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चल गई माफियाओं-भ्रष्टाचारियों की, एमवी राव DGP पद से मुक्त, एक-दो दिनों के अंदर राव दे सकते हैं इस्तीफा

एमवी राव को झारखण्ड के पुलिस महानिदेशक पद से मुक्त कर दिया गया है। एमवी राव के पुलिस महानिदेशक पद से मुक्त करने का समाचार प्रसारित होते ही भ्रष्टाचारियों, भू-माफियाओं, कोयला माफियाओं, भ्रष्ट बिल्डरों, भ्रष्ट पुलिस पदाधिकारियों व भ्रष्ट पत्रकारों-राजनीतिज्ञों में भी गजब का उत्साह है। सोशल साइट पर दो धाराएं दिख रही है, एक धारा वो है – जो एमवी राव की कार्य-कुशलता की फैन है, उन्हें बेहद चाहती है, और दुसरा वो जिन्हें वे फूंटी आंख भी नहीं सुहाते।

अब आप समझ सकते है कि वे कौन लोग हैं, जिन्हें एमवी राव फूंटी आंख नहीं सुहाते। आज पुलिस महानिदेशक कार्यालय में जैसे ही एमवी राव ने नये पुलिस महानिदेशक को अपना कार्यभार सौंपा, सचमुच जिन्हें भी झारखण्ड से प्यार है अथवा जो राज्य में बेहतर पुलिस व्यवस्था देखना चाहते हैं, उन्हें आज झटका अवश्य लगा होगा। सूत्र बता रहे हैं, कि जब से पुलिस महानिदेशक के पद पर एमवी राव विराजमान हुए।

भ्रष्ट अखबारों में कार्यरत भ्रष्ट पत्रकारों ने उन्हें प्रभारी कहकर चिढ़ाना शुरु किया, उनके इस चिढ़ाने के बावजूद भी वे चिढ़े नहीं, वहीं किया जो करना चाहिए। इधर जैसे ही अपराधियों पर नकल कसने का काम शुरु किया, और उन अपराधियों को उन्होंने आयरन हैंड से कुचलने का बयान दिया, उनके इस बयान पर भी कुछ लोग चिढ़ते हुए नजर आये और अपने-अपने स्वभावानुसार उन पर छींटाकशी की, इन छीटाकशी के बावजूद एमवी राव ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।

राजनीतिक पंडितों को मानें, तो वे साफ कहते है कि अगर कोई पुलिस पदाधिकारी अपराधियों में भय पैदा करने के लिए इस प्रकार की शब्दों का प्रयोग करता हैं तो उसमें गलत क्या है? वो पुलिस पदाधिकारी है, वो अपराधियों की आरती तो उतारने के लिए नहीं ही बना है, वो समाज में शांति व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए अपराधियों में भय अवश्य पैदा करेगा।

एमवी राव को जो लोग अच्छी तरह जानते हैं, वे यह भी जानते है कि वे समझौता नहीं करते, अगर वो समझौता करते तो बकोरिया मामले में भी वही करते जैसा उस वक्त की सरकार चाहती थी, पर उन्होंने वहीं किया जो उन्हें करना चाहिए था, जिसके कारण उस वक्त की भाजपा सरकार ने इनके साथ जो किया, वो जगजाहिर है।

वर्तमान में जब राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने एक नया डिसीजन लेते हुए इन्हें पुलिस महानिदेशक के पद पर बैठाया था, तो लोगों को लगा था कि हेमन्त सोरेन के ये बोल्ड स्टेप निश्चय ही बेहतर झारखण्ड के निर्माण में मुख्य भूमिका निभायेंगे। परिणाम भी निकला, जब कोविड 19 के समय बेहतर पुलिसिंग की परीक्षा हुई, तो लोगों ने देखा कि राज्य के सभी थाने भूखों को खिलाने में लग गये। रांची के हिंदपीढ़ी मुहल्ले में थूक फेंकने को लेकर जब समाज में गलतफहमियां पैदा करने की कोशिश की गई तो उन्होंने बेहतर निर्णय लेते हुए, अफवाह फैलानेवालों पर ही जोरदार तमाचा कसके मारा, जिसके कारण हिन्दपीढ़ी बदनाम होने से बचा।

हमारे एक परम मित्र जो कुछ दिनों पहले तक पुलिस सेवा में ही थे, उन्होंने हमें आज ही व्हाट्सएप के माध्यम से बताया कि जब वे उनके कार्यकाल में सीतामढ़ी में थे, तो उनकी कार्यप्रणाली को निकट से देखा है। वे संस्मरण सुनाते हैं, और कहते है कि –

“दुर्गापूजा के अवसर पर प्रतिमा विसर्जन के दौरान 06 दिसम्बर 1992 को सीतामढ़ी में दंगा हुआ। कई स्थानों पर आगज़नी की घटना हुई एवं कई लोग मारे गये। यूँ तो पूरा सीतामढ़ी ज़िला इस दंगा से प्रभावित था, परन्तु मुख्य रूप से सीतामढ़ी शहर एवं रीगा ज़्यादा प्रभावित हुए। तत्कालीन ज़िला प्रशासन की विफलता के कारण राज्य सरकार ने युवा एवं तेज-तर्रार IPS श्री एम०भी०राव को सीतामढ़ी का आरक्षी अधीक्षक बनाया। विपरीत एवं भयावह स्थिति में भी नये पुलिस कप्तान ने अपनी सूझबूझ से स्थिति को न सिर्फ़ शांत किया अपितु भययुक्त वातावरण बनाने में अपनी अहम भूमिका निभाई।

ज़िले के राजनेताओें व अपराधियों में इनका इतना ख़ौफ़ था कि अपराध करने या कराने की उनकी हिम्मत नहीं हुई। कार्यालय से अधिक समय इनका क्षेत्रों व्यतीत होता था। आम जनता से मिलकर उनकी समस्या जानना तथा उसके निदान हेतु सार्थक पहल करना, रात के समय सड़क पर निकलकर पुलिस के कार्यों का निरीक्षण करना, वाहन चेकिंग पोस्ट पर स्वयं भी उपस्थित रहकर संदिग्ध व्यक्तियों व वाहनों की जाँच करना इनका शौक़ था।

किसी की पैरवी नहीं सुनना, लोकहित में निर्णय लेना आदि कार्य इन्हें लोकप्रिय बनाया। ये जनता एवं अपने अधीनस्थों के काफ़ी प्रिय रहे। सराहनीय कार्यों पर पुरस्कृत करना तथा गलती करनेवालों को दंडित करना इनकी कार्यशैली चर्चा में रहता था। कुल मिलाकर ये एक कुशल पुलिस कप्तान साबित हुए, जिसे आज भी वहाँ की जनता आदर से नमन करती है।”

ये तो एक व्यक्ति के संस्मरण है, ऐसे कई घटनाएं एमवी राव से जुड़े हैं, गुमला में नक्सली गतिविधियों पर अंकुश लगाना हो या रांची में डोमिसाइल आंदोलन के दौरान स्थितियों को बेहतर बनाना हो, जो भी काम मिला, उसमें एमवी राव अव्वल हुए। लेकिन आज उन्हें जिस प्रकार पदमुक्त किया गया, ऐसा करना कई लोगों को खल गया। वह भी राज्य में युवा मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के रहते हुए।

लोग उनके हटाने को लेकर तरह-तरह के कयास लगा रहे हैं। कुछ का कहना है कि कोयला माफियाओं को हो रही परेशानी को देखते हुए इन्हें पदमुक्त किया गया। कुछ का कहना है कि मार्च महीना है, और एमवी राव से आप गलत काम ले नहीं सकते, साथ ही गलत ढंग से किसी पुलिस अधिकारी का स्थानान्तरण कर नहीं सकते, ऐसे में उन्हें एक ऐसा पुलिस अधिकारी चाहिए था कि कुछ भी ना नुकर न करें और जैसे उपर से आदेश आये, वे करते जाये,  जो एमवी राव के रहते संभव ही नहीं था।

ऐसा नहीं कि इस राज्य में सब कुछ ठीक ही चल रहा है, कुछ ऐसे लोग हेमन्त सरकार में जन्म ले चुके हैं, जो गलत करके बहुत कुछ पा लेना चाहते हैं अथवा सात-पुश्तों का इंतजाम कर लेना चाहते हैं, अगर उन्हें इतनी छूट मिल गई तो लीजिये सरकार के स्थायित्व पर ग्रहण अवश्य लग जायेगा, इसमें कोई संदेह नहीं। इधर सूत्र बता रहे है कि एम वी राव का कार्यकाल कुछ ही महीनों का बचा है, ऐसे में वे कुछ ही दिनों के अंदर वे पुलिस विभाग से इस्तीफा दे दें, तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए।