कोरोना वैक्सिन ट्रायल में अंकित राजगढ़िया ने कोयलांचल का मान बढ़ाया
अंकित राजगढ़िया इन दिनों सुर्खियों में हैं। सुर्खियों में इसलिए है कि वे हाल ही में भारत बायोटेक की वैक्सिन ट्रायल का हिस्सा बने हैं। अंकित हमेशा से ही अपने कार्यप्रणालियों से सुर्खियों में रहे हैं। धनबाद कतरास के रहनेवाले अंकित राजगढ़िया कोयलांचल में ही नहीं, बल्कि अब पूरे देश में अपनी अलग पहचान बना ली है।
रक्तदान करने तथा रक्तदान करनेवाले युवाओं को रक्तदान करने को प्रेरित करने के लिए कई स्थानों पर उन्हें सम्मान भी प्रदान किया गया। वे कई बार खराब सिस्टम से लड़ने के कारण विवादों में भी रहे, पर ये विवाद भी औरों के जान बचाने के लिए मददगार ही साबित हुआ। मध्यमवर्गीय परिवार से आनेवाले अंकित को अब कोयलांचल के सभी लोग जानते है, क्योंकि उन्होंने अपनी पहचान विशेष रुप से बना ली है।
अंकित की सबसे बड़ी विशेषता है कि वे अच्छे व बुरे लोगों में भेद करना नहीं जानते, वे सिर्फ ये जानते है कि किसे उनकी मदद की जरुरत है, अगर मदद की जरुरत है, तो वे उसकी मदद करने के लिए सबसे आगे निकल जाते हैं। यह पूछे जाने पर कि उन्हें सेवा का यह जुनून कैसे उन पर सवार हुआ, वे इसके बारे में विस्तार से बताते हैं।
उनका कहना है कि एक बार उनके पिताजी की तबियत अचानक खराब हुई। उनके पिता फाइलेरिया से पीड़ित थे, पर डाक्टरों ने उनका किडनी का इलाज शुरु कर दिया, फिर क्या था, उनके पिता की हालत बिगड़ने लगी, वे पिता को लेकर कभी रांची तो कभी अपोलो, तो कभी वेल्लोर दौड़ने लगे, और इसी इलाज के क्रम में उन्हें आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा। तभी उन्हें स्मरण आया कि जब वे इतने आर्थिक संकट में फंस सकते हैं, तो जो लोग उनसे भी बहुत लाचार है, आर्थिक रुप से कमजोर हैं, तो उनके पर क्या बीतती होगी? और उसी दिन से अंकित ने ठान ली कि वो आर्थिक रुप से अक्षम लोगों की हरसंभव मदद करने के लिए आगे निकलेंगे, और फिर ये सिलसिला चल पड़ा।
अंकित बताते है कि कोरोना वैक्सिन ट्रायल को लेकर उनके पास अब तक 83 लोग वैक्सिन लगाने के लिए आगे आये है और भी जुड़ते जा रहे हैं, इसकी संख्या बढ़ भी रही है, अगर भारत सरकार या राज्य सरकार उनकी मदद लेनी चाहे तो वे मदद करने को तैयार है, फिलहाल अंकित वैक्सिन ट्रायल में ज्यादा रुचि ले रहे हैं, कई अखबारों व कई चैनलों ने भी उनके कार्य की काफी सराहना की है।
बहुत कम लोगों को पता है कि अंकित के घर सें अब तक चार लोगों ने नेत्रदान कर, कई परिवारों के घर में खुशियां बिखेर दी, काश सभी लोग अंकित से प्रेरित होते और देश निर्माण में अपना योगदान देते। अंकित विद्रोही24 को बताते है कि उनका मन था सेना में जाने का, पर सेना में जा नहीं सके, पर हमारा काम एक सैनिक से कम नहीं हो, इसलिए उन्होंने सेवा का काम शुरु किया और उन्हें खुशी है कि वे लोगों की बेहतर सेवा दे रहे हैं।