अपराध

गड़बड़ी भी करेंगे और पुलिस बॉडीगार्ड भी चाहिए, ये सब नहीं चलेगाः एम वी राव

आप गलत व्यवसाय करेंगे, व्यवसाय खड़ा करने के दौरान प्रतिद्वंदिता में आयेंगे। ठेकेदारी करेंगे, अवैध खनन के व्यवसाय में लगेंगे। गलत धंधों में अपना दिमाग लगायेंगे। अन्य गैरकानूनी कार्यों को प्रश्रय देंगे, और फिर अपनी सुरक्षा के लिए पुलिस से आपको बॉडीगार्ड भी चाहिए, ये सब नहीं चलेगा, क्योंकि पुलिस सभी की सुरक्षा के लिए बनी है, आपकी विशेष सुरक्षा के लिए नहीं बनी? क्योंकि सभी की सुरक्षा की जिम्मेवारी पुलिस की है। ये कहना है, झारखण्ड के पुलिस महानिदेशक एम वी राव का।

पुलिस महानिदेशक एम वी राव ने ये बातें, विद्रोही24 के साथ बातचीत के क्रम में कही। उन्होंने साफ कहा कि उन्होंने पद संभालने के बाद, राज्य में बेहतरी पुलिसिंग के लिए कई कार्यों को गति दी है, जिसमें यह भी था कि ऐसे लोगों से पुलिस बॉडीगार्ड वापस ली जाये, जो इसके योग्य ही नहीं। उन्होंने कहा कि जब वे ऐसे लोगों से बॉडीगार्ड वापस ले रहे थे, तब ऐसे लोगों का कहना था कि वे पिछले कई वर्षों से पुलिस बॉडीगार्ड रखे हुए हैं, पर उनसे बॉडीगार्ड वापस नहीं लिया गया, लेकिन अभी हो रहा हैं। एम वी राव ने कहा कि यह जरुरी भी था।

एम वी राव ने कहा कि किसी भी देश में पुलिसिंग व्यवस्था शत प्रतिशत नहीं है। जो भी है, उन्हीं में से हमें बेहतर लोगों को सेवा प्रदान करने की है, न कि आम जनता और विशेष लोगों में इसको लेकर फर्क कर देना है, अगर आप फर्क करेंगे तो फिर वहीं होगा, लोगों का पुलिस से विश्वास उठेगा और लोग कहेंगे, पुलिस हमारे लिये नहीं, बल्कि बड़े लोगों के लिए है।

उन्होंने राज्य में हो रही नक्सली घटनाओं पर कहा कि राज्य में जो भी नक्सली घटनाएं हो रही हैं, वो नक्सली घटनाएं नहीं है, इन घटनाओं को नक्सली कहकर उनका सम्मान नहीं बढ़ाइये। ये अपराधी है, अपराध कर रहे हैं और इनकी अपराधिक गतिविधियों पर हम बेहतर ढंग से अंकुश लगा रहे हैं, हमें सफलता मिल भी रही है, इसका ऐहसास उन अपराधियों को भी हो रहा है।

झारखण्ड में दुष्कर्म की घटना पर उन्होंने कहा कि इसके लिए पुलिस के साथ-साथ राज्य की जनता को भी आगे आना होगा। उन्हें अपने बच्चों पर विशेष ध्यान देना होगा। वे कही गलत तो नहीं कर रहे हैं, इस ओर ध्यान देना ज्यादा जरुरी है, अगर हर परिवार अपने बच्चों में अच्छे संस्कार और चरित्र को लेकर सजग हो जाये, तो ये समस्याए खत्म हो सकती है। उन्होंने कहा कि हर परिवार को चाहिए कि वे अपनी बच्चियों को किसी के साथ भी अकेले नहीं जाने दें, उनके साथ घर का एक युवा सदस्य अवश्य हो। बच्चों को किसी के साथ एकान्त में छोड़ना, एक तरह से अपराध को जन्म देना है।

राज्य में ट्रैफिक व्यवस्था को लेकर बढ़ी सजगता पर उन्होंने कहा कि उन्हें खुशी है कि लोग अब ट्रैफिक नियमों का अनुपालन कर रहे हैं। गाड़ियों के कागजात ही नहीं, बल्कि हेलमेट का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे यातायात को बेहतर बनाने में, कानून का शासन स्थापित करने में मदद मिल रही है। उन्होंने कहा कि यह इसलिए संभव हुआ है कि राज्य की पुलिस किसी के साथ भेदभाव नहीं कर रही है, जो लोग भी गलत कर रहे हैं, उन पर कानूनी कार्रवाई हो रही है।

पूर्व में देखा जाता था कि लोग अपनी धौंस दिखाते थे कि वे वर्दी उतरवा लेंगे, ये सब बकवास अब बंद हैं, जो लोग भी पुलिस को धमकी देने की कोशिश कर रहे हैं, या कानून का शासन स्थापित करने में बाधक बन रहे हैं, उनसे कड़ाई से निबटा जा रहा हैं, जिसके कारण लोगों को सीधा मैसेज गया कि कोई भी हो अब पुलिस के हाथों में आने पर उन्हें छोड़ा नहीं जा रहा, जिससे लोगों में पुलिस के प्रति विश्वास बढ़ा है।

उन्होंने कहा कि पिछले दिनों कोविड 19 में जिस प्रकार पुलिस ने अपनी भूमिका अदा की। गरीबों को थाने में खाना खिलाया। जरुरतमंदों तक राशन पहुंचाया। बीमारों को इलाज के लिए अपनी सेवाएं दी। उन तक दवाएं पहुंचाई। इस दौरान जिन्होंने सांप्रदायिकता फैलाने की कोशिश की, उससे कड़ाई से निबटा गया। इसका बहुत बड़ा असर पूरे झारखण्ड में पड़ा। हम कह सकते है कि लोगों के बीच में झारखण्ड पुलिस का सम्मान बढ़ा, यानी जो पूर्व में नकारात्मक स्थिति बनी हुई थी, हम सकारात्मक चेहरा बनाने में कामयाब हुए।

उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति या महिला कही भी अपराधिक घटना की शिकार हो रहा या हो रही है, उन्हें घबराने की कोई जरुरत नहीं, वे अपनी बातें थाने में रखें या ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराएं। अब पुलिस स्वयं उनके पास जायेगी और उनकी समस्याओं को सुनेगी, न्याय दिलायेंगी, क्योंकि झारखण्ड में बेहतर कानून व्यवस्था और सभी को सम्मान प्राप्त हो, यह झारखण्ड पुलिस की प्राथमिकता में शामिल है।