अपनी बात

दुमका-बेरमो की जनता ने कहा उन्हें हेमन्त पसन्द हैं, भाजपा को किया दूर से प्रणाम, सत्तारुढ़ दल की बल्ले-बल्ले

झारखण्ड में विधानसभा की दो सीटों पर हुए उपचुनाव में जिस प्रकार सत्तारुढ़ दल ने सफलता पाई है, उससे साफ जाहिर होता है कि मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के आगे या पीछे भाजपा में कोई ऐसा नेता नहीं, जो वर्तमान में हेमन्त सरकार को चुनौती दे दें। विद्रोही24.कॉम ने पूर्व में ही इस बात की संभावना जाहिर कर दी थी कि जिस प्रकार से भाजपा नेताओं का समूह विलो द बेल्ट झामुमो नेताओं पर प्रहार कर रहा हैं, वो साफ बता रहा है कि आखिर इस राज्य में कौन मजबूत है, सत्तारुढ़ दल या विपक्ष।

भारतीय जनता पार्टी अपनी चिरपरिचित सहयोगी पार्टी आजसू के साथ मिलकर बेरमो व दुमका में सत्तारुढ़ दल को चुनौती दी थी, उसे विश्वास था कि नौ महीने पुरानी इस सरकार से लोगों का मोहभंग हो चुका है, जिसका एवार्ड उन्हें मिलेगा और उनके दोनों प्रत्याशी चुनाव जीत जायेंगे, पर हुआ ठीक उलटा। बेरमो में कांग्रेस के जयमंगल तो दुमका में झामुमो के वसंत सोरेन ने शानदार जीत हासिल कर ली और अपनी-अपनी सीटों को बरकरार रखा।

भारतीय जनता पार्टी ने इन दोनों सीटों पर अपने सारे धुरंधरों को उतार दिया था, केन्द्र में मंत्री पद संभाल रहे अर्जुन मुंडा हो या वर्तमान में नेता विरोधी दल के लिए एड़ी-चोटी एक कर रहे बाबू लाल मरांडी हो या अपने विवादास्पद बयानों के लिए जाने-जानेवाले पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास। इन सभी को विश्वास हो चला था कि दोनों सीटों पर उनकी जीत तय है। इसके लिए इन सारे नेताओं ने वो हर तरह का कार्ड खेला, जिसे देखकर किसी को भी शर्म आ जायेगी। अपने विपक्षी नेताओं को चोट्टा तथा जनाजा निकालने तक के शब्दों का प्रयोग किया, पर इन्हें नहीं मालूम कि लोकतंत्र में इन सारे शब्दों का प्रयोग करनेवालों को जनता अच्छी सबक सिखा देती है और लीजिये आज का परिणाम सब कुछ बता देता है कि आज इस राज्य में 2020 में 20 कौन है?

राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने हर मोर्चे पर अपने विरोधियों को शिकस्त दी और अपने कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाया, जबकि दूसरी ओर भाजपा ने अपने स्थानीय कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने के बजाय, प्रदेश के स्थानीय नेताओं  की ताकत पर ही ज्यादा ध्यान दिया, शायद उन्हें लगा कि वे भाषण दे देंगे और जनता उन्हें वोट कर आयेगी, पर उन्हें नहीं पता कि वर्तमान में हेमन्त सोरेन ने उनकी जीत की काट का, कौन-कौन सा तीर अपने तरकस में डाल रखा है।

हेमन्त सोरेन ने जनता की नब्ज पहचानी और वो हर बात जनता के समक्ष रखा, जो जनता को जानना चाहिए था, उन्होंने बताया कि अभी राज्य की क्या प्राथमिकता है, उन्होंने बताया कि केन्द्र ने किस प्रकार राज्य के हक को मार कर रखा है, ऐसे में ये जीत उनके लिए कितनी महत्वपूर्ण है, जनता ने हेमन्त का साथ भी दिया। भाजपा के स्थानीय नेताओं को यह नहीं भूलना चाहिए कि हेमन्त सोरेन ने ऐसे समय में इन दोनों सीटों पर जीत हासिल की है, जिस समय पूरे देश में हुए उपचुनाव में भाजपा की लहर चल रही है, अगर भाजपा के केन्द्रस्थ नेताओं ने स्थानीय भाजपा नेताओं की बोली में लगाम नहीं लगवाया तो समझ लीजिये, आनेवाले चार वर्षों के बाद हेमन्त सोरेन को अकेले बहुमत प्राप्त करने से कोई नही रोक सकता, ये ध्रुव सत्य है, इसे भाजपावालों को गांठ बांध लेना चाहिए।

राजनीतिक पंडितों की मानें तो दुमका में झामुमो और बेरमो में कांग्रेस की जीत बताती है कि जनता का हेमन्त से विश्वास अभी डिगा नहीं है, लोगों को आज भी हेमन्त उतने ही पसन्द है, जितने की नौ महीने पूर्व में था, स्थिति ऐसी है कि अब मधुपुर में जब कभी विधानसभा उपचुनाव होंगे, यह सीट भी झामुमो के कब्जे में होगी, ये भाजपा को गिरह पार लेना चाहिए तथा अपने क्रियाकलापों में सुधार लाना चाहिए। अंततः एक बात और प्रदेश अध्यक्ष बन जाना, देखते ही देखते राज्यसभा में दस्तक दे देना और पार्टी कार्यकर्ताओं को एकता के सूत्र में बांधे रखना, तीनों अलग-अलग बाते हैं, समझना है तो समझिये, नहीं समझना है तो हेमन्त तो समझा ही दे रहे हैं।