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छठ पर हेमन्त सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन का चौरतरफा विरोध, CM हेमन्त के फेसबुक पर लोगों ने उतारा गुस्सा, गाइडलाइन्स बदलने का सरकार पर बढ़ा दबाव

हेमन्त सरकार द्वारा छठ घाटों पर पूजा की अनुमति नहीं देने को लेकर पूरे झारखण्ड में बवाल है। लोग सोशल साइट पर सरकार के खिलाफ जमकर अपना गुस्सा प्रकट कर रहे हैं। गुस्सा करनेवालों में पत्रकार, समाजसेवी, तथा समाज का हर वर्ग शामिल है। यह गुस्सा हेमन्त सोरेन के फेसबुक साइट पर भी दीख रहा है, अगर ये गुस्सा बढ़ता चला गया तो हेमन्त सरकार की लोकप्रियता पर भी इसका गहरा असर पड़ेगा।

लोग जमकर सवाल कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि चुनाव के समय पर भीड़ इकट्ठे करनेवाले, आज छठव्रतियों और उनके परिवारों को उपदेश दे रहे हैं। लोगों का यह भी कहना है कि छठ घाटों पर अर्घ्य और पूजा की अनुमति नहीं देनेवाले उस समय कहां थे, जब मधुपुर के विधायक हाजी हुसैन अन्सारी की अंतिम यात्रा में हुजूम उमड़ पड़ा था।

हेमन्त सरकार के खिलाफ भड़के इस जनाक्रोश का असर झारखण्ड मुक्ति मोर्चा पर भी पड़ा हैं, झामुमो के लोग मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन से मिलकर छठ व्रत को लेकर जारी की गई गाइडलाइन पर पुनर्विचार करने को कहा है, अब सरकार व उनके अधिकारी इस पर पुनर्विचार करते हैं या नहीं, ये सरकार जाने। इधर भाजपा व महावीर मंडल के सदस्यों ने इस पूरे प्रकरण की तीखी आलोचना की है, तथा लोगों से सरकार के इस गाइडलाइन को न मानने की अपील कर दी है।

इधर छठ घाटों की सफाई करने में अब तक लगे लोगों का कहना है कि जब सरकार को छठ घाटों पर व्रत करने की इजाजत ही नहीं देनी थी, तो इस पर विचार पूर्व मे करना था, ये क्या जब उन्होंने घाटों की सफाई कर दी, सारी व्यवस्था को ठीक कर दिया तो ऐन मौके पर सरकार की ओर से छठ घाटों पर पूजा करने की अनुमति ही नहीं दी गई, इससे तो उन्हें और उनके जैसे लोगों को गहरा आघात लगा है, और इस मुद्दे पर हम हेमन्त सरकार को छोड़ने नहीं जा रहे, क्योंकि यह हमारी भावनाओं से खेला गया है।

हेमन्त सरकार के इस निर्णय के खिलाफ कई विधायकों ने भी मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को पत्राचार किया है, तथा सरकार को जनहित में निर्णय लेने को कहा है। लोगों का कहना है कि एक तरफ बिहार में ये कहा जा रहा है कि आप तालाब-पोखर आदि घाटों पर जाइये पर एहतियात बरतिये, पर यहां तो अपनी कमी छुपाने के लिए छठ घाटों पर ही प्रतिबंध लगा दिया, जिसे गैरजिम्मेदाराना कदम ही कहा जायेगा। मात्र कुछ ही लोग जो वामपंथी विचारधारा या नास्तिक  है, उनका कहना है कि हेमन्त सरकार द्वारा जो निर्णय लिया गया है, वो सही है।

इधर राजनीतिक पंडितों का कहना है कि हेमन्त सरकार जितना जल्द इस पर निर्णय ले लें, उतना अच्छा होगा क्योंकि किसी की भावनाओं के साथ खेलेंगे, तो उसके दुष्परिणाम खुद ही भुगतने होंगे, हो सकता है कि लेने के देने भी पड़ जाये। राजनीतिक पंडितों ने यह भी कहा कि इस प्रकार के निर्णय राजनीतिक पार्टियों के सेहत के लिए भी ठीक नहीं।

वरिष्ठ पत्रकार सुशील सिंह मंटू कहते है कि “झारखण्ड में बस में देह रगड़ने, रैली में रेलमपेल करने, बाजार में हुड़दंग मचाने से कोरोना नहीं फैलता, लेकिन तालाब-डैम  किनारे सूर्य को अर्घ्य देने से कोरोना फैल जायेगा? सूर्य देव सरकार को सद्बुद्धि प्रदान करें।”

पूजा राजश्री कहती है “ बिहार और झारखण्ड सरकार ने साबित किया है कोविड 19 सिर्फ पर्व पर लागू होता है चुनाव पर नहीं, पर्व हमारा आस्था का विषय है, राजनीति का नहीं।”

अंकित राजगढ़िया कहते हैं “लगे हाथ सरकार अब ये भी आदेश जारी कर दें कि छठव्रती अगर नदी, तालाब, पोखर जायेंगे तो उन्हें गिरफ्तार किया जायेगा।”

अम्बर कलश तिवारी कहते है कि “छठ लोक आस्था का महापर्व है। हेमंत जी अपनी व्यवस्था में विफलता का ठीकरा आम अवाम के आस्था के साथ न खेलें, अन्यथा अगले साल के छठ तक आप मुख्यमंत्री भी नहीं रहेंगे।”

गिरिडीह के विधायक सुदिव्य कुमार ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कहा है कि सरकार छठ महापर्व के दौरान सामाजिक दूरी मास्क और कोविड संक्रमण के बचाव के विभिन्न तरीकों को अपनाते हुए छठव्रतियों को घाट पर जाकर सूर्य देव की उपासना की स्वीकृति प्रदान करें।

धनबाद के भाजपा विधायक राज सिन्हा ने कहा है कि सरकार इस निर्णय पर अविलम्ब रोक लगाये। सरकार यहा निर्णय अव्यवहारिक है। जनता में काफी आक्रोश है, ये निर्णय कम से कम पन्द्रह दिन पहले आना चाहिए था, जिससे लोग वैकल्पिक व्यवस्था कर लेते, लेकिन अब मात्र तीन दिन बचे हैं, ऐसे में ऐन वक्त पर प्रतिबंध के निर्णय से लोगों में आक्रोश हैं, क्योंकि यह पर्व आस्था से जुड़ा है, ऐसे में लोग सरकार के इस निर्णय की अवहेलना करने के लिए बाध्य हो जायेंगे और इससे गलत संदेश जायेगा।

महावीर मंडल डोरंडा केन्द्रीय समिति समिति के अध्यक्ष संजय पोद्दार ने साफ कहा है कि “छठ महापर्व की तैयारी जो भी समिति करते हैं, अपने-अपने घाटों पर करें, श्री महावीर मंडल डोरंडा समिति के साथ है, प्रशासन के इस गाइडलाइन का पुरजोर विरोध होगा।”

अब जरा मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के फेसबुक साइट पर लोगों ने क्या प्रतिक्रिया व्यक्त की है, जरा उस पर भी ध्यान दीजिये। अमन वर्मा कहते है – “चुनाव के दौरान कोरोना कहां गया था, जो इन लोगों ने दुमका और बेरमो में रैलियों में भीड़ करके वोट मांगे।” यश कुमार राहुल कहते है कि “हिन्दू के आस्थाओं से ना खेले, छठ पूजा को लेकर जो भी गाइडलाइन जारी किये है, जल्द से जल्द वापस लें, उप चुनाव के वक्त कोरोना वायरस खत्म हो गया क्या, आज लगता है कि छठ आते ही वायरस फिर से प्रकट होने लगा है, सिर्फ अपने फायदे के लिए ही न सोचे, हमारे झारखण्ड के जनता आपको विकास और अपने आस्थाओं के लिए चुने है, नहीं कि आस्था के साथ खिलवाड़ करने के लिए।”

राधे राज – “पी के बोलते हैं क्या जो महापर्व छठ पूजा को लेकर इस तरह की गाइडलाइंस तैयार करते हैं, आपके उपचुनाव में क्या कोरोना नहीं थी, इस तरह की गाइडलाइन्स छठ पूजा को लेकर के झारखण्ड की जनता के समझ से परे हैं, यह हिन्दू आस्था के साथ खिलवाड़ है।”

सोनू सिंह – “छठ पर्व को लेकर दिये गये आदेशों पर पुनर्विचार करें।” कुशवाहा रंजीत – “जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है, हिन्दू विरोधी रवैया आप बन्द करो हेमन्त जी, छठ तो होगी और अपने पूर्ववत् कार्यक्रम के अनुसार छठ घाटों पर ही होगी।” मतलब मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के सोशल साइट फेसबुक पर जमकर लोगों ने सरकार के इस निर्णय का विरोध किया है।

इधर झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के वरिष्ठ नेता व प्रवक्ता विनोद पांडेय ने मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन से मिलकर राज्य सरकार से छठ महापर्व से संबंधित सरकारी निर्देश पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है। मतलब जनता और सरकार इस बार छठ को लेकर आर-पार की लड़ाई के मूड में आ गई है, अगर लोग घाटों पर अर्घ्य देने के लिए अपने-अपने परिवारों के साथ पहुंच गये, तो समझ लीजिये लोगों ने सरकार की गाइडलाइन को ठेंगा दिखा दिया और सरकार ने गाइडलाइन्स में फेरबदल कर जनता को रियायत दे दी तो इससे हेमन्त सरकार के प्रति जनता का विश्वास भी बढ़ेगा, पर अब तो निर्णय तो सरकार को लेना है, देखते है क्या निर्णय लेती है?