अपराध

पता नहीं, धनबाद पहुंचते ही पुलिसकर्मियों का लोगों के प्रति रवैया क्यों बदल जाता है?

पता नहीं, धनबाद पहुंचते ही पुलिसकर्मियों का लोगों के प्रति रवैया क्यों बदल जाता है? किसी की भी सरकार हो, उनके सेहत पर क्यों नहीं असर पड़ता? थाना प्रभारी हो या पुलिस अधीक्षक किसी के भी कानों में पीड़ितों के दर्द क्यों नहीं सुनाई पड़ते, आखिर वहां दंबगई करनेवालों, अपराधियों तथा लूट-पाट करनेवालों को ही संरक्षण क्यों मिलता हैं?

मैं जब धनबाद में ईटीवी में कार्यरत था तो उस दौरान पुलिस अधीक्षक सुमन गुप्ता का पदार्पण हुआ था, और मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि उनके कार्यकाल में अपराधियों की बोलती बंद हो गई थी, पर इधर कुछ सालों से धनबाद में अभी भी रंगदारों, अपराधियों व लूटेरों की पौ बारह है।

ताजा मामला धनबाद के पोलिटेकनिक रोड, हीरापुर, मौजा नं. सात, खाता नं. 45, प्लॉट नं. 29 के साढ़े तीन कट्ठे जमीन से संबंधित है। यह जमीन वहीं के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ललन चौबे के परिवार के सदस्य रेनु चौबे, पति राजीव रंजन चौबे के नाम से है। ललन चौबे का कहना है कि उनके पारिवारिक सदस्य को इस जमीन पर मकान बनाने पर धनबाद का कथित भू माफिया अमीर खान रोड़े अटका रहा है, वह उस जमीन को बेचने या लाखों रंगदारी देने को कह रहा है, साथ ही ऐसा नहीं करने पर जान से मारने की धमकी भी दे रहा है।

ललन चौबे विद्रोही24 को बताते हैं कि ये अपराधी जानमाल की क्षति पहुंचाने का भय दिखाकर जमीन बेचने को विवश कर रहे हैं, ताकि इसी जमीन के बहाने इसके पश्चिम तरफ रेलवे की जमीन को  दखल कर एपार्टमेंन्ट बनाया जा सकें। इन लोगों का स्थानीय थाने से अच्छा खासा सांठगांठ भी है, जिसके कारण 10.11.2020 को लिखित सूचना देने पर भी धनबाद थाने में प्राथमिकी तक दर्ज नहीं की गई।

आश्चर्य इस बात की है कि जब ललन चौबे इस बात की शिकायत करने धनबाद एसएसपी के पास पहुंचे, तब धनबाद के एसएसपी ने उन्हें फिर धनबाद थाना ही भेज दिया, हार पछता कर ललन चौबे गत् 21 जनवरी को इसकी शिकायत व अपना दर्द सुनाने के लिए रांची स्थित पुलिस महानिदेशक एमवी राव के पास पहुंचे, पर उनकी मुलाकात एमवी राव से नहीं हो सकी।

पर उन्होंने लिखित शिकायत महानिदेशक कार्यालय को सुपूर्द कर दिया, अब क्या माना जाये कि ललन चौबे की प्राथमिकी धनबाद थाने में दर्ज हो जायेगी और उन्हें न्याय मिल जायेगा या उन्हें अभी भी भटकना पड़ेगा? इस सवाल का जवाब शीघ्रातिशीघ्र झारखण्ड पुलिस को देना चाहिए।