अपनी बात

झामुमो ने CIP के निदेशक दयाराम और BJP के पूर्व सांसद आर के सिन्हा पर लगाए भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप

झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के केन्द्रीय प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने रांची स्थित केन्द्रीय मनोचिकित्सा संस्थान(CIP) के निदेशक दया राम एवं भाजपा के पूर्व सांसद आर के सिन्हा पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाये है। सुप्रियो भट्टाचार्य ने यह गंभीर आरोप आज रांची में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में लगाये। सुप्रियो का कहना था कि झारखण्ड का दुर्भाग्य है कि रांची में केन्द्रीय मनोचिकित्सा संस्थान चल रहा है, और इसका फायदा देश के दूसरे लोग उठा रहे हैं, वह भी भ्रष्ट तरीके से, पर जिसने यहां अपनी जमीन खो दी, जिसने विस्थापन का दर्द सहा, सोचा की रोजगार मिलेगा, वे लोग आज भी अपने हक की लड़ाई के लिए संघर्ष करते हुए दम तोड़ रहे हैं। सुप्रियो का कहना था कि ये बर्दाश्त से बाहर है, अब ये नहीं चलनेवाला है।

उन्होंने कहा कि कांके स्थित केन्द्रीय मनोचिकित्सा संस्थान मे निदेशक दया राम, दरअसल वर्तमान में सीआइपी के मालिक बन बैठे है। आम तौर पर किसी भी सरकारी संस्थान में जो ठेका दिया जाता है, उसके नियम होते हैं। जिसके आधार पर ठेका दिया जाता है, पर यहां वैसी बात नहीं। सीआइपी एकमात्र संस्था है, यहां टेंडर निकाला ही नहीं जाता। सीधे मनचाहे लोगों को काम थमा दिया जाता है। ये झामुमो नहीं, बल्कि कंट्रोलर ऑफ एकाउंटेट जेनरल की रिपोर्ट कह रही है। रिपोर्ट में साफ लिखा है कि गत 20 वर्षों से सीआइपी में यहां सुरक्षा और हाउस कीपिंग का काम एसआइएस को दे दिया गया है। जो एक विशेष राजनीतिक दल से जुड़े व्यक्ति की कंपनी है। सुप्रियो भट्टाचार्य ने उनका नाम आर के सिन्हा बताया जो पूर्व में भाजपा से राज्यसभा के सांसद भी रहे हैं।

सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि एसआइएस कंपनी को प्रत्येक साल लगभग चार करोड़ का भुगतान सीआइपी द्वारा किया जाता है। एसआइएस बताती है कि उसने सीआइपी में 120 सिक्योरिटी गार्ड एवं गन मैन बहाल किये है। जिसके एवज में सीआइपी प्रति गार्ड 24  हजार रुपये प्रति माह भुगतान करती है, जिसमें इपीएफ एवं इएसआइ का पैसा भी शामिल है, लेकिन सच्चाई यह है कि प्रति गार्ड वहां कार्य कर रहे गार्डों को बारह से तेरह हजार रुपये ही प्रति माह भुगतान होता है, यानी दस हजार रुपये प्रति गार्ड घोटाला हो रहा है, और ये पिछले 20 सालों से चल रहा है।

ऑडिट के दौरान कई बार पूछा गया कि, वहां जिस एवज में नौकरी दी गई, उससे कितना कार्य लिया गया, उसके बैंक ट्रांसफर का डिटेल्स दिया जाय, ये कंपनी कभी उपलब्ध नहीं कराई। एसआइएस उस नियम को भी नहीं मानती, क्योंकि जो कट मनी करोड़ों  रुपये का होता है, वह सीधे दया राम को मिलता है। यही खेल वहां चल रहा है।

सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि चूंकि दयाराम उत्तर प्रदेश के रहनेवाले है। इसलिए कभी सीआइपी कांके को देख आइये। वहां आपको झारखण्ड नहीं, वहां उत्तर प्रदेश का लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, इलाहाबाद दिख जायेगा, क्योंकि ठेका पर यूपी के लोगों की ही वहां बहाल कर दिया गया है और झारखण्ड के लोग मुंह ताकते रह जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हाल ही में एक रसोइया की वहां बहाली हुई, वह भी रसोइया मद्रास से बुला लिया गया। क्या झारखण्ड में एक रसोइया भी दया राम को नहीं मिला? क्या सीआइपी में इडली, डोसा खानेवाले ही लोग इलाज के लिए आते है? क्या वहां भात-दाल, रोटी-सब्जी वालों की जरुरत नहीं?

उन्होंने कहा कि वे इन सारे मामलों का पर्दाफाश करेंगे और राज्य सरकार को कहेंगे कि वे इस पर संज्ञान लें तथा केन्द्र सरकार को इन घटनाओं से अवगत कराए। उन्होंने कहा कि उनकी जिला इकाई उक्त संस्थान के खिलाफ आंदोलन शुरु करने जा रही है, जो अनवरत् चलेगा। उन्होंने प्रधानमंत्री द्वारा कृषि विधेयक लाये जाने पर उसे काला कानून बताकर कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कहते है कि किसानों के लिए मंडिया खुल गई, तो वे बताए कि झारखण्ड के लोधमा का किसान लुधियाना, बुकरु का किसान बंगलौर या लावालोंग का किसान तवांग में अपनी उत्पाद बेचेगा क्या?