अपनी बात

भाजपा कितना भी माथापच्ची कर ले, मधुपुर सीट यानी पानीपत की तीसरी लड़ाई भी हेमन्त सोरेन को ही जीतनी हैं

बेरमो यानी पानीपत की पहली लड़ाई, दुमका यानी पानीपत की दुसरी लड़ाई और अब मधुपुर यानी पानीपत की तीसरी लड़ाई, मतलब समझ लीजिये, ये लड़ाई भी हेमन्त सोरेन की पार्टी, झारखण्ड मुक्ति मोर्चा को ही जीतनी है। उसका मूल कारण यह है कि अभी हेमन्त सोरेन और झामुमो का सितारा बुलंद है, वो अभी अकेले किसी को भी जीतने/जीताने में सक्षम है, उन्हें जनता का आशीर्वाद प्राप्त है, ऐसे में भला हेमन्त और उनकी पार्टी को कौन हरायेगा?

मैं यह बात ऐसे ही नहीं लिख दे रहा हूं। मधुपुर की राजनीति बता रही है, अगर आजसू भाजपा को समर्थन भी कर दें, फिर भी जीत झारखण्ड मुक्ति मोर्चा की ही होगी, क्योंकि मधुपुर में अभी झामुमो के आगे-पीछे कोई है ही नहीं। इसका एक मूल कारण हाजी हुसैन अंसारी के दिवंगत होने के बाद उससे उपजी सहानुभूति है।

दूसरी बात हेमन्त सोरेन की अपनी राजनीति करने की एक अलग ही प्रवृत्ति है, जैसे हेमन्त सोरेन ने बिना किसी लाग-लपेट के हाजी हुसैन अंसारी के बेटे को विधायक बनने के पहले ही मंत्री बना दिया, अब ये अलग बात है कि बिना विधायक बने मंत्री विधानसभा का सामना नहीं कर पाते, और इनके खिलाफ सदन में विपक्ष के लोग टूट पड़ते हैं, पर राजनीति में जीत व हार सदन तय नहीं करती, उसके अपने अलग कायदे और उसकी अलग प्रकार की रणनीतियां है।

अब जरा देखिये भाजपा को, आज उसने प्रदेश मुख्यालय में मधुपुर सीट को लेकर माथा-पच्ची की। माथा-पच्ची के बाद, भाजपा के एक नेता ने संवाददाताओं से कहा कि मधुपुर से करीब छः-सात लोग हैं, जो उम्मीदवारी की आस लगाये बैठे हैं, किसे टिकट मिलेगा, इसके लिए त्रि-सदस्यीय कमेटी बनी है, जो तय करेगी और फिर दिल्ली भेज दी जायेगी, वहां से जिसका नाम अनुमोदन होगा, वो चुनाव लड़ेगा।

भाजपाई सूत्र बताते है कि आज की माथापच्ची करने में कौन लोग शामिल है, जो पिछले 2006 से लेकर 2011 तक भाजपा की जड़ खोदने में लगे थे। आप यह भी कह सकते है कि भाजपा में पलीता लगाने में दिमाग लगा रहे थे। आज वे ही लोग भाजपा में प्रधान बने हुए हैं। कुछ तो भाजपा की नीतियों से उनका कोई मतलब नहीं, जब जैसा देखा, तब वैसा रुप धारण कर लिया, पार्टियां बदल ली, उनकी यहां पार्टी में आरती उतारी जा रही है।

वे लोग दूसरे दलों से आकर भाजपा के कार्यकर्ताओं, उन कार्यकर्ताओं को, जिन्होंने भाजपा के प्रति अपना जीवन खपा दिया, भाजपा के खिलाफ एक शब्द नहीं सुनते। ये लोग उन्हें पार्टी के प्रति समर्पण, निष्ठा, मर्यादा पालन का पाठ पढ़ा रहे हैं। ऐसे में कौन भाजपा को जीत दिलाने के लिए, अपना सब कुछ गंवायेगा।

राजनीतिक पंडितों की मानें, भाजपा में जो भी लोग अभी माथा-पच्ची कर रहे हैं, ये खुद अपनी सीटें जीतने की स्थिति में नहीं हैं। ये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कृपा से जीते हुए लोग हैं और आगे भी प्रधानमंत्री मोदी की कृपा से ही जीतेंगे, लेकिन बात ऐसे करेंगे, जैसे लगता है कि ये अकेले ही झारखण्ड में भाजपा को स्थापित कर देंगे। ऐसे में क्या मात्र एक सीट मधुपुर के लिए भी ये भाजपाई पीएम मोदी को बुलायेंगे क्या?

दरअसल भाजपा कार्यकर्ताओं में फिलहाल जोश, उमंग, उत्साह दिखाई नहीं पड़ रहा, सभी सुसुप्तावस्था में पहुंच गये हैं, उसके कारण भी वहीं नेता है, जो आज भाजपा प्रदेश कार्यालय में माथापच्ची करने का नाटक कर रहे थे, जबकि दूसरी ओर झामुमो के कार्यकर्ता आत्मविश्वास से लवरेज हैं, तो जीत तो उसी की होगी, जिसके पास आत्मविश्वास, जोश, उमंग व उत्साह होगा, तो लीजिये आज ही हम हेमन्त सोरेन को जीत की बधाई दे देते हैं।