मुख्यमंत्री जी, जब किसी से वादा करें तो निभाये भी…
आज अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस है, सभी ने खुब योग करके विभिन्न मैदानों में पसीने बहाये है, खुब योग की खुबियां गिनाई है, योग के प्रचार-प्रसार के लिए कई झूठे-सच्चे संकल्प किये है, पर जिसने सही मायनों में योग के लिए अपनी कैरियर तबाह कर दी, योग को अपने क्रियाकलापों से ऊंचाई तक पहुंचाया, सिर्फ झारखण्ड ही नहीं बल्कि भारत का पूरे विश्व में मान बढ़ाया, उस पर किसी का ध्यान नहीं है। मेरा दावा है कि अभी इस अर्चना पर राज्य सरकार का ध्यान नहीं गया, तो एक दिन ऐसा भी होगा कि हम अर्चना को खो देंगे, फिर यहीं रांची की अर्चना किसी दूसरे राज्य में अपना परचम लहरायेगी और अपना तथा उक्त प्रदेश का नाम रौशन करेगी।
कौन है अर्चना?
अर्चना रांची के पास अरगोड़ा स्थित पुनदाग रोड में रहती है, वह योग के क्षेत्र में गजब का कीर्तिमान बनाई है। वह 2009 में योग विज्ञान में स्नातकोत्तर कर चुकी है, 2012 में उसने योग में ही एम.फिल किया और फिलहाल योग में ही पीएचडी कर रही है। यहीं नहीं उसने 2009 में रांची में आयोजित राज्यस्तरीय योग चैम्पियनशिप प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल भी जीती। इसी 2009 में राष्ट्रीय स्तर की योग प्रतियोगिता में उसने दूसरा स्थान प्राप्त किया और अंतरराष्ट्रीय योग चैम्पियनशिप में भाग लेने के लिए वह चुन ली गयी। 2010 में जब बैंकाक में प्रथम योग एशिया कप हुआ, तब उसने इस प्रतियोगिता में दूसरा स्थान प्राप्त किया। 2011 में जब दूसरा योग एशिया कप हांगकांग में आयोजित हुआ, तव वह प्रथम स्थान प्राप्त करते हुए गोल्ड जीता। जब 2011 में नेपाल के काठमांडू में विश्व युवा योग चैम्पियनशिप आयोजित हुआ, तब उसने इसमें प्रथम स्थान प्राप्त किया।
अर्चना पर दूसरे देशों की नजर
अर्चना पर दूसरे देशों की नजर है, वह इसकी प्रतिभा को खुब जानते है, जब वह 2011 में हांगकांग गई थी, तब उसकी प्रतिभा को देखते हुए, कई प्रस्ताव उसे विदेशों से मिले, पर वह योग के क्षेत्र में और कुछ करना चाहती थी, इसलिए उसने उनके प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया, अर्चना बताती है कि पतंजलि से जुड़े महाविद्यालयों में भी उसे लेक्चरर बनने के प्रस्ताव मिले, पर उसने ठुकरा दिया, 2015 में उत्तराखण्ड सरकार ने उसे योग में उल्लेखनीय सफलता को देखते हुए लेक्चरर बनने का प्रस्ताव दिया था, पर उसने ठुकरा दिया।
झारखण्ड (रांची) से लगाव
अर्चना बताती है कि उसे झारखण्ड से बेहद लगाव है, वह झारखण्ड छोड़कर जाना नहीं चाहती. आज ही के दिन पिछले साल, उसकी प्रतिभा को देखते हुए, झारखण्ड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने योग के क्षेत्र में उसे बी ग्रेड की नौकरी देने का वायदा किया था, जब वह दूसरे अंतरराष्ट्रीय योग दिवस में भाग ली थी। उसकी प्रतिभा को देखते हुए मुख्यमंत्री रघुवर दास ने यह भी कहा था कि उसके जैसा योग के क्षेत्र में फिलहाल दूर-दूर तक कोई नहीं दिखाई देता, झारखण्ड सरकार जल्द ही उसे राज्य के हित में नियोजित करेगी।
मुख्यमंत्री रघुवर दास वादा भूल गये
अर्चना बताती है कि पूरे एक साल आज हो गये, मुख्यमंत्री रघुवर दास शायद अपना वादा भूल गये है, वह पिछले एक साल से मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव संजय कुमार से मिलती रही है, पर उसे सफलता नहीं मिल रही, वह चाहती है कि मुख्यमंत्री अपने वायदे को पूरा करें तथा जल्द उसे सीधी नियुक्ति के तहत नौकरी प्रदान करें, ये उसका हक है, क्योंकि उन्होंने वायदा किया है तो निभाना पडेगा ही।
अंततः
राज्य सरकार को चाहिए, मुख्यमंत्री रघुवर दास को चाहिए कि वे अपना वायदा निभाये, क्योंकि अर्चना के पास प्रतिभा की कोई कमी नहीं, अगर ये प्रतिभावान अर्चना कहीं दूसरे जगह अथवा दूसरे प्रदेशों में या राज्यों में नियोजित हो गयी तो यह राज्य का सबसे बड़ा नुकसान होगा, मुख्यमंत्री रघुवर दास और उनके नुमाइंदों को जान लेना चाहिए, क्या सरकार चाहती है कि अर्चना जैसी प्रतिभावान लड़कियां भी 181 का नंबर घुमाएं, अगर ऐसा होता है, तो ये तो और दुर्भाग्य हो जायेगा, मुख्यमंत्री जी, बहुत देर हो रहा है, अपना किया वायदा निभाइये, प्रतिभा का सम्मान करिये…
मुख्यमंत्रीजी को अपना वायदा अवश्य और प्राथमिकता देकर निभाना चाहिए…
Respected minister sir should full feel his commitment. Otherwise we can lost our best candidate from our state and country..if dept. Is unable to do, Archana should move other country or state. As I feel our state is not capable for doing so….
मेरे ख्याल से प्रजातंत्र पर अफसरशाही हावी है। सरकार में अधिकतर अफसर अपना रोटी सेंकते है और किसी नेता या मंत्री का नहीं सुनते हैं। एक बार फिर मुख्यमंत्री से फिर मिल कर बात करने से शायद काम बन सकता है। धन्यवाद।