अपनी बात

देर किस बात की है हेमन्त जी, अब गेंद आपके पाले में हैं, पांच हजार करोड़ का प्लान तैयार कर अच्छा अधिकारी ढूंढिये, लोगों को इंतजार है वैस्टर्न यूरोप-अमेरिका जैसे रोड का

“675 करोड़ का आपका एन्यूल प्लान है, मैं पांच हजार करोड़ कर देता हूं इस साल के लिए। आपके चीफ इंजीनियर से पांच हजार करोड़ रुपये  के मुझे प्रपोजल भेजो, मेरे पास पैसे की कमी नहीं है मुख्यमंत्री जी। तुम केवल लैंड एक्वीजिशन करो, और तुम्हारे में जितना मांगना हैं, उतना मांगो, जितने ब्रिज मांगना है, जितना आरओबी मांगना है, रोड मांगना है, मेरे पास भेजो, मेरे पास कोई पैसे की कमी नहीं,  मैं पूरा मंजूर कर देता हूं, आप तुरंत मुझे प्रपोजल भेजो।

पीडब्लयू डी सेक्रेटरी को बुलाओ और उनको बोलो मुझे एक ही चाहिए, मुझे क्वालिटी का काम चाहिए, लैंड इक्वीजिशन समय पे चाहिए, फॉरेस्ट इनवारमेंट के क्लीयरेन्स चाहिए और आप मुझे अधिकारी अच्छे निकाल कर दे दो, फिर देखो, मैं झारखण्ड को तीन साल के अंदर रोड इंफ्रास्ट्रक्चर में वेस्टर्न यूरोप और अमेरिका के स्टैंडर्ड का झारखण्ड का रोड बना दूंगा, ये आपको वचन देता हूं, और आपको मालूम है, मैं जो बोलता हूं, वो डंके के चोट पर कर के दिखाता हूं।

यह संवाद है, केन्द्रीय पथ, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के जो आज ऑनलाइन लोकार्पण एवं शिलान्यास कार्यक्रम में अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त कर रहे थे। इसमें कोई दो मत नहीं कि केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी जो बोलते हैं, वो करके दिखाते भी हैं, शायद यही कारण रहा कि संसद में उनकी मंत्रालय के काम-काज की हमेशा प्रशंसा हुई है, लेकिन सवाल यह भी उठता है कि जब इतने अच्छे मंत्री भाजपा के केन्द्र में मौजूद थे, तो डबल इंजन की सरकार वाली पूर्ववर्ती रघुवर दास की सरकार ने इसका फायदा क्यों नहीं उठाया?

आखिर जिस प्रकार से केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने आज यह कहा कि आपके एन्यूल प्लान ही 675 करोड़ के हैं, और मैं इसे पांच हजार करोड़ कर देता हूं, तो भाई इतनी उदारता का फायदा पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने क्यों नहीं उठाया? आखिर जो प्रश्न नितिन गडकरी ने आज उठाये, रघुवर दास की सरकार ने उस वक्त क्यों नहीं हल किये, क्या उस वक्त अच्छे अधिकारी की कमी थी, क्योंकि नितिन गडकरी ने तो साफ कह दिया कि उन्हें राज्य में अच्छे अधिकारी भी चाहिए, जो क्वालिटी वाली काम कर सकें, ये उनका उठाया सवाल ही बताता है कि राज्य में अच्छे अधिकारियों का आज भी अभाव है, और जो भी अधिकारी है, उनकी योग्यता पर फिलहाल सवाल तो उठ ही गया है, नहीं तो केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी को यह कहने की जरुरत ही नहीं थी।

शायद उन्हें भी झारखण्ड के अधिकारियों के बारे में जरुर ही पता होगा, नहीं तो यह बोलने की जरुरत ही नहीं थी, लेकिन आज जिस प्रकार से मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन से बातचीत के क्रम में, उन्होंने मुख्यमंत्री की हौसला अफजाई की और उनसे वायदा कर दिया, मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को इसका फायदा जमकर उठाना चाहिए, ताकि राज्य की जनता को बेहतर स्थिति में लाया जा सकें। क्या राज्य की जनता नहीं चाहती या मुख्यमंत्री हेमन्त नहीं चाहते कि राज्य में वेस्टर्न यूरोप या अमेरिका की तरह की सड़कें हो जाये।

ढूंढिये उस अच्छे अधिकारी को जो इस सपने को पूरा करने में ईमानदारी बरते, आज भी राज्य में एक दो अच्छे आइएएस अधिकारी हैं, जिनको साले या सालियां गिफ्ट नहीं देते, या जमीन का कारोबार नहीं करते (मतलब विभिन्न शहरों में मकान या फ्लैट नहीं खरीदते) और अपने ईमानदारी के पैसे से घर चलाते हैं, लेकिन क्या इतना होने के बावजूद भी ऐसे अधिकारियों को इस पुण्य के कार्य में लगाया जायेगा, क्योंकि यहां तो जैसे ही 5000 करोड़ के बजट की बात होगी, सभी अपने-अपने कमीशन की भी तैयारी में लग जायेंगे, ऐसे में किसका भला होगा, समझा जा सकता है।