अपनी बात

क्या हम सही में अच्छे नागरिक हैं, हमें सरकार की गलतियों पर अंगूली उठाने का हक हैं?

जरा सोचियेगा, ये जरुरी भी है, हम हर बात में सरकार और नेताओं की गलतियां ढूंढ लेते हैं, उन्हें भला-बुरा कहने से नहीं चूकते, हर गलतियों के लिए उन्हें जवाबदेह ठहरा देते है, पर क्या हमने कभी सोचा कि क्या हमें सरकार की गलतियों पर अंगूली उठाने का हक है, वह भी तब जब हम खुद गलतियों को करने में कोई कसर नहीं छोड़ते?

यह हम इसलिए कह रहे है कि अभी पूरा विश्व कोरोना के चपेट में हैं और उससे बचने के लिए तरह-तरह के नुस्खों पर अमल कर रहा है। विश्व के कई देशों की सरकारे अपने नागरिकों से कोरोना से बचने के लिए मास्क लगाने, सोशल डिस्टेन्सिंग को मैन्टेन करने, भीड़-भाड़वाली जगहों से बचने के लिए अनुरोध कर रही है। यही अनुरोध हमारे देश व राज्य की केन्द्र सरकारे भी कर रही है, पर क्या हम उनके अनुरोध को मान रहे हैं, या उनके अनुरोध को ठेंगा दिखा रहे हैं?

कल की ही बात है, राज्य के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री हाजी हुसैन अंसारी की अंतिम यात्रा में जिस प्रकार सोशल डिस्टेन्सिंग और मास्क न पहनने की जो धज्जियां उड़ी, वो क्या यह नहीं बताता कि चाहे जो हो जाये, हम सरकार की कोरोना से संबंधित अनुरोधों को नहीं मानेंगे? क्या इससे कोरोना से लड़ने में हम सक्षम होंगे? यही दृश्य उस वक्त भी देखने को मिला था जब राज्य के एक कांग्रेसी नेता राजेन्द्र प्रसाद सिंह का निधन हुआ था।

लोगों को यह नहीं भूलना चाहिए कि इनसे कम लोकप्रिय हिन्दी फिल्म जगत के सुप्रसिद्ध अभिनेता ऋषि कपूर नहीं थे, उनकी भी अंतिम यात्रा में भारी भीड़ इक्टठी हो सकती थी, पर ऋषि कपूर के परिवार वालों ने ऐसा कोई कदम नहीं उठाया तथा वहां के नागरिकों ने कोई ऐसा काम नहीं किया, जिससे कोरोना से संबंधित आदेशों का उल्लंघन होता हो।

अब चूंकि आश्विन माह समाप्ति की ओर बढ़ रहा हैं, थोड़े ही दिनों में दुर्गा पूजा, दीपावली, छठ का समय आयेगा। ये सारे पर्व भीड़-भाड़ को ही जन्मदेनेवाले पर्व हैं, और इस पर्व में भी हम इसी प्रकार सोशल डिस्टेन्सिंग की अवहेलना करेंगे, तो फिर हम कैसे सरकार को गलत कहेंगे? कैसे हम कहेंगे कि कोरोनो पर विजय पाने में राज्य सरकार फेल रही? राज्य सरकार तो अपना काम कर रही हैं, वो अपने आदेशों को पालन कराने में थोड़ा जबर्दस्ती भी कर रही है, भय भी दिखा रही है, जैसे कुछ लोगों के खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज हुई, पर उस प्राथमिकी का भी भय, अन्य लोगों पर कम से कम झारखण्ड में तो देखने को नहीं मिला।

बिहार में तो विधानसभा चुनाव हो रहे हैं, वहां तो नेताओं के प्रेस कांफ्रेस में ही सोशल डिस्टेन्सिंग की हवा निकल जा रही हैं, ऐसे में आनेवाले समय में कोरोना की स्थिति कितनी भयावह होगी? समझने की जरुरत है। आज के ही अखबार प्रभात खबर में डाक्टरों के बयान है कि आनेवाले 60 दिन हमारे लिए महत्वपूर्ण है, हम आज बेहतर स्थिति में है, इसे और बेहतर बनाने के लिए सभी को सोशल डिस्टेन्सिंग और मास्क पर ध्यान देना होगा, नहीं तो यह सफलता, असफलता में बदल जायेगी, ऐसे में हमारा विचार रहेगा कि सभी कोरोना से मुक्ति पाने के लिए एक अच्छे नागरिक की तरह सरकार का सहयोग करें, वह भी तब तक जब तक कोरोना से मुक्ति पाने के लिए एक बेहतर विकल्प यानी वैक्सीन नहीं निकल जाता।