ज्यादातर छठव्रतियों/भाजपाइयों ने हेमन्त सरकार की बातें मानी, घाटों से बनाई दूरियां, घरों में ही मनाई छठ
कमाल हो गया, पहली बार कोरोना संक्रमण को देखते हुए, जो हेमन्त सरकार ने छठ को लेकर पहला गाइडलाइन्स जारी किया था, उस गाइडलाइन्स की बातें ज्यादातर लोगों ने मानी। ज्यादातर छठव्रतियों और उनके परिवार के सदस्यों ने अपने-अपने घरों की छतों अथवा अपने आस-पास छोटे-छोटे जलाशय बनाएं और उसी में भगवान भास्कर को आज अपना प्रथम अर्घ्य समर्पित किया, और जैसा की सभी को मालूम है, जो लोग जहां प्रथम अर्घ्य समर्पित करते हैं, ठीक दूसरे दिन भी उसी जगह द्वितीय अर्घ्य समर्पित कर व्रत को संपन्न करते हैं।
ऐसे में अब कोई इफ-बट का सवाल ही नहीं, कि झारखण्ड की जनता कैसी है? इस बार ज्यादातर घाटों व तालाबों में पूर्व की जैसी रौनक नहीं दिखी, लोग कोरोना को लेकर सतर्क दिखे। तालाबों-घाटों पर भीड़-भाड़ वैसी नहीं दिखी, जो हर साल दिखा करती थी। यहां झारखण्ड की जनता ने विवेकशीलता का परिचय दिया और हेमन्त सरकार की पहली गाइडलाइन्स को ही प्राथमिकता दे दी।
हम आपको बता दे कि हेमन्त सरकार ने पहली गाइडलाइन्स में घाटों पर अर्ध्य या पूजा करने की मनाही कर दी थी, जिसको लेकर भाजपाइयों और कई हिन्दू संगठनों ने सरकार पर तुष्टिकरण का आरोप लगाते हुए, पूरे राज्य में कड़ा विरोध दर्ज कराया था, जिसे देखते हुए सरकार बैकफुट पर आई और नया गाइडलाइन्स जारी कर दिया।
पर आश्चर्य इस बात की है कि नई गाइडलाइन्स जारी होने के बाद भी, भाजपा द्वारा आंदोलन खड़ा करने के बाद भी, जनता विवेकशीलता का परिचय दे दी, घरों या आस-पास कृत्रिम जलाशय बनाकर इस बार छठ करने का ठान लिया, जो आज दिखा भी। दूसरी ओर भाजपाइयों ने भी एक तरह से स्वीकार कर लिया कि घाटों से दूरियां बनाने और अपने घरों में ही छठ पूजा संपन्न करने में बुद्धिमानी है।
विद्रोही24.कॉम के पास ऐसे कई सबूत है, जिसे देखकर साफ पता चलता है कि इस राज्य के कई प्रमुख अखबारों के संपादकों-उपसंपादकों, चिकित्सकों, राजनीतिज्ञों, प्रमुख व्यवसायियों, बिल्डरों तथा अनेकानेक नागरिकों ने इस बार राज्य सरकार के पहली गाइडलाइन्स को ही मानने में बुद्धिमानी दिखा दी। यहां तक कि पूर्व नगर विकास मंत्री सीपी सिंह जो राज्य सरकार को बार-बार कटघरे में खड़े कर रहे थे, जो स्वयं कोरोना संक्रमित होकर घर लौटे हैं, उनके यहां भी छठ पूजा घर में ही संपन्न हुई।
कई राजनीतिज्ञ जो इस छठ पूजा के दौरान अर्घ्य देने के लिए विभिन्न जलाशयों तक की पूर्व में दौड़ लगाते थे, वे इस बार नही दिखे। ज्यादातर भाजपा नेता, जिनके घर इस बार छठ हुआ है, उन्होंने अपने घरों या अपार्मेंट में ही छठ मनाया, और उसके फोटो फेसबुक में डालकर अपनी खुशियां जाहिर कर दी, जो बताने के लिए काफी है कि इस बार घर में ही छठ मनाना स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से सही था और वे अपने स्वास्थ्य के प्रति सचेष्ट भी दिखे, पर यही दृष्टिकोण उस वक्त गायब था, जब हेमन्त सरकार लोगों से इस बार अपने घरों पर ही छठ मनाने की बात कह दी थी।
आप स्वयं देखे कि कैसे भाजपा नेता अपने घरों में छठ मना रहे हैं, इस आर्टिकल में कई फोटो दे दिये गये हैं, जो उनके ही फेसबुक वॉल से लिये गये हैं। झारखण्ड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू भी इस बार घाटों पर अर्घ्य देने के लिए नहीं पहुंची, जबकि झारखण्ड के राज्यपाल हो या मुख्यमंत्री कही न कही इस दौरान किसी न किसी घाट पर अर्घ्य देने के लिए दीख ही जाते हैं।
राजनीतिक पंडितों का कहना है कि जब जिन्दा रहियेगा, तभी खुशियां मनाइयेगा, तभी व्रत रखियेगा। हर चीज में राजनीति और हठधर्मिता दिखाइयेगा, तो आप स्वयं अपने आपको नष्ट कर डालियेगा। सवाल उठता है कि जब भाजपा के ज्यादातर नेताओं को अपने छत्त या अपार्टमेन्ट में ही छठ संपन्न करना था और अपने तथा अपने परिवार के स्वास्थ्य की चिन्ता करनी थी। ऐसे हालात में सामान्य जनता की स्वास्थ्य की चिन्ता करने की जिम्मेदारी किसकी थी?
जब भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी स्वयं ही कह रहे हैं। जब भारत का दूरसंचार विभाग हर मोबाइल से अमिताभ बच्चन का प्रवचन सुनाते हुए कहता है कि भीड़भाड़ से बचें, दो गज दूरी बनाये रखे, मास्क पहने, तो इस पर न ध्यान देकर, हेमन्त सरकार की कार्यशैली पर अंगूली उठाना, उन पर तुष्टिकरण का आरोप लगाना, आस्था पर चोट पहुंचाने वाली गाइडलाइन्स जारी करने का गंभीर आरोप लगाना कहां तक जायज है। क्या भाजपाइयों को नहीं पता कि ईद के समय विभिन्न ईदगाहों में नमाज पढ़ना भी इस्लाम धर्मावलम्बियों के लिए ज्यादा महत्वपूर्ण था, उनका भी इससे आस्था जुड़ा था, पर उन्होंने तो भीड़ भाड़ से बचने के लिए अपने घरों में ही ईद संपन्न कर ली।
ऐसे में छठ को लेकर भावना भड़काना कहां तक जायज था और जब आपने भावना भड़काया तो आपने स्वयं के उपर इसे क्यों नहीं लागू किया? क्या यहां आत्ममंथन करने की जरुरत नहीं। अच्छा रहेगा कि भाजपा के लोग आत्ममंथन करें और हर चीज के लिए राजनीति नहीं करें, अभी लोगों को कोरोना से बचाना ज्यादा जरुरी है। भाजपा के दीपक प्रकाश जी, सीपी सिंहजी, आप तो विधायक हो, मंत्री हो, नये-नये सांसद बने हो। आपको तो कुछ होगा तो आपके लिए रांची के मेदांता से लेकर दिल्ली और बड़े-बड़े महानगरों के अस्पतालों के दरवाजें खुले हैं, आपको इसके लिए घर से पैसे भी नहीं लगेंगे। सरकारी खजाना आपके लिए जिन्दाबाद।
लेकिन कोई गरीब इसमें पीस गया, तो क्या होगा? इसलिए अनुरोध है, बहुत हो गई राजनीति, थोड़ा जनता के नीति और उनकी खुशियां के लिए काम कीजिये, ये सभी के लिए अच्छा रहेगा। हां, एक बात और हमें अच्छा लगा कि आपके एक नेता प्रतुल शाहदेव, हटनिया तालाब पर कुछ लोगों को मास्क दे रहे थे, देना भी चाहिए, ना करने से अच्छा है कि कुछ करना, उसमें लोगों को मास्क देना भी एक तरह से ठीक ही हैं, पर इससे भी अच्छा है लोगों को जगाना कि अभी कोरोना गया नहीं हैं, सावधानी जरुरी है।
सीपी सिंह जी पहले भी अपने घर पर ही छठ पूजा मनाते थे। आज भी उसी प्रकार आज भी वह मना रहे हैं इसमें तंज कसने वाली कोई बात नहीं है।