अपनी बात

सरयू राय पर उमड़ा रघुवरवादियों का प्रेम, खुब लगा रहे आरोप, इधर सरयू ने फोड़ा ट्विट बम, जांच हुई तो कई IAS पहन सकते हैं हवालात के मंगलसूत्र

लगता है, राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के पदचिह्नों पर चलनेवाले भाजपा नेताओं को सरयू राय पर कुछ ज्यादा ही प्यार उमड़ने लगा है, पर आश्चर्य है कि इस शानदार प्यार का सरयू राय पर कोई असर नहीं पड़ रहा, फिलहाल इस नामुराद प्यार का इजहार केन्द्र बन गया है – जमशेदपुर। जहां हर कुछ दिन पर सरयू राय पर ज्यादा प्यार लूटानेवाले भाजपाइयों का समूह जमकर कभी संवाददाता सम्मेलन तो कभी आरोपों को लेकर ऐसे ही बयानबाजी कर रहा है।

पर सरयू राय ऐसे व्यक्ति है कि सब का जवाब वे बड़े प्रेम से दे रहे हैं, कुछ दिन पहले झाविमो से भाजपा में गये एक नेता का जवाब उन्होंने थोड़े ही दिन पहले दे दिया, तो अब झामुमो को टाटा/बाय-बाय कर भाजपा का दामन थामकर विधानसभा पहुचंने का इरादा रखनेवाले कुणाल षाड़ंगी ने भी सरयू राय पर तोहमत लगा ही दिया, फिर क्या था? सरयू राय ने उन्हीं की भाषा में उनका भी जवाब दे दिया।

राजनीतिक पंडितों की मानें, तो उनका कहना है कि चुनाव हुए डेढ़ साल होने को आये और अचानक रघुवरवादियों का सरयू राय पर आक्रमण कोई साधारण बात नहीं है, ये सोची-समझी राजनीतिक षडयंत्र है कि किसी व्यक्ति के बारे में ऐसा लगातार झूठ का बौछार करो कि हार-थककर लोग यह कहने को मजबूर हो जाय कि एक गलत हो सकता है, सभी गलत थोड़े ही हो जायेंगे और इस प्रकार सरयू राय की बची-खुची राजनीति  समाप्त कर दी जाये।

पर सरयू राय ऐसे व्यक्ति है कि वो सभी की राजनीति को इस भीषण  गर्मी में भी फ्रिज में डालकर ठंडा करना जानते हैं, शायद यही कारण है कि आज उन्होंने फिर एक पत्र राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को लिख डाली और कहा कि वे झामुमो से भाजपा में आये कुणाल षाड़ंगी की जिज्ञासा को शांत कर दें। आखिर सरयू राय पर कुणाल षाड़ंगी ने क्या तोहमत लगाया, और सरयू राय ने क्या उसका जवाब दिया, जरा इस पत्र को देखिये, तब पता चलेगा।

पत्र में सरयू राय ने राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को संबोधित करते हुए लिखा है कि “जमशेदपुर में पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के निकटस्थ कुछ लोग विगत कई दिनों से मेरे विरुद्ध आरोप लगा रहे हैं, कि उनकी सरकार में मंत्री रहते मैने उस समय के अपने विभाग में कतिपय अनियमितता किया है। उन्होंने इस बारे में उपायुक्त पूर्वी सिंहभूम को ज्ञापन दिया और कहा कि इसकी सीबीआई जांच होनी चाहिए। मैंने इस बारे में भारत सरकार के गृह मंत्री के पास लिखित प्रस्ताव भेज दिया कि सीबीआइ आपके अधीन है, आप जमशेदपुर भाजपा के रघुवरवादियों की इन शिकायतों की जांच सीबीआइ से करा दीजिये।

ये लोग इससे भी संतुष्ट नहीं है, इसके बाद ये बयान दे रहे हैं कि इस बारे में मुझे अमित शाह को नहीं लिखकर हेमन्त सोरेन मुख्यमंत्री को लिखना चाहिए था। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी ने कल जमशेदपुर में प्रेस कांफ्रेस कर यह बात कही है, जो आज जमशेदपुर से प्रकाशित कतिपय अखबारों में छपा है। इसलिए आपको पत्र लिखकर निवेदन कर रहा हूं। कुणाल षाड़ंगी ने कल मुझ पर दो आरोप लगाये हैं, जो उनके अनुसार काफी गंभीर है, ये आरोप निम्नांकित है।

  1. मंत्री रहते हुए सरयू राय के कार्यकाल में खाद्य आपूर्ति विभाग में बाबा कम्प्यूटर्स को डाटा कॉलिंग के लिए बहाल किया गया, जिसका दर काफी ऊंचा था, यह दर 80 पैसा प्रति कॉल था, जबकि सूचना प्रसारण विभाग यह काम दस पैसा प्रति कॉल में करा रहा था।
  2. मंत्री रहते हुए सरयू राय ने सुनील शंकर, अवकाश प्राप्त मार्केटिंग ऑफिसर को प्रक्रिया का पालन किये बिना पुनः सेवा विस्तार का अवसर दे दिया।

पहले आरोप के बारे में बाबा कम्प्यूटर्स ने खुद ही जवाब दे दिया है कि खाद्य आपूर्ति विभाग में उनकी नियुक्ति निविदा के आधार पर हुई थी, इसके पूर्व वे झारखण्ड सरकार के नगर विकास विभाग, आइटी विभाग एवं कतिपय अन्य विभागों में भी निविदा के आधार पर यह काम किया था। इन सभी विभागों में उनका कार्य दर करीब-करीब समान था, उस वक्त नगर विकास विभाग के मंत्री सीपी सिंह थे, आइटी विभाग तो खुद मुख्यमंत्री रघुवर दास ने अपने पास रखा था। मुझ पर आरोप लगाते समय रघुवरवादियों ने प्रेस को यह बताना उचित नहीं समझा, फिर भी इसकी जांच करा लेने का आपसे अनुरोध कर रहा हूं।

दूसरा आरोप उन्होंने मुझ पर मार्केटिंग अफसर सुनील शंकर की पुनर्नियुक्ति का लगाया है। सुनील शंकर आज भी धनबाद में काम कर रहे हैं। वे अन्य पन्द्रह लोगों के साथ निविदा आधारित उन्हीं शर्तों पर पुनर्नियुक्त किये गये है। मेरे मंत्री नहीं रहने के बाद भी वर्तमान सरकार द्वारा इनकी नियुक्ति हुई है। मेरे कार्यकाल में ही यह तय हुआ था कि खाद्य आपूर्ति विभाग में कार्यबल की कमी के मद्देनजर जो सेवानिवृत्त हुए है। उनसे उनकी इच्छा जानकर विभाग में काम करने का अवसर दिया जाय।

सुनील शंकर को मैं तब से जानता हूं, जब वे पटना में विद्यार्थी थे। उनका परिवार कदमकुआं में रहता था। बाद में उनका विवाह भी मेरे एक मित्र परिवार में हुआ। अवकाश ग्रहण के उपरांत उन्होंने इच्छा जाहिर किया कि विभागीय घोषणा के अनुरुप निर्धारित शर्तों पर वे अवकाश प्राप्त करने के बाद विभाग को सेवा देना चाहते थे। वे योग्य थे। उन पर आरोप नहीं थे। मुझे एवं विभागीय सचिव को उन्होंने आवेदन दिया। विभाग ने उन्हें नियुक्त किया। इस बीच कई अन्य लोगों ने भी विभाग में सेवा देने की इच्छा जाहिर की। विभागीय प्रक्रिया के अनुसार सुनील शंकर सहित अन्य करीब डेढ़ दर्जन लोग नियुक्त किये गये। वे अभी भी कार्यरत हैं।

फिर भी यदि लगता है कि सुनील शंकर की नियुक्ति में अनियमितता हुई है। इससे सरकार को वित्तीय नुकसान हुआ है। उन्हें वह वित्तीय लाभ मिला है, जिसके वे हकदार नहीं थे और इस कारण राजकोष पर अतिरिक्त बोझ पड़ा है और यह सब मेरे अनियमितता बरतने के कारण हुआ है तो मुख्यमंत्री जी, इसकी त्वरित जांच किसी भी सक्षम एजेंसी से करा लिया जाय, दोषी पाये जाने पर मैं सजा भुगतने के लिए तैयार हूं।

इसी बीच सरयू राय ने एक ट्विट कर रघुवर दास उनके प्रशंसकों पर एक और ट्विट बम छोड़ दिया है, अपने ट्विट बम में सरयू राय ने लिखा है कि “2016 में छठ पर्व पर जमशेदपुर में गायिका सुनिधि चौहान का कार्यक्रम हुआ था, आयोजक बतायें कि उन्होंने इसका कितना भुगतान किया पर इसके एक सप्ताह बाद सुनिधि चौहान का गायन कार्यक्रम राज्य स्थापना दिवस 2016 पर रांची में हुआ, जिसके लिए राज्य सरकार ने करीब 57 लाख का भुगतान किया।”

इस ट्विट के माध्यम से एक तरह से सरयू राय ने स्पष्ट कर दिया कि रघुवर राज में किस प्रकार जमशेदपुर में कार्यक्रम कराकर, उस कार्यक्रम का भी भुगतान राज्य के मत्थे मढ़कर, राजस्व का खेला हुआ करता था, अगर इसकी पूरी जांच हो जाये, तो कई आइएएस भी हवालात के मंगलसूत्र पहनकर, विधवा प्रलाप करते नजर आयेंगे, पर सरकार किसी की भी हो, क्या ऐसा संभव है?