने राज्य में हाथी उड़ानेवाले तथा खुद को सर्वाधिक होनहार बतानेवाले पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास को धूल चटाया, विधानसभा में इस माईका के बारे में विस्तार से रखा, जिसके जवाब में राज्य सरकार ने पूरे प्रकरण की जांच कराने की बात कही थी, पर इधर कोरोना कालखंड ने माईका को एक तरह से जीवन दान दे दिया था, पर चलिए देर से ही सही, उन सैकड़ों लोगों को आज न्याय मिला है, जो इस संस्था के खिलाफ जोर-शोर से आवाज उठा रहे थे। आज उनकी जीत हुई है।
किसी ने ठीक ही कहा है कि “धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय। माली सींचे सौ घड़ा रितू आए फल होय।।” राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को बहुत-बहुत बधाई कि उन्होंने अपने सही निर्णयों में से एक और निर्णय लिया, जिसकी जितनी प्रशंसा की जाय कम है, क्योंकि यह माईका संस्था मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र चलाया करती थी और इसकी आड़ में वह सब कुकर्म करती थी, जिसे सही नहीं ठहराया जा सकता।
यह भाजपा की एक सरकारी केन्द्र बनकर रह गई थी, जो नाम का मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र था। इसकी बैठक जब-जब होती थी, उसमें मुख्यमंत्री अपने अधिकारियों के साथ बदतमीजी से पेश आते, और जब मुख्यमंत्री नहीं होते तो राज्य के मुख्यमंत्री के तत्कालीन सचिव सुनील कुमार बर्णवाल उसी तरह बदतमीजी से पेश आते, जैसा कि रघुवर दास।
कुल मिलाकर देखा जाय, तो पता नहीं किस व्यक्ति के दिमाग की यह खुराफाती उपज थी, जिससे किसी को लाभ तो नहीं हुआ, पर एक संस्था करोड़ों में खेलने लगी और इसका लाभ ऐसे लोग लेने लगे, जिनका झारखण्ड से कभी कोई वास्ता ही नहीं रहा, चलिए आज एक नया सवेरा हुआ है, माईका की विदाई हुई है।
बधाई उन दोनों लड़कियों को, जिन्होंने अपनी बात प्रधानमंत्री तक पहुंचाई, पर न्याय नहीं मिला, आज हेमन्त सोरेन ने न्याय दे डाला। बधाई उस युवक को भी जिसने कभी लड़ाई को ढीला नहीं छोड़ा, लड़ता गया और आज उसे सफलता मिली। किसी ने ठीक ही कहा है कि गलत कितना भी मजबूत क्यों न हो, वो अंततः अपना वजूद खो ही देता है।
बधाई 🙏
विद्रोही ने भी ऐथ दिया