विदेशी डॉग्स व कैट्स की जगह देसी गाय के प्रति लोगों का बढ़ा झुकाव, बिनोद सिंह के प्रयास ने दिखाया रंग
भाई, भारत तेजी से बदल रहा है, इस तेजी में कब-कहां और कैसा बदलाव आ जाय, आप सोच भी नहीं सकते। यह बदलाव सकारात्मक भी हो सकता है और नकारात्मक भी, क्योंकि यह बदलाव आपकी सोच पर पूर्णतः निर्भर है। बिहार की राजधानी पटना से करीब तीस किलोमीटर दूर दानापुर-बिहटा मार्ग पर बिहटा एयरपोर्ट से करीब तीन किलोमीटर पहले एक ऑक्सीजन गौशाला है, जिससे लोग आज जुड़ना अपनी शान समझ रहे हैं।
इसके कई कारण है, शायद लोगों को महसूस हो रहा है कि अगर अब भी नहीं संभलें तो शायद बहुत देर हो चुकी होगी। बात भी सही है, इस नकली और मिलावटी युग में आपको शत प्रतिशत देसी गाय का शुद्ध दुध, शुद्ध दही, शुद्ध घी प्राप्त हो जाये, साथ ही इससे आप अपने स्वास्थ्य को बेहतर बना लें, तो इससे बड़ी बात और क्या हो सकती है, शायद यही कारण रहा है कि बिनोद सिंह ने वो कार्य कर डाला है, जो आजकल चर्चा का विषय बन चुका है। उनके इस जनोपयोगी कार्य की सराहना बड़ी-बड़ी हस्तियां करने लगी है।
स्थिति यह है कि लोग अब इनके गौशाला में जाकर इनकी देसी गायों के साथ सेल्फी लेने लगे हैं, तथा इन ली गई सेल्फियों को अपने सोशल साइट्स पर डाल भी रहे हैं। यही नहीं, कई परिवार तो इनके गौशालाओं में जाकर, समय भी बीता रहे हैं, तथा स्वयं को बेहतर महसूस कर रहे हैं, यानी इस कुक्कुर और कैट्स लवर्स के युग में लोगों का गौ-प्रेम की ओर झूकाव किसी भी प्रबुद्ध अथवा सामान्य जन को आह्लादित कर दे रहा है।
बिनोद सिंह ने अपनी गौशाला का नाम, आक्सीजन गौशाला रखा है और लोग इस गौशाला से जुड़कर शत प्रतिशत शुद्ध दुध, शुद्ध दही और शुद्ध घी प्राप्त कर रहे हैं। बिनोद सिंह बताते है कि उनका बचपन से ही गायों के प्रति व गाय के दुध अथवा उसके दुध से बनी वस्तुओं से बड़ा लगाव रहा, उनके पिता भी गौ-प्रेमी थे, अचानक दिन-प्रतिदिन इस इलाके में बेहतर दुध का अभाव, उन्हें इस ओर मोड़ा और वे सिर्फ देसी गाय के दुध को बढ़ावा देने के उद्देश्य व लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से एक साल पहले आक्सीजन गौशाला का शुभारम्भ किया।
उन्हें खुशी है, जो गौ-प्रेमी है, जो देसी गाय के महत्व को समझते हैं, उनके ऑक्सीजन गौशाला से जुड़ रहे हैं, जिसमें सामान्य से लेकर समाज के हर वर्ग के लोग शामिल है, तथा उन्हें वे बेहतर वस्तुएं उपलब्ध करा रहे हैं। बड़ी संख्या में कई परिवार, यहां आकर अपने परिवार के सदस्यों का बर्थडे सेलिब्रेशन भी करा रहे हैं, कई तो वीकेंड डेस्टिनेशन लंच का भी आनन्द ले रहे हैं। जब आप ऑक्सीजन गौशाला में आयेंगे तो आप पायेंगे कि गाय के दुध से बनी चीजें यहां बहुतायत रुप में मिलेंगी, जैसे देसी गाय का छाछ, देसी गाय का बिलोना घी।
आप यहां देसी गायों के बछड़ों-बछियों के साथ आनन्द भी प्राप्त कर सकते हैं। प्रवेश शुल्क के रुप में आपको प्रति व्यक्ति पांच किलो चना व गुड़ देने पड़ेंगे। हो सकता है कि किसी को यह बहुत महंगा भी लगे, पर परिवार के बेहतर स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से यह घाटे का सौदा भी नहीं।
फिलहाल बिनोद सिंह के ऑक्सीजन गौशाला से जुड़नेवाले में शिक्षा, स्वास्थ्य, प्रशासनिक सेवा से जुड़े वरीय अधिकारियों व उद्योगपतियों के नाम शामिल है और इसकी शृंखला भी दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। कुल मिलाकर देखें, तो यह एक अच्छी शुरुआत है, आनेवाले दिनों में जो देसी गाय के अस्तित्व पर संकट आ गया था, बिनोद सिंह जैसे लोगों के आगे आने से देसी गायों की संख्या में उत्तरोत्तर वृद्धि होगी, जो बंजर हो रही खेतों के लिए वरदान भी साबित होगी।