सरयू राय ने EX-CM रघुवर के खिलाफ हेमन्त को लिखा पत्र, ‘लेटर बम’ से उतारी होली की खुमारी, कई विभागों को लिया लपेटे में
होली के दूसरे दिन जमशेदपुर पूर्व के निर्दलीय विधायक एवं पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास को धूल चटाने वाले धुरंधर सरयू राय ने राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को एक पत्र लिखा है। जिस पत्र में सरयू राय ने पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के कार्यकाल का कुछ लेखा-जोखा प्रस्तुत किया है, जो घोटालों व घपले से संबंधित है। यह पत्र ‘लेटर बम’ के समान है, जिसने कई विभागों को लपेटे में ले लिया है।
सरयू राय ने जिस प्रकार से चार पृष्ठों का यह लेटर बम फोड़ा है, वह होली की खुमारी उतारने जैसा है, निःसंदेह अगर हेमन्त सरकार ने ईमानदारी से पूरे प्रकरण की जांच करा दी, तो केवल मुख्यमंत्री रघुवर दास ही नहीं कई अधिकारी भी नपेंगे, पर क्या हेमन्त सोरेन ऐसा करेंगे, सवाल यही अटकता है, क्योंकि लोगों का कहना है कि सत्ता प्राप्त होने पर, बहुत कुछ बदल जाता है, और ऐसे में वर्तमान सरकार इस पर एक्शन लेगी, इसकी संभावना दूर-दूर तक नजर नहीं आती।
क्योंकि इन सवा सालों में कुछ भी नहीं बदला है, सब पूर्ववत् चल रहा है और जो भ्रष्ट प्रशासनिक अधिकारी है, वे भी जानते है कि उनका कोई बाल बांका नहीं होगा, तभी तो उन्होंने सदन में भी माननीयों के उत्तर इस प्रकार से दिये कि उन उत्तरों से माननीय इतने उत्तेजित हो गये कि उनको बोलना पड़ गया कि अंगूली डालकर उत्तर प्राप्त करना उन माननीयों को खूब आता है। आखिर इस बार के पत्र में सरयू राय ने क्या लिखा है, ध्यान दें…
“माननीय मुख्यमंत्री,
झारखण्ड सरकार, रांची।
आप अवगत है कि पंचम झारखण्ड विधानसभा के पंचम (बजट) सत्र में दिनांक 22 मार्च 2021 को मेरे द्वारा पूछे गये अल्पसूचित प्रश्न संख्या 85 के उत्तर में सरकार ने स्वीकार किया है कि राज्य स्थापना दिवस 2016 के अवसर पर स्कूली बच्चों के बीच प्रभात फेरी के अवसर पर बांटने के लिए पांच करोड़ रुपये की टी-शर्ट और 35 लाख रुपये की टॉफी की खरीद में अनियमितता हुई है, तथा टॉफी की आपूर्ति करनेवाले जमशेदपुर के ‘लल्ला इंटरप्राइजेज’ के हिसाब-किताब में न तो टॉफी की खरीद का जिक्र है और न टॉफी के बिक्री का जिक्र है।
इसी तरह इस अवसर पर पंजाब के लुधियाना से मेसर्स कुडू फैब्रिक्स द्वारा आपूर्ति किये गये पांच लाख टी-शर्ट किन वाहनों से लाये गये, इसकी जानकारी भी सरकार को नहीं है। इसका भी पता झारखण्ड सरकार को नहीं है कि पंजाब सरकार ने लुधियाना से रांची लाने के लिए टी-शर्ट लदा किसी ट्रक को रोड परमिट दिया है या नहीं? सरकार ने यह भी स्वीकार किया है कि झारखण्ड की सीमा में इस ट्रक के प्रवेश करने एवं रांची तक आने के लिये झारखण्ड सरकार ने कुडू फैब्रिक्स को कोई रोड परमिट जारी नहीं किया है। यानी कुल मिलाकर टॉफी एवं टी-शर्ट की आपूर्ति में फर्जीवाड़ा हुआ है। यदि टी-शर्ट की खेप रेलवे से आई है तो उसका बिल्टी एवं पंजाब सरकार अथवा झारखण्ड सरकार का रोड परमिट इसके साथ होना चाहिए, पर झारखण्ड सरकार के पास ऐसा कोई कागजात नहीं है।
महोदय, राज्य स्थापना वर्ष 2016 के अवसर पर केवल टॉफी और टी-शर्ट की खरीद एवं आपूर्ति में ही भ्रष्टाचार नहीं हुआ है, अन्य मदों में भी घपला ही घपला हुआ है। सुनिधि चौहान नामक फिल्मी पार्श्व गायिका के सांस्कृतिक कार्यक्रम पर करीब 55 लाख रुपये से अधिक का व्यय सरकार द्वारा दिखाया गया है। उल्लेखनीय है कि राज्य स्थापना दिवस 15 नवम्बर 2016 के अतिरिक्त सुनिधि चौहान का कार्यक्रम 6 नवम्बर 2016 को छठ पूजा के अवसर पर जमशेदपुर में भी हुआ था। जांच का विषय है कि क्या इस निजी कार्यक्रम का खर्च भी सुनिधि चौहान के राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर हुए सरकारी कार्यक्रम के खर्च में ही तो नहीं जोड़ दिया गया। ज्ञात हो कि झारखण्ड के तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ही जमशेदपुर सूर्य मंदिर परिसर में आयोजित छठ पूजा कार्यक्रम के आयोजक थे। इन्होंने सुनिधि चौहान के जमशेदपुर कार्यक्रम पर कितना खर्च किया है, यह सार्वजनिक होना चाहिए।
राज्य स्थापना वर्ष 2016 का कार्यक्रम हर साल 15 नवम्बर को आयोजित किया जाता है। यह एक स्थायी कार्यक्रम है। इसकी तैयारी आनन-फानन में 20 दिनों के भीतर किये जाने तथा इसके लिए टॉफी, टी-शर्ट, सुनिधि चौहान का कार्यक्रम, जर्मन हैंगर, पूरे रांची शहर एवं कार्यक्रम स्थल पर साज-सज्जा की व्यवस्था में हुए खर्च को आकस्मिक खर्च बताने तथा इसके लिए राज्य वित्तीय नियमावली की धारा- 245 के अधीन धारा- 235 के प्रावधानों को शिथिल कर मनोनयन के आधार पर विभिन्न आईटम के लिए मनोनयन के आधार पर कार्यादेश देने का कोई तुक नहीं है। परन्तु 2016 में तत्कालीन सरकार ने ऐसा ही किया है। यह निर्णय मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में दिनांक 21 अक्टूबर 2016 को लिया गया। इस बारे में निम्नांकित बिंदू गौर किये जाने योग्य हैं-
- 15 नवम्बर 2016 को आयोजित राज्य स्थापना दिवस कार्यक्रम के लिए आयोजन से मात्र 24 दिन पहले दिनांक 21 अक्टूबर 2016 को तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास की अध्यक्षता में एक बैठक बुलाई गई, जिसमें तय हुआ कि राज्य के सभी मध्य विद्यालयों के बच्चों द्वारा 15 नवम्बर की सुबह प्रभात फेरी निकाला जाये और इस अवसर पर स्कूली बच्चों को एक टी-शर्ट और एक मिठाई का पैकेट दिया जाय।
- आयोजन से मात्र 19 दिन पहले दिनांक 26 अक्टूबर 2016 को आयोजन पर होनेवाले खर्च के लिए आपूर्तिकर्ताओं का चयन मनोनयन के आधार पर करने के लिये नियम-245 के अधीन नियम-235 को शिथिल करने के प्रस्ताव पर सहमति के लिए संचिका वित्त विभाग को प्रेषित की गई। इसमें भी जिक्र है कि प्रभात फेरी के बाद नाश्ता के लिए स्कूली छात्रों को मिठाई का पैकेट दिया जाय।
- दिनांक 28 अक्टूबर 2016 को दस करोड़ रुपये अग्रिम लेने की संचिका वित्त विभाग को बढ़ाई गई, जिस पर तत्कालीन मुख्यमंत्री का हस्ताक्षर है। कार्यक्रम आयोजन के करीब एक सप्ताह पूर्व 9 नवम्बर 2016 को तीन करोड़ रुपये की निकासी का आदेश मुख्यमंत्री ने दिया और 11 नवम्बर 2016 को पहली बार मिठाई के साथ-साथ टॉफी (मिठाई/टॉफी) की खरीद का जिक्र हुआ और जमशेदपुर के लल्ला इंटरप्राइजेज से टॉफी की खरीद करने का निर्णय हुआ।
- दिनांक 10 नवम्बर 2018 को मिठाई/टॉफी की आपूर्ति करने हेतु मुख्यमंत्री के विधानसभाक्षेत्र स्थित ‘लल्ला इंटरप्राइजेज’ को मनोनयन करने के लिए मंत्रिमंडल सचिवालय के सचिव को पत्र भेजा गया कि वे ‘लल्ला इंटरप्राइजेज’ से टॉफी एवं मिठाई क्रय करने की अनुमति दें। इसके दो दिन बाद से ही 12, 13 एवं 14 नवम्बर को ‘लल्ला इंटरप्राइजेज’ द्वारा झारखण्ड शिक्षा परियोजना को टॉफी और कुडू फैब्रिक्स द्वारा टी-शर्ट की आपूर्ति जमशेदपुर, रांची और धनबाद में आपूर्ति कर दी गई, जबकि आपूर्ति केवल रांची में ही करनी थी। 14 नवम्बर को आधे से अधिक टी-शर्ट और टॉफी की आपूर्ति रांची में दिखा दी गई और 15 नवम्बर की सुबह प्रभात फेरी में भाग लेनेवाले बच्चों को देने के लिए टी-शर्ट और टॉफी की यह खेप राज्य के दूर-दराज स्थानों के विद्यालयों में उपलब्ध करा दी गई।
टॉफी और टी-शर्ट की खेप एक ही रात में राज्य के दूर-दराज के स्कूलों में किस माध्यम से पहुंचा दी गई, यह एक रहस्य है। इतना ही नहीं, राज्य सरकार द्वारा राज्य के जितने विद्यालयों में टॉफी और टी-शर्ट उपलब्ध कराने का ब्यौरा दिया गया है और विभिन्न जिलों से प्रखण्डों में जितने विद्यालयों में टॉफी और टी-शर्ट पहुंचाने के आकड़े दिये गये हैं, उनकी संख्या में करीब 9 हजार का अंतर है।
यानी इस काम के लिए राज्य मुख्यालय द्वारा जितने स्कूलों में टॉफी एवं टी-शर्ट भेजा गया, उनकी संख्या प्रखण्ड मुख्यालय द्वारा जितने विद्यालयों में टॉफी एवं टी-शर्ट भेजा गया, उनकी संख्या प्रखण्ड मुख्यालय द्वारा जितने विद्यालयों में टॉफी एवं टी-शर्ट बांटा गया, उसकी संख्या से करीब 9 हजार अधिक है। यह इसलिए है कि विधानसभा में प्रश्न होने के बाद आनन-फानन में टॉफी और टी-शर्ट वितरण का हिसाब-किताब फर्जी तरीके से शिक्षा विभाग द्वारा तैयार किया गया। एक ही प्रकार के कम्प्यूटर जनित फार्मेट में प्राप्ति रसीदें तैयार की गई है, जिन पर किया हुआ हस्ताक्षर और कलम की स्याही भी मिलता-जुलता प्रतीत होता है, मानो यह हस्ताक्षर एक ही व्यक्ति ने एक ही कलम से किया है।
महोदय, भ्रष्टाचार का यह मामला केवल टॉफी और टी-शर्ट की आपूर्ति तथा सुनिधि चौहान के कार्यक्रम तक ही सीमित नहीं है, बल्कि सांस्कृतिक कार्यक्रम में लगाये गये टेंटनुमा, जर्मन-हैंगर, शहर की साज-सज्जा, रांची में सड़कों की मरम्मति और रांची शहर में बिजली के हजारों पोल पर की गई विद्युत साज-सज्जा की व्यवस्था आदि सभी कार्यक्रमों के लिए आपूर्तिकर्ताओं का चयन निविदा के आधार पर न होकर मनोनयन के आधार पर हुआ है।
इस भ्रष्टाचार एवं अनियमितता में राज्य के वाणिज्य कर विभाग के साथ ही शिक्षा विभाग, मंत्रिमंडल सचिवालय एवं समन्वय विभाग, पथ-निर्माण विभाग, ऊर्जा विभाग आदि भी शामिल है। इसलिए इस मामले की जांच भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो, विधानसभा की समिति अथवा किसी अन्य बाह्य एजेंसी से कराये जाने की आवश्यकता है। एक दिन के कार्यक्रम के लिए 15-20 करोड़ रुपये के अधिक राशि खर्च करने और इसके लिए एजेंसियों का चयन मनोनयन के आधार पर करने के पीछे की साजिश की गहन जांच जरुरी है।
इसके अतिरिक्त यह मामला वित्तीय नियमावली के नियम-245 के अधीन नियम- 235 को शिथिल करने के प्रावधान के दुरुपयोग से भी जुड़ा है, जिनकी संलिप्तता इस मामले में कदम-कदम पर दिखाई पड़ती है। अनुरोध है उपर्युक्त विवरण के आलोक में राज्यहित एवं जनहित के इस मामले की उच्चस्तरीय जांच कराने तथा जांचोपरांत दोषियों के विरुद्ध विधिसम्मत कदम उठाने की कृपा करेंगे।