भाजपा धर्म के नाम पर राजनीति करे तो गलत और कांग्रेस के होनहार नेता रामेश्वर उरांव बिहारी-मारवाड़ियों के खिलाफ आदिवासियों के मन में जहर घोले तो सही
रांची की जमीन दूसरे लोगों के हाथों में चली गई है। रांची में बिहार के लोग भर गये हैं। यहां मारवाड़ी बस गये। आदिवासी कमजोर हो गये। इस कारण उनका शोषण हो रहा है। ये उद्गगार है कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष, राज्य के वित्त मंत्री एवं अत्यंत होनहार नेता डा. रामेश्वर उरांव का। वे आगे कहते है कि कभी रांची में आदिवासियों का निवास था। यहां बसे कई इलाकों का नाम उन्हीं के द्वारा दिया गया है।
वे इलाके और नाम तो है, पर अब वहां आदिवासी नहीं रहते। झारखण्ड में आदिवासियों के कमजोर होने के चलते उनका शोषण हो रहा है। डा. रामेश्वर उरांव का ये बयान सोशल साइट पर खुब वायरल हो रहा है। जिस पर मारवाड़ी और बिहारी समुदाय के लोग पील पड़े हैं और सोशल साइट पर ही रामेश्वर उरांव के इस परम ज्ञान की बखिया उधेड़ दे रहे हैं।
दरअसल बात यह है कि रामेश्वर उरांव को यह परम ज्ञान ऐसे ही नहीं प्राप्त हुआ, इस प्रकार का परम ज्ञान उन सारे नेताओं को प्राप्त होता है, जब वे सत्ता में होते हैं, क्योंकि सत्ता का नशा उन्हें दिव्यता की ओर ले जाता है और फिर वे जिस सत्ता रुपी वृक्ष के शिखर पर बैठे होते हैं, अपने इस परम ज्ञान से खुद ही उसके जड़ को खोद देते हैं, ताकि वो सत्ता रुपी वृक्ष धड़ाम से गिर जाये, और दूसरे लोग पुनः सत्ता प्राप्त कर लें।
याद रखें, जब भी कोई नेता चुनाव लड़ रहा होता हैं, तो उसे इस प्रकार का दिव्य ज्ञान उस वक्त प्राप्त नहीं होता, ये दिव्य ज्ञान तभी प्राप्त होता है, जब वो सत्ता के चरम सुख की ओर होता है, अब चूंकि रामेश्वर उरांव को ये ज्ञान प्राप्त हो गया तो निः संदेह मानिये इनका आनेवाले चुनाव में हार शत प्रतिशत सुनिश्चित है, साथ ही कांग्रेस का बंटाधार भी तय है, साथ ही बंटाधार उनका भी तय है, जो इनके साथ साझेदारी करके चल रहे हैं।
राजनीतिक पंडित तो रामेश्वर उरांव के इस बयान पर सीधा कहते है कि कांग्रेस के अनुसार धर्म के नाम पर, हिन्दू-मुसलमान के नाम पर कोई राजनीति करें तो वो गलत और जो बिहारी-मारवाड़ी यानी संप्रदायवाद-राज्यवाद का मुद्दा उठाकर राजनीति करें तो उसे क्या कहां जाये। राजनीतिक पंडित तो रामेश्वर उरांव के इस बयान की ही कड़ी आलोचना करते हैं।
वे कहते है कि आखिर आदिवासी नेताओं ने ही आदिवासियों के लिए क्या किया है? सच्चाई यह है कि आदिवासी नेताओं ने ही अपने आंदोलन व अपने राजनीतिक भविष्य की बेहतरी के लिए अपने आप को कई बार बेचा, जिसका इतिहास बहुत ही पुराना और गहरा है, इसे रामेश्वर उरांव भी चुनौती नहीं दे सकते।
आज बिहारी या मारवाड़ी पूरे झारखण्ड में हैं या जमीन खरीदे हैं तो इसके लिए उन्होंने आप की तरह किसी जाति, समुदाय अथवा धर्म को आधार नहीं बनाया, या टीका टिप्पणी नहीं की, काम किया, खुद को मजबूत किया और आज वे इस स्थिति में है कि वे देश के हर राज्यों ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी खुद को मजबूत किया अथवा झारखण्ड के ही कई आदिवासी युवक/युवतियां या परिवार देश के अन्य राज्यों व विदेशों में खुद से अपनी पहचान बनाई तो उसके लिए उनकी खुद की मेहनत जिम्मेवार है, न कि किसी रामेश्वर उरांव की तरह आदिवासी नेताओं की उनके प्रति की गई मेहनत।
दरअसल रामेश्वर उरांव को मालूम होना चाहिए कि वे झारखण्ड राज्य के मंत्री है और उन्होंने मंत्री बनने के पूर्व शपथ जरुर ली होगी और शपथ में कुछ शब्द जरुर बोले होंगे, क्या वे शब्द भूल गये और जब आपको बिहारी-मारवाड़ी से इतनी ही घृणा है तो फिर जब कोई आपके नेता सोनिया गांधी को विदेशी कहे तो आपको इस पर भी आग-बबूला नहीं होना चाहिए, स्वीकार करना चाहिए। देश की जनता भूली नहीं है कि मनमोहन सिंह केवल नाम के प्रधानमंत्री थे, असली शासन तो सोनिया गांधी ने ही परोक्ष रुप से चलाया।
डा. रामेश्वर उरांव ने बिहारी-मारवाड़ियों के खिलाफ बयान देकर, अपनी मनोदशा को प्रकट कर दिया है, बिहारी-मारवाड़ियों को रामेश्वर उरांव का यह बयान अपने दिल में गांठ बांधकर रख लेना चाहिए और जब कभी कांग्रेस के बड़े नेता जाति-धर्म-समुदाय से उपर उठकर वोट देने की बात करें, तो सीधे सवाल दागे कि उस वक्त उनका दिमाग कहां चला गया था, जब सत्ता में रहने पर आदिवासियों के दिलों में बिहारियों-मारवाड़ियों के खिलाफ कचरा भर रहे थे।
इधर बिहारियों-मारवाड़ियों के खिलाफ रामेश्वर के बयान से सोशल साइट में हड़कम्प है। पंकज यादव कहते है – “ये बात तो सब कोई जानता है, पर इन्हें रोकने के लिए स्थानीय नीति कब बनाइयेगा आपलोग? सभी आदिवासी नेताओं के निजी बैंक मारवाड़ी हैं और सभी आदिवासी नेताओं के सलाहकार और पीए बाहरी और गैर-आदिवासी है।”
अंकित राजगढ़िया कहते है – “शर्मनाक बयान, वित्त मंत्री होकर ये शब्द शोभा नहीं देता। झारखण्ड किसी मंत्री के बाप का नहीं है। राज्य के वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव का जी का दिया हुआ ये बेतुका बयान मारवाड़ी समाज कड़ी शब्दों में निन्दा करता है, राज्य को सबसे ज्यादा टैक्स मारवाड़ी समाज द्वारा दिया जाता है। सबसे ज्यादा सामाजिक कार्य मारवाड़ी समाज द्वारा किया जाता है। रामेश्वर उरांव को सार्वजनिक रुप से मारवाड़ी समाज से माफी मांगनी होगी।”